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दर्शन मात्र से कल्याण: इतना पवित्र ये स्थान, यहीं हुआ था कृष्ण और सुदामा का मिलाप

इस मंदिर में कृष्णन और सुदामा की प्रतिमाओं की पूजा होती है। मान्यता है कि द्वारका यात्रा का पूरा फल तभी मिलता है जब आप भेट द्वारका की यात्रा करते हैं।

suman
Published on: 27 Jan 2021 6:11 AM GMT
दर्शन मात्र से कल्याण: इतना पवित्र ये स्थान, यहीं हुआ था कृष्ण और सुदामा का मिलाप
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कृष्ण और सुदामा के मिलान की नगरी है भेट द्वारका, जानें इसके बारे में

द्वारिका: कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ और बचपन वृंदावन गोकुल में बिता। लेकि कृष्ण ने द्वारका में राज किया। यही उन्होने अपनी नगरी बसाई। हिन्दू धर्म के लोगों का एक पवित्र धार्मिक स्थल है द्वारिका ।सामन्य रूप में श्री कृष्ण के धाम को द्वारिका माना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि द्वारिका तीन भागों में बटी है मुख्य द्वारिका, गोमती द्वारिका और भेंट द्वारिका।

भेंट द्वारिका

गोमती द्वारिका वह स्थान है जहां श्री कृष्ण ने राज काज किया था और अपनी 16108 रानियों के साथ यहां निवास किया था। मुख्य द्वारिका में सुदामा जी निवास करते थे और भेंट द्वारिका जहां प्रभु श्री कृष्ण अपनी पटरानियों सहित निवास करते थे। इस जगह को गुजरात में बेट द्वारिका के नाम से जान जाता है।

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कृष्ण और सुदामा की पूजा

भेट का मतलब मुलाकात और उपहार भी होता है। इस नगरी का नाम इन्हीं दो बातों के कारण भेट पड़ा। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की अपने मित्र सुदामा से भेट हुई थी। जो गोमती द्वारका से यह स्थान 35 किलोमीटर दूर है।इस मंदिर में कृष्णन और सुदामा की प्रतिमाओं की पूजा होती है। मान्यता है कि द्वारका यात्रा का पूरा फल तभी मिलता है जब आप भेट द्वारका की यात्रा करते हैं।

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चावल दान करने की परम्परा

यह की मान्यता द्वापर युग से जुड़ी है जब सुदामा अत्यंत गरीबी में समय व्यतीत कर रहे थे तब उनकी पत्नी ने उनको कृष्ण से मिलने का सुझाव दिया और सुदामा जी कृष्णा से मिलने गए तो भेंट स्वरुप उनके लिए एक कपडे में चावल बांध कर ले गए और प्रभु श्री कृष्ण ने उनके यही चावल खाकर उनकी दरिद्रता को दूर किया। यही वजह है कि यहां आज भी चावलों का दान किया जाता है।

यहां के पुजारी के अनुसार एक बार संपूर्ण द्वारका नगरी समुद में डूब गई थी, लेकिन भेंट द्वारका बची रही द्वारका का यह हिस्सा एक टापू के रूप में मौजूद है। मंदिर का अपना अन्न क्षेत्र भी है। यहां मंदिर का निर्माण 500 साल पहले महाप्रभु संत वल्लएभाचार्य ने करवाया था। मंदिर में मौजूद भगवान द्वारकाधीश की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि इसे रानी रुक्मिणी ने स्वयं तैयार किया था।

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ऐसे पहुंचे

इस पवित्र स्थल के दर्शन अक्टूबर से मार्च तक का समय यहां जाने के लिए अच्छा रहता है क्योंकि आइलैंड होने की वजह से यहां सर्दियों में अधिक ठण्ड नहीं पड़ती और मौसम सुहाना रहता है। इस स्थान पर आने वाले श्रद्धालु कुछ ही घंटे का सफर तय करके ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के दर्शन भी कर सकते हैं।

द्वारका नगरी से भेंट द्वारका की दूरी करीब 35 किलोमीटर है जिसमें 30 किलोमीटर सड़क मार्ग से ओखा जा सकते हैं। यहां से 5 किलोमीटर नाव द्वारा समुद्री मार्ग पार करके भेट द्वारका जा सकते है

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