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नहीं रहा सबसे किफायती गेंदबाज, टेस्ट में फेंके थे लगातार 21 मेडन ओवर
उन्हें मेडन ओवर के बादशाह के रूप में याद किया जाता है। इंग्लैंड के खिलाफ एक टेस्ट में उन्होंने ऐसी किफायती गेंदबाजी की थी जो इतिहास में दर्ज हो गई। हम बात कर रहे हैं भारतीय क्रिकेट के दिग्ग्ज खिलाड़ी रहे रमेशचंद्र गंगाराम बापू नाडकर्णी की जिनका लंबी बीमारी के बाद मुंबई में निधन हो गया।
मुंबई: उन्हें मेडन ओवर के बादशाह के रूप में याद किया जाता है। इंग्लैंड के खिलाफ एक टेस्ट में उन्होंने ऐसी किफायती गेंदबाजी की थी जो इतिहास में दर्ज हो गई। हम बात कर रहे हैं भारतीय क्रिकेट के दिग्ग्ज खिलाड़ी रहे रमेशचंद्र गंगाराम बापू नाडकर्णी की जिनका लंबी बीमारी के बाद मुंबई में निधन हो गया। वे भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य चयनकर्ता भी रह चुके थे। उनके निधन पर क्रिकेट के दिग्गजों ने शोक जताया है।
87 साल के बापू ने अपनी जिंदगी का ज्यादातर वक्त वर्ली की मशहूर स्पोट्र्स फील्ड बिल्डिंग में बिताया। वह बीते पांच साल से पवई में अपनी बेटी और दामाद के साथ रह रहे थे। बापू ने अपने क्रिकेटीय करियर में 41 टेस्ट मैच खेले। इस दौरान उन्होंने 29.07 के औसत से 88 विकेट लिए। इसके साथ ही उन्होंने 25.70 के औसत से 1414 रन भी बनाए। करियर के दौरान उन्होंने एक शतक और सात अर्धशतक
हैरतअंगेज बॉलिंग विश्लेषण
बाएं हाथ के स्पिनर नाडकर्णी ने मेडन ओवर फेंकने का रिकॉर्ड इंग्लैंड के खिलाफ कायम किया था। नाडकर्णी ने इंग्लैड के खिलाफ 1964 में यह कमाल किया था। उन्होंने लगातार 21 ओवर (21.5 ओवर या 131 गेंद) मेडन फेंककर सबको चौंका दिया था। यह टेस्ट मैच मद्रास (अब चेन्नै) के नेहरू स्टेडियम में खेला गया था। इस मैच में उनका बॉलिंग विश्लेषण गजब का था। उन्होंने 32 ओवर में सिर्फ पांच रन दिए थे। उनका गेंदबाजी का विवरण 32-27-5-0 था। इस टेस्ट में उनके बॉलिंग के स्पैल को देखना भी दिलचस्प है। उनके चार स्पैल को देखें तो पहला स्पेल 3-3-0-0 (दूसरा दिन), दूसरा स्पेल 7-5-2-0 (तीसरा दिन), तीसरा स्पेल 19-18-1-0 (तीसरा दिन) और चौथे स्पेल 3-1-2-0 (चौथा दिन)।
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कई अन्य मैचों में भी किफायती गेंदबाजी
ऐसा नहीं है कि कि नाडकर्णी ने सिर्फ एक ही मैच में किफायती गेंदबाजी की थी। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1960-61 में कानपुर में भी रन देने के मामले में काफी कंजूसी दिखाई थी। यहां उनका प्रदर्शन था 32-24-23-0। इसके बाद दिल्ली में भी उनका प्रदर्शन काबिलेतारीफ रहा। 34-24-24-1 का आंकड़ा उनके किफायती होने पर मुहर लगाता है। 41 टेस्ट मैचों में उनका इकॉनमी रेट सिर्फ 1.67 प्रति ओवर रहा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1959 में बॉम्बे (अब मुंबई) के ब्रेब्रॉन स्टेडियम में उन्होंने 51 ओवर में 105 रन देकर छह विकेट लिए। नाडकर्णी के बारे में एक बात कही जाती है कि उन्हें अपनी गेंद पर किसी बल्लेबाज का रन बनाना मंजूर नहीं था। अगर उनकी गेंद पर रन बन जाए तो उन्हें बहुत बुरा लगता था। वह लगातार एक ही स्थान पर गेंदबाजी करके बल्लेबाज के संयम को परखते थे और उसे परेशान करते थे।
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कमाल के फील्डर भी थे नाडकर्णी
शानदार गेंदबाज के साथ ही वह कमाल के फील्डर भी थे। उस जमाने के लोग अब भी में लेग स्लिप पर उनके फजल महमूद के कैच को याद करते हैं जो उन्होंने 1961 में दिल्ली टेस्ट में पकड़ा था। इसके अलावा अन्य मैचों में भी वे शानदार फील्डिंग से सबका दिल जीत लेते थे। नाडकर्णी 1981 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने वाली भारतीय टीम के कोच थे। इस दौरे पर तब बड़ा विवाद हो गया था जब सुनील गावसकर ने मेलबर्न टेस्ट से वॉकआउट करने की धमकी दी थी। 1987 विश्व कप के दौरान वह मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के संयुक्त सचिव भी रहे।
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दिग्गजों ने जताया शोक
नाडकर्णी के निधन पर क्रिकेट के तमाम दिग्गजों ने गहरा दुख जताया है। महान बल्लेबाज सुनील गावसकर ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि मैं उनके निधन की खबर सुनकर काफी दुखी हूं। वह बहुत अच्छे इनसान थे। मैंने उनसे कभी हार न मानने के बारे में बहुत कुछ सीखा। नाडकर्णी की फेवरिट लाइन थी, छोड़ो मत। उनके निधन से भारतीय क्रिकेट ने एक असली हीरा खो दिया। टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने कहा कि उनके निधन से बहुत दुख पहुंचा है। वे न्यूजीलैंड पर मेरे पहले मैनेजर (1981) थे। वह बहुत भद्र इनसान थे। उनके परिवार के प्रति मेरी पूरी संवेदनाएं हैं।
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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने नाडकर्णी को याद करते हुए कहा कि जब मुझे 1987 में भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया तब वे मुख्य चयनकर्ता थे। दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उनके निधन की खबर दुख पहुंचाने वाली है। मैं उनके रिकॉर्ड 21 ओवर लगातार मेडन फेंकने के बारे में सुनकर बड़ा हुआ। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। भारतीय क्रिकेट में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।