TRENDING TAGS :
यूपी में इस डॉ. ने बनाया लाइफ बॉक्स, कोरोना से इलाज में है सहायक
कोविड-19 पूरे देश में फ़ैला है। तात्कालिक तौर पर इसका इलाज और दवाएं ना होने के बावजूद चिकित्सक तथा चिकित्सकीय प्रबंधन के द्वारा इसका मुकाबला किया जा रहा है।
जौनपुर: आज कोविड 19 कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की मानव जाति अपने को खतरे में महसूस कर रही है। इस वायरस ने जिन देशों में अपने पांव पसार लिए हैं वहां भी और जहां नहीं पसारे हैं वहां भी। आवाम इस वायरस के प्रसार व संक्रमण और दुष्प्रभाव से भयभीत है साथ ही इसके खिलाफ हर क्षण मुकाबला के लिए जंग भी लड़ रहे हैं। तात्कालिक तौर पर इसका इलाज और दवाएं ना होने के बावजूद चिकित्सक तथा चिकित्सकीय प्रबंधन के द्वारा इसका मुकाबला किया जा रहा है। लेकिन जो चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी इस महामारी से सीधे मुकाबला कर रहा है वह खुद अपने आप को असुरक्षित भी महसूस कर रहा है रहा है।
मेडिकल स्टाफ को संक्रमण से बचाने के लिए किया आविष्कार
संक्रमित मरीजों की चिकित्सा व सेवा के दौरान चिकित्सक और दूसरे चिकित्साकर्मी भी स्वयं संक्रमित होते जा रहे हैं। बड़ी संख्या में चिकित्सकीय स्टाफ के साथ साथ अब तक दर्जनों चिकित्सक इस कोरोना वायरस की जद में आ गए हैं। इतना ही नहीं गुरुवार को चिकित्सा के दौरान संक्रमित हुए ऐसे दो चिकित्सकों की असमय मृत्यु भी हो गई।
ये भी पढ़ें- CM योगी के सख्त निर्देश: अधिकारी हो जाएँ अलर्ट, इन क्षेत्रों पर रखें कड़ी नजर
ऐसे में संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान उनके संपर्क में आने वाले चिकित्सकों और स्टाफ को बचाने के लिए कुछ साधनों की आवश्यकता महसूस की गई। जिससे उनके संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए कोरोना संकट के दौरान वायरस की तीव्र संक्रमण क्षमता से मेडिकल स्टाफ को बचाने के लिए डी.एम.सी हार्ट सेंटर लुधियाना के कंसलटेंट एवं आई.एम.ए द्वारा इस वर्ष के प्रतिष्ठित ए.के.एन सिन्हा अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर विवेक गुप्ता ने इसके लिये एक नायाब और बहुत किफायती उपाय सुझाया।
बनाया एक लाइफ बॉक्स
ये भी पढ़ें- कोरोना के सामने दुनिया असहाय, क्या चमत्कार होगा?
डॉक्टर विवेक गुप्ता ने एक लाइफ बॉक्स का आविष्कार किया है। लाइफ बॉक्स" बनाकर उन्होंने इसका प्रयोग न केवल अपने चिकित्सा संस्थान में शुरू किया बल्कि इस उपकरण के निर्माण एवं प्रयोग का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया के द्वारा दूसरे संस्थानों और चिकित्सकों को प्रयोग के लिए उप्लब्ध करा दिया। जिसकी चिकित्सा जगत में सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। कुल ढाई सौ रुपए कीमत और लगभग आधे घंटे में तैयार हो जाने वाला अत्यंत उपयोगी जीवन रक्षक उपकरण स्टरलाइज कर बार-बार प्रयोग भी किया जा सकता है।
कोरोना से निकलने वाले संक्रमण से करेगा बचाव
डॉ गुप्ता द्वारा जारी किए गए वीडियो में इस उपकरण के निर्माण की विधि के साथ साथ प्रयोग की विधि भी समझाई गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस उपकरण के प्रयोग से, मरीज द्वारा उत्पन्न होने वाले संक्रमण से चिकित्सक एवं चिकित्सकीय टीम को बचाया जा सकेगा। इस संबंध में पूछे जाने पर डॉक्टर विवेक गुप्ता ने बताया कि जब भी हम मरीज का इलाज अथवा आईसीयू के अंदर उसके साथ किसी तरह का मेडिकल प्रोसीजर करते हैं तो हमें मरीज के काफी नजदीक होकर उन कार्यों को पूरा करना पड़ता है।
ये भी पढ़ें- यहां कोरोना से 65 साल की महिला की मौत, सामने आए 26 नये केस, मचा हड़कंप
इसके साथ साथ मरीज की सेवा सुश्रुषा के दौरान चिकित्सकीय स्टाफ को भी लगातर मरीज के संपर्क में रहना पड़ता है। इसी तरह से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की स्वास से निकलने वाले विषाक्त और अन्य पार्टिकल जिन्हें हम चिकित्सकीय भाषा में एरोसॉल कहते हैं बड़ी मात्रा में निकलकर हमारे ऊपर दुष्प्रभाव डालते हैं। इस जीवन रक्षक उपकरण के प्रयोग से उन्हें काफी हद तक सीमित किया जा सकता है। हालांकि चिकित्सक और चिकित्सकों को अपने परंपरागत सुरक्षा उपायों को भी कड़ाई से अपनाना होगा।
कौन हैं ड़ा विवेक गुप्ता
कोरोना से लड़ रही मेडिकल टीम के लिए लाइफ बॉक्स सुझाने वाले ड़ा विवेक गुप्ता जनपद जौनपुर के मूल निवासी है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा नगर के नगर पालिका इंटर कॉलेज से हुई है। बीआरडी कॉलेज गोरखपुर के चिकित्सा स्नातक एवं एनेस्थीसिया व क्रिटिकल केयर में विशेषज्ञ संप्रति हीरो डीएमसी हार्ट सेंटर लुधियाना में कंसलटेंट है। क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक गुप्ता "एकमो" के अभिनव प्रयोग द्वारा सल्फास पीड़ितों की प्राण रक्षा के लिए चर्चित हैं।
ये भी पढ़ें- 30 तक बढ़ा लॉकडाउन: इस राज्य के सीएम ने किया ऐलान, अभी रहें घरों में
उन्होंने एकमों मशीन के द्वारा सल्फास पीड़ितों के इलाज की विधि विकसित की है। कोरोना वायरस के प्रादुर्भाव के साथ ही चिकित्सा जगत में जबरदस्त बदलाव हो गया है। जिसमें सदियों से चली आ रही चिकित्सा विधि, दवाएं और चिकित्सा शास्त्र लगभग औचित्यहीन हो जाएंगे। इस महामारी ने यह संकेत दिया है कि आने वाले भविष्य में चिकित्सा जगत को ऐसी कई नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार होना पड़ेगा।
कपिल देव मौर्य