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नवरात्रि: यहां भक्त रहषु के बुलावे पर दौड़ी चली आई थीं मां, आज भी मौजूद हैं सबूत
हथुआ के राजा मनन सिंह खुद को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। उन्हें घमंड था कि उनसे बड़ा कोई मां का कोई सेवक नहीं है। कुछ समय के बाद अचानक से उस राजा के राज्य में सूखा पड़ गया। उसी दौरान थावे में माता रानी का एक भक्त रहषु रहा करता था।
गोपालगंज: मां दुर्गा कभी भी अपने भक्तों को निराश नहीं करती हैं। अमीर हो या गरीब, जो कोई भी सच्चे मन से मां का ध्यान करता है। हाथ जोड़कर और उनके चरणों में शीश झुकाते हुए उन्हें पुकारता है।
मां उसे जरूर दर्शन देती हैं। इतिहास आज ऐसी सच्ची घटनाओं से भरा पड़ा है। अगर हम अतीत के पन्नों को पलटे तो हमें दिखाई देगा कि मां एक दो नहीं बल्कि अनगिनत अपने भक्तों को मुसीबत में घिरा देखकर उसके एक बुलावे पर उसकी रक्षा करने के लिए दौड़ें चली आई हैं।
आज हम आपको एक ऐसी ही सच्ची घटना के बारें में बताने जा रहा है। जिसमें मां दुर्गा ने अपने भक्त को साक्षात दर्शन दिए थे। इस बाद के सबूत काल-कालान्तर से आज तक मौजूद है। कोई भी वहां पर जाकर मां के दर्शन कर सकता है और उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकता है।
थावे मंदिर की फोटो(सोशल मीडिया)
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थावे वाली माता के दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं भक्त
माता के जिस चमत्कारिक धाम की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है थावे धाम। जिसे लोग थावे वाली माता के नाम से भी जानते हैं। ये मंदिर बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित है।
इस मंदिर के चमत्कार को लेकर ढेरों कहानियां लोगों के मुंह से सुनने को मिल जाएंगी। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मां अपने भक्त रहषु के लिए असम के कामाख्या से थावे धाम तक चलकर आईं थी और फिर उन्हें साक्षात दर्शन भी दिए थे। थावे धाम मां दुर्गा का एक चमत्कारिक सिद्धपीठ माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में यहां इतनी ज्यादा भीड़ होती है कि लोगों को पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती। नवरात्रि के नौ दिनों में यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
कहा जाता है साल में दो बार चैत और शारदीय नवरात्रों में यहां खास मेला भी लगाया जाता है। इसके अलावा इस मंदिर में सोमवार और शुक्रवार को यहां विशेष पूजा होती है।
चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है ये मंदिर
मां दुर्गा का ये मंदिर यह मंदिर गोपालगंज से लगभग छह किलोमीटर दूर सिवान जाने वाले रास्ते पर थावे नाम की जगह पर बना है। ये मंदिर तीन तरफ से घने जंगलों से घिरा है और इस मंदिर का गर्भकाल काफी पुराना है।
जो कि भक्त रहषु के जमाने से वैसे का वैसे ही चला आ रहा है। अंदर मां की शेर पर बैठे हुए और भक्त रहषु को आशीर्वाद देते हुए मूर्तियां भी मौजूद हैं। इन मूर्तियों के पीछे एक बहुत ही प्रचलित कहानी भी है।
थावे मंदिर की फोटो(सोशल मीडिया)
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क्या है मां दुर्गा और रहषु भक्त की कहानी
दरअसल इस मंदिर को लेकर कालांतर से एक कथा लोगों के बीच सुनी और सुनाई जाती रही है। कहानी कुछ इस तरह से है कि हथुआ के राजा मनन सिंह खुद को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। उन्हें घमंड था कि उनसे बड़ा कोई मां का कोई सेवक नहीं है।
कुछ समय के बाद अचानक से उस राजा के राज्य में सूखा पड़ गया। उसी दौरान थावे में माता रानी का एक भक्त रहषु रहा करता था। जैसा की कथा में बताया गया रहषु के घास काटने पर अन्न निकलने लगा। यही वजह थी कि वहां के लोगों को खाने के लिए अनाज मिलने लगा।
एक दिन यह बात राजा को मालूम पड़ गई। लेकिन राजा को इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ। राजा रहषु के खिलाफ हो गये और और उन्हें ढोंगी–पाखंडी कहने लगे।
जब इतना सब कहने सुनने के बाद भी उनका मन नहीं भरा तो एक दिन उन्होंने रहषु को अपने पास बुलवाया। कहा कि मां को इसी जगह पर बुलाओ।
थावे मंदिर की फोटो(सोशल मीडिया)
मां के प्रकट होते ही राजा की हो गई मौत
इस पर रहषु ने राजा से कहा कि अगर मां यहां आईं तो राज्य को बर्बाद कर देंगी। इस पर राजा हंसने लगा। वह रहषु की बात मानने को तैयार नहीं था।
बस फिर क्या था कि रहषु के बुलाने पर मां आईं और कोलकाता, आसाम, पटना होते हुए थावे धाम पहुंची। उन्होंने अपने भक्त के सिर के अंदर से अपना कंगन पहने हुआ हाथ दिखाया।
उनके आते ही राजा के सभी भवन गिर गए। ये चमत्कार देख राजा वहीं पर गिरकर मर गया। मां ने अपने भक्त को दर्शन दिए।
आज भी मां और उनके भक्त की प्रतिमा वहां पर मौजूद है। जिसे लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। आज वहां पर मां का काफी विशाल मंदिर बन चुका है।
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