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Agra Bateshwar Dham History: 101 शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है यह पवित्र स्थान, जहाँ यमुना बहती है उल्टी
Agra Bateshwar Dham History: यमुना नदी का प्रवाह उल्टी दिशा में पूर्व से पश्चिम की ओर हो जाता है। राजा ने मंदिरों के निर्माण के लिए यमुना की धारा की दिशा को भी बदल दिया था। यहाँ पर राजा ने एक बाँध भी बनवाया था। बटेश्वर नाथ मंदिर का उल्लेख रामायण, महाभारत और मत्स्य पुराण की पवित्र लिपियों में मिलता है। आपको बता दें कि 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का जन्म शौरीपुर में हुआ था।
Agra Bateshwar Dham History: ताजमहल के लिए प्रसिद्ध आगरा शहर से 72 किमी की दूरी पर यमुना नदी के तट पर स्थित बटेश्वर धाम उत्तर प्रदेश का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर शहर है। बटेश्वर हिंदुओं और जैनियों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। बटेश्वर नाम यहाँ पर स्थित भगवान शिव को समर्पित मुख्य मंदिर बटेश्वरनाथ से लिया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां एक बरगद के पेड़ के नीचे भगवान शिव ने कुछ समय के लिए विश्राम किया था, इसलिए इस स्थान को बटेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। बहुत कम लोग जानते होंगे कि ये वही बटेश्वर है जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव भी है।
यहाँ पर हैं 101 शिव मंदिर
यह स्थान यमुना और शौरीपुर के तट पर स्थित 101 शिव मंदिरों के लिए जाना जाता है। बताया जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण राजा बदन सिंह भदोरिया ने करवाया था। यही वो जगह है जहाँ यमुना नदी का प्रवाह उल्टी दिशा में पूर्व से पश्चिम की ओर हो जाता है। राजा ने मंदिरों के निर्माण के लिए यमुना की धारा की दिशा को भी बदल दिया था।
यहाँ पर राजा ने एक बाँध भी बनवाया था। बटेश्वर नाथ मंदिर का उल्लेख रामायण, महाभारत और मत्स्य पुराण की पवित्र लिपियों में मिलता है। आपको बता दें कि 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का जन्म शौरीपुर में हुआ था।
बटेश्वर धाम का पौराणिक महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बटेश्वर धाम को वह पवित्र स्थान माना जाता है जहां भगवान कृष्ण ने दिव्य "ब्रज चौरासी कोस यात्रा" की थी। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने विभिन्न पवित्र स्थानों की यात्रा के लिए इस क्षेत्र के चारों ओर 84 कोस (लगभग 270 किलोमीटर) की दूरी तय की थी। इस यात्रा के दौरान बटेश्वर को महत्वपूर्ण पड़ावों में से एक माना जाता है।
बटेश्वर धाम का इतिहास प्राचीन काल से मिलता है। यह स्थान भगवान शिव को समर्पित कई प्राचीन मंदिरों से युक्त है। ऐसा माना जाता है कि इनमें से कुछ मंदिरों का निर्माण गुप्त काल (लगभग चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी) के दौरान किया गया था और बाद में विभिन्न शासकों और राजवंशों द्वारा उनका जीर्णोद्धार किया गया था।
बटेश्वर पशु मेला
बटेश्वर पशु मेला, जो हर साल आयोजित होता है, पशुधन के व्यापार केंद्र के रूप में एक लंबा इतिहास रखता है। मेले की उत्पत्ति कई शताब्दियों में देखी जा सकती है, जो इसे उत्तर भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े पशु मेलों में से एक बनाती है। बटेश्वर धाम ने स्थानीय समुदायों के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में काम किया है, यहां पीढ़ियों से विभिन्न त्योहार, अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम मनाए जाते रहे हैं।
बटेश्वर धाम कैसे पंहुचें
बटेश्वर धाम बटेश्वर आगरा और इटावा के बीच में है और बाह से 8 किमी दूर है। आगरा यहाँ से 70 किमी दूर है। बटेश्वर सड़क और रेल मार्ग दोनों से जुड़ा हुआ है। आगरा-बाह रोड इस शहर से होकर गुजरती है। यहाँ पर बटेश्वर हॉल्ट रेलवे स्टेशन भी है। लेकिन यहाँ मेल, एक्सप्रेस ट्रेनें नहीं रूकती हैं। सैफई हवाई पट्टी निजी हवाई जहाजों के लिए निकटतम हवाई पट्टी है वहीँ आगरा हवाई अड्डा और ग्वालियर हवाई अड्डा उतर कर भी यहाँ आसानी से पंहुचा। यह जगह ग्वालियर के भी नजदीक है और यहाँ से सड़क मार्ग से मात्र दो घंटे में बटेश्वर धाम पंहुचा जा सकता है।