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सोमनाथ से रामजन्मभूमिः इन्होंने रचा इतिहास, जानकर हो जाएंगे हैरान

यह परिवार पिछली कई पीढ़ियों से मंदिर निर्माण का कार्य करता आ रहा है। गुजरात के सोमनाथ मंदिर से लेकर अंबाजी मंदिर तक इसी परिवार ने हिन्दू जैन एवं स्वामीनाथ सम्प्रदाय के विश्व में सौ से अधिक मंदिर बनाए है।

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Published on: 27 July 2020 6:12 PM IST
सोमनाथ से रामजन्मभूमिः इन्होंने रचा इतिहास, जानकर हो जाएंगे हैरान
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ। अयोध्या में होने जा रहा राममंदिर शिलान्यास कई इतिहास रचने जा रहा है। पर मंदिर निर्माण की एक जो सबसे बड़ा इतिहास बनने जा रहा है वह अपने आप में सबसे अनूठा होगा। राममंदिर का निर्माण एक ऐसा परिवार कर रहा है जिसने दुनिया में सौ से अधिक मंदिर बनाए है। बात केवल यहीं तक खत्म नहीं होती है। विशेष बात यह है कि जिनके दादा ने सोमनाथ मंदिर का पुनरोद्वार किया था अब उनका पोता राममंदिर को भव्य रूप देने जा रहा है।

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एक न एक दिन मंदिर निर्माण का काम जरूर शुरू होगा

रामजन्मभूमि मंदिर का डिजायन और अपनी देखरेख में निर्माण कराने वाले आर्किटेक्ट चन्द्रकांत सोमपुरा ने आज से तीन दशक पहले विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राममंदिर का पूरा माडल तैयार किया था। बताते हैं कि चन्द्रकांत सोमपुरा तब छह महीने में राममंदिर के छह डिजायन लेकर अशोक सिंघल के पास गए थे लेकिन सिंघल को यही डिजायन पसंद आया था। तब से सोमपुरा की देखरेख में पिछले तीस वर्षो से पत्थर तराशने का काम चलता आ रहा है। अबतक मंदिर निर्माण का पचास से साठ प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। सोमपुरा को विश्वास था कि एक न एक दिन मंदिर निर्माण का काम जरूर शुरू होगा। अब चन्द्रकांत के बेटे आशीष सोमपुरा मंदिर निर्माण का सारा काम देख रहे हैं।

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सोमपुरा का परिवार गुजरात का रहने वाला

सोमपुरा का परिवार गुजरात का रहने वाला है। यह परिवार पिछली कई पीढ़ियों से मंदिर निर्माण का कार्य करता आ रहा है। गुजरात के सोमनाथ मंदिर से लेकर अंबाजी मंदिर तक इसी परिवार ने हिन्दू जैन एवं स्वामीनाथ सम्प्रदाय के विश्व में सौ से अधिक मंदिर बनाए है। सोमपुरा परिवार ने लंदन, सिंगापुर, पिट्सबर्ग और अमेरिका में कई मंदिरों को डिजायन ओर बनवाने का काम किया है।

अपने पिता से मंदिर निर्माण का काम सीखा

चन्द्रकांत सोमपुरा के पिता ने बद्रीनाथ मंदिर की मरम्मत का काम किया था। बताया जाता है कि इस काम के दौरान अलकनन्दा नदी में गिर जाने से उनकी मौत हो गयी थी। तब चन्द्रकांत सोमपुरा 17 वर्ष के थें और उन्होंने अपने पिता से मंदिर निर्माण का काम सीखा। जबकि दादा प्रभाषंकर सोमपुरा ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर का पुनर्निमाण किया था। अब चन्द्रकांत के बेटे आषीष सोमपुरा अयोध्या के मंदिर का काम संभाल रहे हैं। भारत में नागर द्रविण और बेसर शैली के बनने वाले मंदिरों में अयोध्या का राममंदिर नागर शैली का मंदिर होगा। उत्तर भारत में इस शैली के ही मंदिर बनाने का प्रचलन है।

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