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Lucknow Famous Food: कभी चखा लखनऊ का ये नवाबी खाना, आइए जाने इसका इतिहास और स्वाद
Lucknow Famous Food Mutanjan: मुतंजन मूलतः दिखती तो बिरयानी की तरह है, लेकिन इसे बिरयानी समझने की भूल ना करें। यह देखने में तो काफी हद तक बिरयानी जैसा लग सकता है, लेकिन असल में यह मटन और चावल से बनी एक मिठाई है। हालांकि इसे जरदा या मीठा चावल भी नहीं समझना चाहिए। तो फिर आखिर यह है क्या? असल में मुतंजन चावल और बिना हड्डी के मटन के साथ बनाया जाने वाला एक मिठाई है।
Lucknow Famous Food Mutanjan: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक समृद्ध पाक विरासत है जिसने दुनिया को कई अनूठे व्यंजन दिए हैं। लखनवी व्यंजन, जिसे अक्सर अवधी व्यंजन कहा जाता है, अपनी विस्तृत तैयारियों, सुगंधित मसालों और स्वादों के अनूठे मिश्रण के लिए जाना जाता है। यहाँ की बिरयानी, कबाब, शीरमाल और निहारी-कुल्चा तो पहले से ही प्रसिद्ध है। लेकिन व्यंजनों की दुनिया में लखनऊ की एक और देन 'मुतंजन' है जो शायद अब विलुप्त सी हो गयी है।
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क्या है मुतंजन (What is Mutanjan)
मुतंजन मूलतः दिखती तो बिरयानी की तरह है, लेकिन इसे बिरयानी समझने की भूल ना करें। यह देखने में तो काफी हद तक बिरयानी जैसा लग सकता है, लेकिन असल में यह मटन और चावल से बनी एक मिठाई है। हालांकि इसे जरदा या मीठा चावल भी नहीं समझना चाहिए। तो फिर आखिर यह है क्या? असल में मुतंजन चावल और बिना हड्डी के मटन के साथ बनाया जाने वाला एक मिठाई है। इसमें मटन और चावल के अलावा मक्खन, दूध, क्रीम में उबालकर इसमें केसर, काजू, किशमिश, बादाम, मखाना और खोया डाल कर लकड़ी की आंच पर धीरे-धीरे पकाया जाता है। परोसने से पहले इसके ऊपर वर्क (चांदी की पत्ती) लगाया जाता है।
क्या मुतंजन दुनिया को है लखनऊ की देन
अंग्रेजी वेबसाइट बीबीसी के अनुसार मुतंजन शब्द फ़ारसी-अरबी शब्द मुतज्जन से आया है जिसका अर्थ है 'कड़ाही में तला हुआ'। यह माना जाता है कि मुतंजन मध्य पूर्वी मूल का व्यंजन है। हालाँकि, मध्ययुगीन अरब पाककला में मुतज्जन नामक व्यंजन की शैली भारतीय उपमहाद्वीप के चीनी-युक्त चावल और मांस के व्यंजन से बहुत कम मिलती है। 'क़दीम लखनऊ की आख़िरी बहार' किताब में लेखक मिर्ज़ा जाफ़र हुसैन 13 उपहारों के बारे में लिखते हैं जिनके बारे में उनका मानना है कि पुराने लखनऊ ने दुनिया को दिया है। इनमें से उन्होंने नाजुक मुतंजन का नाम रखा। इतिहासकारों ने यह भी दस्तावेज किया है कि कैसे रात के खाने के लिए या नवाब के घर से लोगों को भेजे जाने वाले भोजन में अन्य व्यंजनों के साथ-साथ मुतंजन भी शामिल होता था। बीबीसी लिखता है कि संभवतः यह व्यंजन शायद मुगल बादशाह की शाही रसोई से नवाब के घर में आया था।
मुसलमानों के लिए है मुतंजन एक खास डिश
भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों के लिए, मुतंजन एक विशेष व्यंजन है, जो सांस्कृतिक यादों और भावनाओं से भरपूर है। बीबीसी लिखता है कि देश के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर क्षेत्र में, जब एक नई दुल्हन अपने पति के लिए अपने माता-पिता का घर छोड़ती थी, तो उसके साथ मुतंजन की एक विशाल हांडी भेजने की प्रथा थी। मुतंजन एक सामन्य डिश नहीं है, मतलब रोजमर्रा की डिश नहीं है। यह विशेष मौकों पर बनाये जाने वाला व्यंजन है। इसे मुस्लिम लोग खास तौर पर शादी या ईद जैसे त्योहारों के मौके पर ही बनाते हैं। आज लखनऊ में भी एक अच्छा मुतंजन ढूंढना आसान नहीं है। इस व्यंजन को अक्सर ज़र्दा (मीठा, पीला चावल) और अन्य मीठे चावल के व्यंजनों के साथ भ्रमित किया जाता है। सौभाग्य से, कुछ लोग अभी भी यह व्यंजन बनाते हैं।
मुतंजन लखनऊ में कहाँ मिलता है
लखनऊ में भी यह व्यंजन आसानी से अब नहीं मिलता। लखनऊ में मुतंजन केवल चौक में रहीम के यहाँ मिलता है। यह वही रहीम है जो अपने नहारी-कुल्चा के लिए बहुत प्रसिद्ध है। मुतंजन आमतौर पर बकरीद के आसपास उपलब्ध होता है। हलाकि आप पहले से आर्डर देकर इसे बनवा सकते हैं। Now Lucknow के अनुसार रहीम के यहाँ इस व्यंजन को हाजी जुबैर बनाते हैं। हाजी के अनुसार मुतंजन के लिए यह पाक कौशल और नुस्खा उनके परदादा से उन्हें मिला है। अगर आपको मुतंजन खाना है तो एक दिन पहले आर्डर देना होता है। इसकी कीमत आमतौर पर 500 रुपये प्रति किलो होती है।