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रामायण के पात्रों से जुड़े ये राज और संदेश जान चौंक जाएंगे आप
जब देश कोरोना संक्रमण के खतरे में लॉकडाउन के दौर से गुज़र रहा था, तब अपना समय काटने के लिए सोशल मीडिया पर सरकार से रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक एपिसोड दिखाने की माँग हुई। सरकार को मानने से परहेज़ होने का सवाल नहीं उठता था।
योगेश मिश्र
कोरोना लॉक डाउन के दौर में इन दिनों रामायण सीरियल के दोबारा शुरू हो जाने से एक बार फिर भगवान राम कथा की चर्चा तेज हो गई है । भगवान राम की चर्चा के तेज होने की इन दिनों कई वजहें भी हैं । मसलन, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ चली है । सर्वोच्च अदालत ने यह मान लिया है कि अयोध्या राम लला की जन्मस्थली है । अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए उसने हरी झंडी दे दी है ।
उत्तर प्रदेश में भगवा पार्टी की भगवा धारी मुख्यमंत्री की सरकार है । केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है । इसी के साथ एक ऐसे समय जब देश कोरोना संक्रमण के खतरे में लॉकडाउन के दौर से गुज़र रहा है, तब अपना समय काटने के लिए सोशल मीडिया पर सरकार से रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक एपिसोड दिखाने की मांग हुई। सरकार को मानने से परहेज़ होने का सवाल नहीं उठता था।
तब सीरियल रोकता था आज थमे हुए देश की प्रासंगिकता
पहले कभी जब रामायण और महाभारत जैसे सीरियल आते थे, तो सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था । रेल गाड़ियों और बसों के पहिए थम जाते थे । पूरे शहर में कर्फ्यू पसर जाता था । कहा जाता था कि रविवार को 9:30 बजे सुबह पूरा देश रामायण फ़ीवर की गिरफ्त में आ जाता था।
आज जब हालात बिलकुल वैसे हैं, तब रामायण और महाभारत के प्रसारण की मांग यह बताती है कि इतिहास ख़ुद को दोहराने जा रहा है , कैसे दोहराता है, यह देखने की ज़रूरत है। इतिहास के ख़ुद के दोहराने की प्रक्रिया में जो नयी पीढ़ी इन धार्मिक धारावाहिक से रूबरू हो रही है उसके लिए कई रोचक तथ्यों की जानकारी बेहद ज़रूरी हो जाती है ।
रावण सीरियल में मरा शोक में डूब गया गांव
रामायण की शूटिंग मुंबई के समीप उमरगाम में हुई थी, जिस गांव में शूटिंग हुई थी, वहां उस समय ब्रेड जैसी सामान्य चीज़ भी नहीं मिलती थी । यह जगह गुजरात और महाराष्ट्र सीमा के पास है। रावण का किरदार अरविंद त्रिवेदी ने निभाया था । अरविन्द त्रिवेदी 250 से ज्यादा गुजराती फिल्मों में अपने भाई उपेन्द्र त्रिवेदी के साथ काम कर चुके हैं। वह गुजराती रंग मंच के बड़े कलाकार हैं। वह ऑडिशन टेस्ट में केवट का किरदार मांगने आये थे। टीम के सभी लोगों का विचार था कि रावण के रोल के लिए अम्बरीश पुरी को लिया जाए। पूरी टीम रावण के किरदार के लिए अम्बरीश पुरी को फीट मानती थी। अरुण गोविल की भी यही राय थी, लेकिन ऑडिशन टेस्ट में जब रामानंद सागर ने उनकी बॉडी लैंग्वेज और एटीट्यूड देख कर रावण का रोल दे दिया ।
अरविन्द असल जिंदगी में राम और शिव भक्त है । वह हर शूटिंग के दिन उपवास रखते थे । उनका मानना था कि उनको अपने किरदार में राम को भला बुरा कहना पड़ता है । यह उपवास इसी का प्रायश्चित है । वह शूटिंग के बाद खाना खाते थे । अरविन्द त्रिवेदी को शूटिंग के लिए रोज ट्रेन पकड़ कर उमरगाम जाना होता था । कई बार तो जगह नहीं मिलती थी तो वह खड़े-खड़े यात्रा करते थे । रावण को तैयार होने में पांच घंटे लगते थे उनका मुकुट ही 10 किलो का था । जब सीरियल टेलीकास्ट होने लगा तो लोग बाग खुद जगह देने लगे । यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब राम ने रावण का वध किया, यानी सीरियल में रावण मारा गया । तब अरविंद त्रिवेदी के गांव में शोक मना था। वह 1991 में गुजरात के साबरगांठा से लोकसभा के लिए चुने गये। इन दिनों वह ओल्ड ऐज एन्जॉय कर रहे हैं ।
तीन दशक और पात्रों की वास्तविक स्थिति
रामायण सीरियल के लिए कलाकारों की बहुत ज़रूरत थी, ऐसे में गांवों में जाकर मुनादी पीटकर उन कलाकारों को चयनित किया जाता था जिन्होंने कभी राम लीला में काम किया हो। सीता की भूमिका दीपिका चिखलिया ने निभाई थी । उस समय उनकी उम्र महज़ पंद्रह साल थी ।आज वह दीपिका टोपी वाला हैं। 1991 में बड़ोदरा से सांसद बन गई थी। एक बार अरविन्द त्रिवेदी ने एक सेट पर दीपिका से कहा कि लाल कृष्ण अडवाणी तुम्हारा नंबर मांग रहे थे, दे दूं ?
