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Famous Food in Jhansi: झाँसी का एक ऐसा रेस्टोरेंट जहाँ मिलेगा देसी बुंदेली व्यंजनों का अनोखा स्वाद
Gau Kripa Bundeli Bhojnalaya Jhansi: ऐसा ही बुंदेली व्यंजन परोसने के लिए झाँसी का गोकृपा बुंदेली भोजनालय प्रसिद्ध है। यहाँ आकर आपको कलयुग में सतयुग की फीलिंग आने लगेगी। यहाँ का पूरा सेटअप गांव की तरह बनाया गया है। झांसी से 40 किमी दूर तालबेहट में स्थित इस रेस्टोरेंट में सबकुछ आर्गेनिक मिलता है।
Gau Kripa Bundeli Bhojnalaya Jhansi: उत्तर प्रदेश अपने आप में अनोखा राज्य है। यह स्टेट यूरोप के कई देशों से भी बड़ा है। अब अगर बड़ा है तो विविधता भी होगी ही। ऐसे ही विविधता से भरा यूपी के एक क्षेत्र है बुंदेलखंड। बुंदेलखंड यूपी के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी फैला हुआ है। बुन्देलखण्ड की पहचान इसके ऊबड़-खाबड़ इलाके, चट्टानी पहाड़ियाँ और उपजाऊ मैदान हैं। यह क्षेत्र अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
इन बातों के अतिरिक्त बुंदेलखंड अपने विशेष देसी भोजन के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। बुन्देलखण्डी व्यंजन अपने अनूठे और स्वादिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है, जो बुन्देलखण्ड क्षेत्र की समृद्ध पाक विरासत को प्रदर्शित करता है। बुन्देलखण्ड का भोजन क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कृषि पृष्ठभूमि को दर्शाता है। बुन्देलखण्ड का पारंपरिक भोजन हार्दिक, स्वादिष्ट और स्थानीय सामग्रियों के उपयोग से प्रभावित है।
गोकृपा बुंदेली भोजनालय झाँसी (Gau Kripa Bundeli Bhojnalaya Jhansi)
ऐसा ही बुंदेली व्यंजन परोसने के लिए झाँसी का गोकृपा बुंदेली भोजनालय प्रसिद्ध है। यहाँ आकर आपको कलयुग में सतयुग की फीलिंग आने लगेगी। यहाँ का पूरा सेटअप गांव की तरह बनाया गया है। झांसी से 40 किमी दूर तालबेहट में स्थित इस रेस्टोरेंट में सबकुछ आर्गेनिक मिलता है। यहाँ के फर्श और दीवार गाय के गोबर से लीपे जाते हैं तो वहीँ यह रेस्टोरेंट भी झोपडी में बनाया गया है। यहाँ पर आपको खाना भी पत्तल में ही मिलता है।
क्यों बनाया ऐसा रेस्टोरेंट जानें इसके मालिक से
इस यूनिक रेस्टोरेंट के मालिक का नाम है महेंद्र सिंह यादव। उनका कहना है कि आज आधुनिकता के दौर में हम सब प्रकृति को छोड़ कर प्रगति की तरफ भाग रहे हैं। ऐसे में हम तकनीकी रूप से एडवांस तो हो रहे हैं लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं। उनका कहना था कि हमारे पूर्वज लम्बे समय तक बिना किसी दवा के स्वस्थ रहते थे क्योंकि वो प्रकृति से जुड़े रहते थे। इस रेस्टोरेंट के माध्यम से मैंने लोगों को प्रकृति से जोड़ने का ही प्रयास किया है। इस रेस्टोरेंट में अंदर जाने से पहले आपको जूते, चप्पल यहाँ तक की मोज़े भी उतार देने होते हैं। प्रवेश करने से पहले एक व्यक्ति आपका हाथ साफ़ पानी से धुलवाता है। यहाँ पर आपको जमीन पर बैठ कर पंक्ति में खाने की व्यवस्था की गयी है। ज लोग जमीन पर नहीं बैठ सकते उनके लिए कुर्सी-टेबल की भी व्यवस्था भी है।
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क्या-क्या मिलता है खाने में
महेंद्र सिंह यादव ने बताया कि इस रेस्टोरेंट में खाने को कढ़ी, भात, फुल्का, बर्रा (उरद की दाल), चने की दाल, बरा बुरो, गौरस, भर्वा, लहसुन की चटनी, गकारिया (लिट्टी या बाटी) गराईया जैसे बुंदेली व्यंजन आपको यहाँ भोजन में मिलते हैं। यहाँ पर बनी हुई रोटी का आटा वहीँ सील पर पीसा जाता है। मट्ठा भी वहीँ मिट्टी के मटकियों में बनाते हुए महिलाएं दिख जाएँगी। यही नहीं यहाँ पर छोटे बच्चों के लिए भी पुराने ज़माने के मनोरंजन के साधन मिल जायेंगे। बहुत छोटे बच्चों के लिए यहाँ एक पालना भी है जिसमे बच्चों को सुला कर माताएं आसानी से खाना खा सकती हैं।
क्या खास है यहाँ के किचन में
यहाँ पर खाना आपको पारम्परिक तरीकों से तैयार किया हुआ ही मिलेगा। बुंदेलखंड में चूल्हे का एक रूप होता हो तेओ। जिसमे बड़े बड़े लक्कड़ दाल कर खाना पकाया जाता है। तेओ पर ही मिट्टी की मटकी में कढ़ी, दाल और चावल पकाया जाता है। महेंद्र सिंह यादव कि दाल पकाते समय उसके झाग को निकाल दिया जाता है जिससे की यूरिक एसिड बनने की संभावना ख़त्म हो जाती है। चूल्हे पर ही आलू, टमाटर और बैगन को भुना जाता है और उसके बाद उसका भर्ता बनाया जाता है। इसके साथ ही चूल्हे पर ही गाकारिया यानी लिट्टी बनती है। यहाँ पर मसाले, चटनी सील-बट्टे पर ही पीस कर परोसी जाती है।
रेस्टोरेंट के साथ ही उगाते हैं फसल
महेंद्र सिंह यादव ने बताया कि यहाँ के भोजन में इस्तेमाल होने वाले दाल, चावल और सब्जियों को रेस्टोरेंट के पीछे ही आर्गेनिक फार्मिंग के जरिये उगाया जाता है और वहीँ चीज़ें यहाँ इस्तेमाल की जाती हैं। उन्होंने बताया कि आर्गेनिक फार्मिंग के नाते ही यहाँ का भोजन स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी होता है। रेस्टोरेंट के अलावा यहाँ मड हाउस भी बनाये गए हैं, जहाँ गर्मी में सर्दी और सर्दी में आपको गर्मी लगेगी। यहाँ पर दो-चार घंटे विश्राम करने के कोई भी पैसे नहीं लिए जाते हैं।