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Raksha Bandhan: जब द्रौपदी की लाज बचाने दौड़े चले आए श्रीकृष्ण, दिया था ये वचन

रक्षाबंधन का त्‍योहार श्रावण मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन को बनाने को अलग-अलग मान्यताएं हैं। रक्षाबंधन मनाने की एक मान्यता भगवान श्री कृष्ण और द्रोपदी से जुड़ी हुई है।

Newstrack
Published on: 1 Aug 2020 3:08 PM GMT
Raksha Bandhan: जब द्रौपदी की लाज बचाने दौड़े चले आए श्रीकृष्ण, दिया था ये वचन
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Raksha Bandhan

लखनऊ: रक्षाबंधन का त्‍योहार श्रावण मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन को बनाने को अलग-अलग मान्यताएं हैं। रक्षाबंधन मनाने की एक मान्यता भगवान श्री कृष्ण और द्रोपदी से जुड़ी हुई है। महाभारत काल के दौरान शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बहने लगा।

भगवान कृष्ण की ऊंगली से खून बहता देख द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान उंगली पर बांध दीं। इसके बाद रक्त बहना बंद हो गया। यह घटना जिस दिन घटी उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। माना जाता है कि तभी से रक्षाबंधन के पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई।

रक्षाबंधन मनाने को लेकर कई अन्य पौराणिक कथाएं भी हैं। महाभारत में युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्टिर को सैनिकों के हाथों में रक्षा सूत्र बांधने के लिए कहा था। राखी को रक्षा सूत्र कहते हैं।

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भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की बचाई लाज

जब युधिष्टिर जुए में अपना सबकुछ हार गए तो चतुर शकुनि ने द्रौपदी को दांव पर लगाने के लिए सलाह दी। युद्धिष्ठर कुटिल शकुनि की चाल में फंस गए और द्रौपदी को दांव लगा दिया। इसके बाद कौरवों ने द्रोपदी को भी दांव में जीत लिया।

युद्धिष्ठर के द्रौपदी को दांव में हार जाने के बाद दुशासन भारी सभा में उनके बाल पकड़कर घसीट कर लाता है। द्रौपदी का भरे दरबार में कौरव अपमान करते हैं। जिस समय द्रौपदी का अपमान किया जा रहा था उस दौरान उस सभा में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और विदुर भी बैठे थे, लेकिन किसी ने विरोध नहीं जताया। इन लोगों के मौन धारण के बाद दुर्योधन ने द्रौपदी के चीरहरण का आदेश दिया। तब द्रौपदी ने रोते हुए अपनी आंखों को बंद कर भगवान श्रीकृष्ण को याद किया।

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भगवान श्रीकृष्ण को शिशुपाल वध के दौरान द्रौपदी को दिया वचन याद आता है। इसके बाद भगवान कृष्ण द्रौपदी की लाज बचाने के लिए दौड़े-दौड़े चले आते हैं। भगवान श्रीकृष्ण द्रौपदी की लाज बचाने के लिए ऐसी लीला रचते हैं कि सभा में बैठ सभी हैरान रह जाते हैं। भगवान कृष्ण ऐसा चमत्कार करते हैं जिससे द्रौपदी की साड़ी बढ़ने लगती है और दुशासन साड़ी खींचते-खींचते बेहोश हो जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की और अपना वचन पूरा किया।

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कौन था शिशुपाल

शिशुपाल के बारे में कहा जाता है कि वह रिश्ते में भगवान श्रीकृष्ण का भाई लगता था। वासुदेवजी की बहन और छेदी के राजा दमघोष की संतान था शिशुपाल। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, शिशुपाल की तीन आंखे थी और चार हाथ थे। शिशुपाल का जन्म हुआ था तो उस समय आकाशवाणी हुई कि जिस शख्स की गोद में उसकी अतिरिक्त आंखे और हाथ गायब हो जाएगें, वही व्यक्ति इसको मारेगा।

पौराणिक मान्यताओं में कहा जाता है कि जब एक बार भगवान श्रीकृष्ण वासुदवे जी की बहन के घर गए और शिशुपाल को अपनी गोद में लेकर खिलाने लगे तभी शिशुपाल के अतिरिक्त हाथ और आंख गायब हो गईं। भगवान कृष्ण ने ही शिशुपाल का वध किया।

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