TRENDING TAGS :
दुनिया के सात अजूबों में से एक पेट्रा, नहीं घूमा तो क्या घूमा
दक्षिणी जॉर्डन में पेट्रा के प्राचीन नाबाटीन शहर का मुख्य प्रवेश द्वार है सिक। जिसे साइकिट या सिक्ट के नाम से भी जाना जाता है, यह एक संकरा रास्ता है और लगभग 1.2 किलोमीटर लंबा है और पेट्रा के सबसे बड़े खंडहर, अल खज़ने पर समाप्त होता है।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: दोस्तों आज हम आपको दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक पेट्रा के बारे में बताएंगे। जिसकी खूबसूरती आपको मोह लेगी। अपने आकर्षण और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध, पेट्रा में कभी एक प्रभावशाली सभ्यता हुआ करती थी। यह नाबाटीन शहर अरबों की उपलब्धि का प्रतीक है, जिन्होंने शहर को पूरी तरह से पहाड़ों में तराशा है। यह दक्षिण और अरब के प्रायद्वीप के बीच और उत्तर में लेवांत के बीच चीन के सुदूर देश और यूरोप के दिल तक एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में माना जाता था।
पेट्रा के सबसे बड़े खंडहर
दक्षिणी जॉर्डन में पेट्रा के प्राचीन नाबाटीन शहर का मुख्य प्रवेश द्वार है सिक। जिसे साइकिट या सिक्ट के नाम से भी जाना जाता है, यह एक संकरा रास्ता है और लगभग 1.2 किलोमीटर लंबा है और पेट्रा के सबसे बड़े खंडहर, अल खज़ने पर समाप्त होता है। सीक के बाहर की ओर एक विस्तृत घाटी को बाब के रूप में जाना जाता है।
सिक शहर के गुलाब के रंग के पहाड़ों के बीच स्थित है, जो कि 80 मीटर की ऊंचाई पर है और सिक के अंत में 1.2 किमी तक जाती है। दर्शनीय स्थलों की यात्रा करते समय, आगंतुकों को यहां के नजारे चकित करने वाले हैं, जो प्राचीन शहर की उत्कृष्ट कृति का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी ऊँचाई 45 मीटर और चौड़ाई 30 मीटर है, ये सभी पहाड़ में उकेरी गई है।
ये भी देखें: माफियाओं को संरक्षण क्यों दे रही कांग्रेस, सीएम योगी ने पूछा ये सवाल
शहर का इतिहास पहली शताब्दी ईस्वी की तारीखों का है और इसका डिज़ाइन नबातियन सभ्यता की प्रगति को दर्शाता है। 7 जुलाई, 2007 को पेट्रा को दुनिया के नए सात अजूबों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और यह दुनिया भर के कई नेताओं और मशहूर हस्तियों के लिए सही और सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल बन गया है।
पेट्रा का म्यूजियम
इसमें 280 कलाकृतियां शामिल हैं, जो विभिन्न युगों को दर्शाती हैं, म्यूजियम में पांच हॉल हैं जो पेट्रा के इतिहास को दर्शाते हैं और नाबाटियन सभ्यता के जीवन की जानकारी देते हैं और उस काल में इस्तेमाल किये गए उपकरण और मूर्तियों को दिखाते हैं जो पेट्रा में पुरातत्वविदों और अन्य कई टीमों द्वारा खोजे गये थे।
मार्च 2014 को, PDTRA (पेट्रा डेवलपमेंट एंड टूरिज्म रीजन अथॉरिटी) और JICA (द जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) ने आगंतुक केंद्र के पास, नए पेट्रा संग्रहालय की स्थापना के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह म्यूजियम पेट्रा के नबातियन शहर की प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित करता है।
बताया जाता है कि पेट्रा का निर्माण 312 ईसा पूर्व में हुआ था। यह मुख्य रूप से नाबतीयन नामक प्राचीन लोगों द्वारा बसाई गई बस्ती थी। पेट्रा 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से पहले नाबातियन शासन की राजधानी था जिसके बाद 106 ईस्वी में यह रोमन साम्राज्य द्वारा अवशोषित कर लिया गया था।
पेट्रा को 7वीं शताब्दी के अंत में छोड़ दिया गया था और 11वीं शताब्दी के अंत तक इसके कई महल नष्ट हो गए थे। यह तब एक “खोया हुआ शहर” बना रहा जब तक कि 1812 में एक स्विस खोजकर्ता ने इसे खोज नहीं लिया।
ये भी देखें: राहुल गांधी पर जमकर बरसे योगी, कहा- यह कैसी विभाजनकारी राजनीति है कांग्रेस की
पेट्रा में रात के समय पर्यटन काफी लुभावना होता है
बता दें कि 6वीं शताब्दी में मुसलमानों ने पेट्रा पर जीत हासिल कर ली थी लेकिन यह अधिक समय तक मुसलमानों का अधीन नहीं रह पाया। बाद में 1189 ईस्वी के दौरान मुस्लिम शासक सुलतान सलादिन के जीतने के बाद इसाइयो ने पेट्रा को छोड़ दिया था। पेट्रा की पहली वास्तविक खुदाई 1929 ईस्वी में की गई थी।
पेट्रा में रात के समय पर्यटन काफी लुभावना होता है। लेकिन उस समय केवल ट्रेजरी से टहलकर आना होता है। यहां पर 500 से अधिक मोमबत्तियों के साथ जलाया जाने वाला दृश्य काफी आकर्षक होता है।
ये भी देखें: सिपाही की बहादुरी: रायबरेली में दौड़ाकर पकड़ा गौ मांस तस्कर को, निभाया अपना फर्ज
आप भारत से पेट्रा के लिए यात्रा करना चाहते हैं तो...
अगर आप भारत से पेट्रा के लिए यात्रा करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको भारत के किसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से अम्मान के लिए फ्लाइट लेनी होगी। फिर अम्मान से कैब या बस की मदद से सीधे पेट्रा पहुंचा जा सकता है। अम्मान जॉर्डन से पेट्रा की दूरी करीब 186 किलोमीटर है। अगर आप पेट्रा जाने की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दें कि पेट्रा गर्मियों में बेहद गर्म और शुष्क स्थान है, इस दौरान यहां का तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। यहां की यात्रा का सबसे अच्छा समय बसंत ऋतू (मार्च से मई) या फिर शहर ऋतु (सितंबर से नवंबर) का होता है।
दोस्तों देश दुनिया की और को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।