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न्यू इंडिया के शिल्पकार थे राजीव गांधी, देश को आगे ले जाने के लिए उठाए थे ये कदम

राजीव गांधी भारत की पूर्व और सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े बेटे थे।राजीव को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

Aradhya Tripathi
Published on: 21 May 2020 11:46 AM IST
न्यू इंडिया के शिल्पकार थे राजीव गांधी, देश को आगे ले जाने के लिए उठाए थे ये कदम
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आज भारत तकनीक के मामले में फिर भी काफी आगे है। आक अगर हम कंप्यूटर चला पा रहे हैं तो ये सिर्फ एक आदमी की दें है, और वो हैं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी। जिनकी आज ही के दिन यानी 21 मई 1991 को एक आत्मघाती हमले में ह्त्या कर दी गई थी। आज राजीव गांधी इ पुण्यतिथि है। राजिव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर में एक आत्मघाती विस्फोट हमले में कर दी गई थी। लेकिन वो राजीव गांधी ही थे जिन्होंने उस समय एक नए भारत को जन्म दिया था। भारत आज अगर 21 वीं सदी में खड़ा है तो उसका पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है। राजीव गांधी सिर्फ 5 साल भारत के प्रधानमंत्री रहे लेकिन इन 5 सालों में राजीव गांधी ने बहुत कुछ ऐसा कर दिया जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

ऐसे बने राजीव गांधी पीएम

सबसे पहले अगर राजीव गांधी के पर्सनल व्यतित्व के बारे मे जानना चाहे तो, राजीव गांधी भारत की पूर्व और सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े बेटे थे।राजीव को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वो विदेश पढ़ाई करने गए जहां उन्हें सोनिया गांधी मिली दोनों में प्यार और फिर शादी। सोनिया कभी नहीं चाहती थीं कि राजीव राजनेति में आएं। इतने बड़े सियासी खानदान से होते हुए भी राजीव गांधी पायलट की नौकरी करते थे। लेकिन भाई संजय गांधी की मौत के बाद हालात ऐसे बन गए कि उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा। परिस्थितियों वश राजीव राजनीति में तो आ गए। लेकिन देश का प्रधानमंत्री बनने जैसा उनके दिमाग में कभी कुछ नहीं था। लेकिन 31 अक्टूबर 1984 में पूर्व प्रधामंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव को प्रधामंत्री भी बनना ही पड़ा।

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इंदिरा गांधी की हत्या के दो दिन पहले यानी 29 अक्टूबर को राजीव गांधी पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे थे और वो विशेष विमान से दिल्ली आए। तब इंदिरा गांधी में एम्स में भर्ती थीं। राजीव जब एम्स पहुंचे तो सोनिया गांधी ने उन्हें रोकर आग्रह किया कि वो प्रधानमंत्री ना बनें। लेकिन इन सबके बावजूद भी राजीव गांधी को 1984 में इंदिरा जी की हत्या के बाद राजीव को इंदिरा जी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया। और उसी दिन उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ भी दिलाई गई। जिसके बाद राजीव गांधी ने पीएम के तौर पर अपने पांच साल के कार्यकाल में देश को नई बुलंदी पर पहुंचाने का काम किया।

देश को बनाया कम्प्युटरीकृत

प्रधानमंत्री बनने के बाद राजीव गांधी ने देश को बदलना शुरू कर दिया। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने उस समय भारत में कंप्यूटर आम जन इ पहुंच से दूर था। और कुछ बड़े लोगों के पास या कुछ ख़ास ऑफिसों में ही कंप्यूटर उपलब्ध था। लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी ने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाने की दिशा में काम किया। राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता। उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की पहल की।

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जिसके बाद राजीव गांधी ने देश के कोने कोने में कंप्यूटर पहुंचाने का प्रयास किया। भारतीय रेलवे में टिकट जारी होने की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था भी इन्हीं पहलों की देन रही। हालांकि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1970 में देश में पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजन शुरू करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी। 1978 तक आईबीएम पहली कंपनी थी, बाद में दूसरी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने कंप्यूटर निर्माण शुरू किया।

देश में पंचायतीराज और दूरसंचार को किया मजबूत

राजीव गांधी ने इसके अलावा देश में पंचायती राज को मजूब करने में अहम भूमिका निभाई। राजीव गांधी ने पहले भी कई राजनेताओं ने सत्ता के विकेंद्रीकरण और पंचायती राज व्यवस्था को सबल करके ही निचले स्तर तक लोकतंत्र पहुंचाने की बात कही थी। राजीव गांधी के कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार हुआ। 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की इस पहल को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ। राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64 वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया। 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई।

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जिससे सभी राज्यों को पंचायतों के चुनाव कराने को मजबूर होना पड़ा। पंचायतीराज व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण रहा। इसके अलावा राजीव गांधी को भारत में दूरसंचारक्रान्ति लाने वाला नेता कहा जाता है। राजीव गांधी की पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना हुई। इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ. जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे। जिससे गांव और शहर संचार के मामले में आपस में और देश-दुनिया से जुड़ सके। फिर 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई।

नवोदय विद्यालय खोले, वोट देने की उम्रसीमा में किया बदलाव

राजीव गांधी ने देश में एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। वो है कि राजीव ने देश में वोट देने की उम्रसीमा को घटाया था। राजीव के प्रधानमंत्री बनने से पहले देश में वोट करने की उम्रसीमा 21 वर्ष थी। प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देने का कदम उठाया। 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्रसीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई। इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा अपने सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते थे। मौजूदा समय देश में खुले 551 नवोदय विद्यालयों में 1.80 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।

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गांवों के बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा दिलाने के मकसद के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की शुरआत की। इन आवासीय विद्यालयों की प्रवेश परीक्षा में सफल होने वाले मेधावी बच्चों को यहां प्रवेश मिलता है। बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है। राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में भी अहम कदम उठाए। उनकी सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) की घोषणा की. इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार करने की कोशिशें हुईं।



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