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कौन थे अल्लामा इकबाल: जिसने जिन्ना को दिया था भारत के विभाजन का विचार

29 दिसंबर 1930 को इलाहाबाद में इंडियन मुस्लिम लीग के 21वें सत्र में अध्यक्षीय भाषण करते हुए इस विचार को रखते हुए अल्लामा इकबाल ने कहा था कि पंजाब, उत्तर-पश्चिम फ्रंटियर प्रांत, सिंध और बलूचिस्तान को मिला कर एक नया देश बनाया जाए

Newstrack
Published on: 9 Nov 2020 8:41 AM GMT
कौन थे अल्लामा इकबाल: जिसने जिन्ना को दिया था भारत के विभाजन का विचार
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कौन थे अल्लामा इकबाल: जिसने जिन्ना को दिया था भारत के विभाजन का विचार (Photo by social media)

लखनऊ: हम अक्सर देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो कर गुनगुनाते है 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा...'। 'तराना-ए-हिंद' नाम का यह गीत वर्ष 1877 में आज ही के दिन सियालकोट में जन्मे मोहम्मद इकबाल ने वर्ष 1904 में लिखा था। अपने समय के मशहूर कवि इकबाल ने अधिकांश रचनायें फारसी में की है। लेकिन क्या आप ये जानते है कि देश के विभाजन का विचार देने वाले इकबाल पहले व्यक्ति थे। मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग के प्रणेता भी इकबाल ही थे। यही कारण है वह पाकिस्तान के राष्ट्रकवि है और वहां उन्हे 'अल्लामा इकबाल' कहा जाता है।

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इकबाल ने जिन्ना को भारत की राजनीति में फिर से प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया

29 दिसंबर 1930 को इलाहाबाद में इंडियन मुस्लिम लीग के 21वें सत्र में अध्यक्षीय भाषण करते हुए इस विचार को रखते हुए अल्लामा इकबाल ने कहा था कि पंजाब, उत्तर-पश्चिम फ्रंटियर प्रांत, सिंध और बलूचिस्तान को मिला कर एक नया देश बनाया जाए। इसके बाद ही उन्होंने जिन्ना को अपने साथ शामिल कर पाकिस्तान के निर्माण के लिए जदोजहद चालू की। इकबाल ने जिन्ना को लंदन से वापस आकर भारत की राजनीति में फिर से प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया था।

Allama Iqbal Allama Iqbal (Photo by social media)

जिन्ना को पाकिस्तान निर्माण के आंदोलन से जोड़ने के दौरान ही अपनी मौत से पहले वर्ष 1938 में उन्होंने एक भाषण के दौरान कहा था कि मुसलमानों के पास केवल एक ही रास्ता है, उन्हे जिन्ना के हाथों को मजबूत करना चाहिए, उन्हें मुस्लिम लीग में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि लोग कहते हैं कि उनकी मांग सांप्रदायिक है, यह झूठ है। हमारी मांगें हमारे राष्ट्रीय अस्तित्व की रक्षा से संबंधित हैं। उन्होंने जिन्ना की भरपूर पैरवी करते हुए कहा था कि मुस्लिम लीग केवल जिन्ना के कारण सफल हो सकता है। अब जिन्ना ही मुसलमानों की अगुआई करने में सक्षम है।

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वर्ष 1927 में वह पंजाब असेंबली के चुनाव में जीते

इकबाल राष्ट्रवाद के भी विरोधी थे और इसी संबंध में उन्होंने वर्ष 1910 में एक और गीत 'तराना ए मिल्ली' लिखा था जिसके बोल थे, 'चीन-ओ-अरब हमारा, हिन्दोस्तां हमारा, मुस्लिम है वतन है, सारा जहां हमारा...'। इस 'तराना ए मिल्ली' के जरिए इकबाल ने मुस्लिम उम्माह (इस्लामिक राष्ट्रों) को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि इस्लाम में राष्ट्रवाद का समर्थन नहीं किया गया है। उन्होंने दुनिया में कहीं भी रह रहे सभी मुसलमानों को एक ही राष्ट्र के हिस्से के रूप में मान्यता दी, जिसके नेता मुहम्मद हैं, जो मुसलमानों के पैगंबर है। वर्ष 1927 में वह पंजाब असेंबली के चुनाव में जीते और 1931 में इकबाल ने लंदन में गोलमेज सम्मेलन में भारतीय मुस्लिम प्रतिनिधि सदस्य की हैसियत से हिस्सा भी लिया था। उनके तमाम विचारों पर 'रीकंस्ट्रक्शनऑफ रिलिजियस थॉट इन इस्लाम' नामक एक किताब भी छापी गई थी।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव

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