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Narayanpur Shiv Mandir Chhattisgarh: इस अनोखे मंदिर में भाई बहन के साथ पूजा करना है प्रतिबंधित, आइये जानते हैं इसकी वजह
Narayanpur Shiv Mandir Chattisgarh: स मंदिर में भाई बहन का साथ में पूजा अर्चना करने पर प्रतिबन्ध लगा हुआ है। अगर आप रक्षाबंधन के पावन मौके पर इस मंदिर में जाने कि योजना बना रहें हैँ तो भाई बहन भूलकर भी साथ में इस मंदिर में प्रवेश न करें। जानते इस मंदिर में भाई बहन के साथ जाने पर क्यों प्रतिबन्ध लगा हुआ है।
Narayanpur Shiv Mandir Chhattisgarh: इस वर्ष 30-31 2023 को रक्षा बंधन कक पवन पर्व मनाया जा रहा है। इस त्योहार में बहनें अपने भाइयों की कलाइ पर रक्षा सूत्र बांधती हैं, जिसका अर्थ होता है कि वे उनकी सुरक्षा का वादा करती हैं। भाइयों उन्हें उपहार देते हैं और इसके साथ ही वे उनकी आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। यह एक परिवारिक और संबंधों का महत्वपूर्ण पर्व है जो भाई-बहन के प्यार और संबंध को मनाता है।
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इस मौके पर सभी परिवारजन मिलकर कही बाहर घूमने भी जा सकते हैँ। भारत में एक ऐसा मंदिर है जहा भाई- बहन को एक साथ दर्शन करने कभी नहीँ जाना चाहिए। इस मंदिर में भाई बहन का साथ में पूजा अर्चना करने पर प्रतिबन्ध लगा हुआ है। अगर आप रक्षाबंधन के पावन मौके पर इस मंदिर में जाने कि योजना बना रहें हैँ तो भाई बहन भूलकर भी साथ में इस मंदिर में प्रवेश न करें। जानते इस मंदिर में भाई बहन के साथ जाने पर क्यों प्रतिबन्ध लगा हुआ है।
छत्तीसगढ़ का अनोखा मंदिर
छत्तीसगढ़ में एक अनोखा मंदिर है, जहां भाई-बहन को एक साथ प्रवेश की इजाजत नहीं है। राज्य के बलौदाबाजार में कसडोल के पास नारायणपुर गांव में स्थित मंदिर नारायणपुर के शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में दर्शन के लिए भाई-बहन को एक साथ नहीं जाना चाहिए।
मंदिर का इतिहास और नक्काशी
इस मंदिर का निर्माण 7वीं से 8वीं शताब्दी के बीच कलचुरि शासकों ने करवाया था। इस मंदिर को लाल-काले बलुआ पत्थर से बनाया गया है। मंदिर के खंभों पर कई खूबसूरत आकृतियां बनी हुई हैं। यह मंदिर 16 स्तंभों पर टिका हुआ है। प्रत्येक स्तंभ पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर में एक छोटा सा संग्रहालय है, जहां खुदाई में मिली मूर्तियां रखी हुई हैं।
भाई-बहन एक साथ मंदिर क्यों नहीं जा सकते?
यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भाई-बहन का एक साथ जाना वर्जित है। इसके पीछे एक कहानी है. मंदिर का निर्माण रात्रि के समय होता था। मंदिर छह महीने में बनकर तैयार हुआ। यह मंदिर आदिवासी समुदाय से जुड़ा है। शिल्पी नारायण रात में नग्न होकर मंदिर का निर्माण करती थी। मंदिर बनाने वाली शिल्पी नारायण की पत्नी उन्हें खाना देने आती थीं। लेकिन एक शाम नारायण की पत्नी की जगह बहन खाना लेकर निर्माण स्थल पर आ गई। क्योंकि शिल्पी नारायण नग्न होकर मंदिर बनाता था इसलिए अपनी बहन को देखकर वह लज्जित हो गया और उसने मंदिर के शिखर से कूदकर आत्महत्या कर ली। इस कारण भाई-बहन मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। इसके अलावा यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की मुख्य दीवारों पर हस्तमैथुन की मूर्तियां खुदी होने के कारण भाई-बहन यहां एक साथ आने में असहज महसूस करते हैं।