अडवाणी ने दीपिका से मुलाकात में कहा कि तुम्हारी आवाज बहुत अच्छी है । मैं चाहता हूं कि तुम भाजपा ज्वाइन कर लो । यहीं से दीपिका का राजनीतिक सफ़र शुरु हुआ । दीपिका की शादी हेमन टोपीवाला से हुई । दीपिका ने अस्सी के दसक में कुछ बी ग्रेड की फिल्मों में काम किया था ।
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राजश्री प्रोडक्सन की फिल्म "सावन को आने दो" से मिली थी पहचान
रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल राजनीति में पूरी तरह नहीं गये। हालाँकि विश्वनाथ प्रताप सिंह के ख़िलाफ़ कांग्रेस की ओर से प्रचार किया था। अरुण गोविल का बचपन उत्तर प्रदेश के मेरठ में गुजरा था । उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से पढाई की थी 17 साल की उम्र में बिजनेस करने मुंबई आ गए । लेकिन बिजनेस में मन नहीं लगा और फिल्मों कोशिश करने लगे । रामानंद सागर ने अपने सीरियल विक्रम बेताल में उन्हें विक्रमादित्य का रोल दिया था । उन्हें राजश्री प्रोडक्सन की फिल्म "सावन को आने दो" में अच्छी पहचान मिल गयी थी । जब उन्हें पता चला कि रामानंद सागर रामायण के लिए ऑडिशन कर रहे हैं तो वह जा धमके गोविल राम बनना चाहते थे । परन्तु रामानंद सागर लक्ष्मण या भारत के रोल के लिए साईंन करने के लिए तैयार थे। लेकिन जब रामानंद सागर को राम का किरदार निभाने के लिए कोई उचित कलाकार नहीं मिला तो उन्होंने थक हार के अरुण गोविल को राम के साईंन किया।
गोविल उन दिनों सिगरेट बहुत पीते थे। एक बार एक तमिल भाषी व्यक्ति ने उन्हें सिगरेट पीते हुए देखा तो तमिल में ना जाने क्या-क्या कह डाला। गोविल तमिल तो नहीं समझ रहे थे पर उस आदमी के चहरे की भाव-भंगिमा से इतना तो लग रहा था की वह गुस्से में है। उनके एक दूसरे साथी ने जो कि तमिल समझता था उसने अरूण गोविल को बताया कि वह कह रहा था । हम तुमको भगवान मानते हैं और तुम सिगरेट पी रहे हो?
हनुमान की भूमिका निभाने वाले दारा सिंह दो बार राज्य सभा के लिए हुए चयनित
रामानंद सागर इसके प्रोड्यूसर थे। हनुमान की भूमिका निभाने वाले दारा सिंह दो बार राज्य सभा के लिए चयनित हुए दारा सिंह फिल्मों में आने से पहले कुश्ती में नाम कमा चुके थे। फिल्मों में उन्होंने पहले नायक के रूप में और बाद में चरित्र भूमिकाएं निभाने लगे। कई धार्मिक फिल्मों में वे भगवान् शंकर भी बने, उन्होंने अभिनय के अलावा निर्देशन और लेखन भी किया। उनका देहांत हो गया है। सुनील लाहिरी लक्ष्मण बने थे। लाहिरी को शत्रुघ्न के लिए चुना गया था। लक्ष्मण का रोल शशि पुरी के लिए तय था। लेकिन उन्होंने किसी कारण से रोल करने से मना कर दिया और सुनील लाहिरी की लाटरी खुल गयी।
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मेघनाथ बने विजय आनन्द अब दुनिया में नहीं हैं। कैकेयी बनी पद्मा खन्ना, मंथरा की भूमिका निभाने वाली ललिता पवार का अभी निधन हो गया। जयश्री गड़कर कौशल्या बनी थीं। उनका अभी देहांत हो गया। वास्तविक जीवन में भी दशरथ बने बालधुरी जयश्री गड़कर के पति हैं। हनुमान की संजीवनी बूटी लाना और पुष्पक विमान का उड़ना सरीखे सीन क्रिस्टल करने के लिए स्पेशल इफ़ेक्ट का सहारा लेना पड़ा था।
रिकॉर्ड जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया
रामायण सीरियल में काम करने वाले एक्टर, किरदारों के नाम से जाने और पहचाने जाने लगे थे। जिस दिन रामायण के आखिरी एपिसोड की सूटिंग थी उस दिन उमरगाम के लोग सेट पर आ गए थे । रामायण के गाने रविंद्र जैन ने गाये हैं। इस सीरियल को 5 महाद्वीपों में 65 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने देखा था। आज भले ही 900 से अधिक चैनलों की तरंगें आसमान में तैर रही हो । लेकिन आज भी मूवी रिव्यूजऔर रेटिंग देने वाली संस्था इंटरनेट मूवी डेटाबेस में रामायण की रेटिंग 9.1 है। इस रिकॉर्ड को अभी तक कोई तोड़ नहीं पाया।
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दस साल लड़ना पड़ा मुकदमा
इस सीरियल की शूटिंग 550 दिन चली थी । रामायण के 78 एपिसोड के बाद लव कुश की कथा दिखाने की मांग हुई । रामानंद सागर इसे दिखाने के लिए तैयार नहीं थे । पर लोगों की मांग पर उन्होंने ये एपिसोड बनाये। जिस पर तमाम विवाद हुआ ।
दस साल तक रामानंद सागर को मुक़दमा लड़ना पड़ा । हर रोज़ दूरदर्शन में कैसेट भेजना पड़ता था । कभी कभी तो दो तीन घंटे पहले भी कैसेट पहुँचा। रामायण राम और अयन से मिलकर बनती है । राम और अयन का सीधा सा मतलब होता है- राम की यात्रा।
रामायण और हम लोग का जादू
1982 में दूरदर्शन रंगीन हुआ था और 1987 में रामानंद सागर की रामायण ने दूरदर्शन को घर-घर तक पहुंचाया । इसके साथ ही मनोहर श्याम जोशी का सोप ओपेरा हम लोग भी बेहद लोकप्रियता हासिल करने में क़ामयाब हुआ। इसमें भगवतीं, बडकी, नन्हें ,बसेसर राम जैसे किरदार लोगों के दिमाग़ पर चढ़ गए थे।
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तुलसीदास के रामचरित मानस और महर्षि वाल्मीकि रामायण के अलावा हिन्दी में ग्यारह और रामायण हैं। मराठी में आठ , बांग्लामें पच्चीस, तमिल और तेलुगु में बारह - बारह, उडिया में छह रामायण मिलती है । इनके अलावा संस्कृत, गुजराती,मलयालम,कन्नड़ ,असमिया ,उर्दू ,अरबी ,फ़ारसी में भी राम कथा लिखी गई है।
और अंत में रामायण का जन्म
आर्य भट्ट के मुताबिक़ महाभारत का युद्ध 3137 ईसा पूर्व हुआ था । यानी 5155 साल पहले । जबकि रामायण काल लगभग 7324 ईसा पूर्व यानी 9341 साल पहले का है। रामचरितमानस की रचना 16वीं शताब्दी के अंत में तुलसीदास ने की थी । यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि मानस अवधी भाषा में लिखी गई है। तुलसीदास के मुताबिक़ राम कथा सबसे पहले भगवान शंकर ने पार्वती को सुनाई।
श्रीराम की वंशावली
ब्रह्मा के मारीच, मारीच के कश्यप, कश्यप के बिवस्वान, बिवस्वान के मनु, मनु के इक्ष्वाकु, इक्ष्वाकु के कुक्षि, कुक्षि के बिकुक्षि, बिकुक्षि के बाण, बाण के अनरण्य, अनरण्य के पृथु, पृथु के त्रिशंकु, त्रिशंकु के थुंधुमार, धुंधुमार के युवनास्व, युवनास्व के मान्धाता, मान्धाता के सुसुन्धि और ध्रुवसन्धि, ध्रुवसन्धि के प्रसेनजित, प्रसेनजित के भरत, भरत के असित, असित के सगर, सगर के असमंजस, असमंजस के अंशुमान, अंशुमान के दिलीप, दिलीप के भगीरथ, भगीरथ के काकुस्थ्य, काकुस्थ्य के प्रबृद्ध, प्रबृद्ध के शंखण, शंखण के सुदर्शन, सुदर्शन के अग्निवर्ण, अग्निवर्ण के शीघ्रग, शीघ्रग के मरु, मरु के प्रशुश्रुक, प्रशुश्रुक के अंबरीश, अंबरीश के नहुष, नहुष के ययाति, ययाति के नाभाग, नाभाग के रघु, रघु के अज, अज के दशरथ, दशरथ के राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न।
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वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथ है। वाल्मीकि आदि कवि । वाल्मीकि रामायण स्मृति का अंग मानी जाती है । भाषा शैली के हिसाब से इसे पाणिनी के पहले का लिखा बताया जाता है । यानी 600 ईसा पूर्व का । यह इसलिए भी सही है क्योंकि बौद्ध जातक रामायण पात्रों का वर्णन करते हैं । रामायण में 24 हज़ार श्लोक हैं।