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Banswara Travel Destinations: राजस्थान में 100 द्वीपों का शहर, जानिए बांसवाड़ा का इतिहास और प्रमुख दर्शनीय स्थल

Rajasthan Banswara Travel Destinations: बांसवाड़ा राजस्थान राज्य का एक जिला है। यह भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है और मेवाड़ क्षेत्र का हिस्सा है। यह जिला उदयपुर विभाग में स्थित है और उदयपुर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आइये जानते है बांसवाड़ा जिला के बारे में विस्तार से।

Vertika Sonakia
Published on: 5 July 2023 4:02 AM GMT (Updated on: 5 July 2023 4:22 AM GMT)
Banswara Travel Destinations: राजस्थान में 100 द्वीपों का शहर, जानिए बांसवाड़ा का इतिहास और प्रमुख दर्शनीय स्थल
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Banswara Travel Destinations (Photo: Social Media)

Rajasthan Banswara Travel Destinations: बांसवाड़ा राजस्थान राज्य का एक जिला है। यह भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है और मेवाड़ क्षेत्र का हिस्सा है। यह जिला उदयपुर विभाग में स्थित है और उदयपुर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बांसवाड़ा राजस्थान का सबसे पश्चिमी जिला है और यह विंध्य पहाड़ियों के मध्य स्थित है।
बांसवाड़ा का स्थापना कालाकार ग्राम है, जिसे बांस और वाड़ा के नाम से मिलाकर बांसवाड़ा कहा जाता है। यहां ग्रामीण और संगठित उद्योगों का विकास हुआ है। बांसवाड़ा एक प्रमुख बांस वितरण केंद्र है और बांस के उत्पादन में विशेष महत्व रखता है। आइये जानते है बांसवाड़ा जिला के बारे में विस्तार से।

बांसवाड़ा का इतिहास

बांसवाड़ा का इतिहास बहुत पुराना है और इसका संबंध मेवाड़ राजवंशों से है। बांसवाड़ा के पूर्व नाम "वास्तु नाद" था और यह मेवाड़ के युद्धों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इसके बाद इस जगह को "तालवाड़ा" कहा जाने लगा। बांसवाड़ा शब्द का उद्गम भारतीय मूलशब्द "बांस" और "वाड़ा" से हुआ है, जिसका अर्थ होता है "बांसों का निवास स्थान"।

इतिहास के अनुसार, बांसवाड़ा क्षेत्र में प्राचीन काल से ही जनसंख्या बसी हुई है। यहां प्राचीनकालीन शिलालेखों, विजयस्तंभों और मंदिरों की मौजूदगी द्वारा पुष्टि मिलती है।
14वीं शताब्दी में बांसवाड़ा क्षेत्र में बाघेलखंड नामक राजवंश का प्रमुखाधिकारी विभीषण सेन का शासन था। इसके बाद 15वीं शताब्दी में राव नरेंद्र सिंह ने इस क्षेत्र पर शासन किया। बांसवाड़ा ने मेवाड़ के महाराणा प्रताप सिंह के साथ उदयपुर के संघर्षों में भी अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने अपनी राजधानी को बांसवाड़ा में स्थापित की थी और उनके नाम पर यहां का एक प्रमुख जलस्थल नरेंद्र सागर कहलाता है।

बांसवाड़ा का ऐतिहासिक महत्व मुग़ल सम्राट अकबर के समय में बढ़ा। अकबर ने इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल किया था और बांसवाड़ा को अपनी सैन्य और राजनीतिक महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र बनाया था।
18वीं सदी में, बांसवाड़ा जिले का शासकीय इतिहास बाघेलखंड राजवंश के राजाओं के साथ जुड़ता है।

राजस्थान का चेरापूंजी

बांसवाड़ा राजस्थान का चेरापूंजी नाम से प्रसिद्द है। इस नाम से प्रसिद्द होने का मुख्य कारन है राजस्थान जैसे सूखे राज्य में यहाँ सबसे अधिक और उम्मीद से अधिक वर्षा का होना। बारिश के कारण यहां की स्थानीयता और प्राकृतिक सुंदरता बढ़ जाती है। बारिश के समय आपको यहाँ अधिक पर्यटक देखने को मिलेंगे।

100 टापुओं का जिला बांसवाड़ा

बांसवाड़ा जिले का मुख्य जल स्त्रोत महानदी है। यह जिला महानदी के किनारे स्थित है। बांसवाड़ा को 100 टापुओं ka शहर भी कहा जाता है। इस नदी में 100 से अधिक टापू बने है और इसे चाचा कोटा भी कहा जाता है। इस स्थान की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य आपको सुकून देगा। महानदी की धारा बांध के निकट से शुरू होती है और विभिन्न गांवों, नगरों और शहरों को पार करते हुए दक्षिण में बहती है। इसकी सुंदरता, नदी किनारे के वन्यजीव और पिकनिक स्थल के रूप में यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती है। बाहती बाई महानदी के किनारे घूमने, वन्यजीव देखने और शांति और सुकून का आनंद लेने के लिए यहां पर्यटक आते हैं।

बांसवाड़ा के पर्यटक स्थल

1) चाचा कोटा: महानदी के बांध पर बानी यह जगह चाचा कोटा बांसवाड़ा से मात्र १४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह पहाड़ी पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है और कोटा शहर की पहचान बन चुकी है। "चाचा कोटा" के नाम का इतिहासिक पश्चात्तान नहीं है, लेकिन इसे इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां एक पहाड़ी पर बड़ी आकार की एक चाचा की तरह दिखता है।
चाचा कोटा वास्तव में एक पहाड़ी टॉप है, जिसे एक पर्यटन का स्थल बनाया गया है। यहां से शहर का पूरा नजारा देखा जा सकता है और पर्यटक इस ऊँचाई से सुंदर नजारे का आनंद लेते हैं। चाचा कोटा पर आरामदायक घाटियाँ बनाई गई हैं, जहां पर्यटक शांति और विश्राम का आनंद ले सकते हैं।

2) माही बांध: माही बांध बांसवाड़ा जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह बांध बांसवाड़ा शहर से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित है। माही बांध भारतीय राष्ट्रीय नदी माही पर बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य जल संग्रहण और सिंचाई करना है।
माही बांध का निर्माण 1983 में पूरा हुआ था। यह बांध पर्यटन, जलप्रपात और जलस्पोर्ट्स के प्रिय स्थल के रूप में मशहूर है। इसके आसपास के पहाड़ी और घाटी क्षेत्र पर्यटकों को खूबसूरत नजारे प्रदान करते हैं।
माही बांध के आसपास पिकनिक स्थल और विभिन्न आवासीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां पर्यटकों को नाव चलाने, जहाज के सफर का आनंद लेने और जलस्पोर्ट्स का आनंद लेने का मौका मिलता है। इसके अलावा, माही बांध के किनारे गांवीय जीवन का अनुभव करने, मछली पकड़ने और छोटे प्राकृतिक ट्रेकिंग की संभावना भी है।

3) रामकुंड: रामकुंड बांसवाड़ा, राजस्थान में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह स्थान मान्यता के अनुसार भगवान राम के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। रामकुंड नगर बांसवाड़ा के पश्चिमी भाग में स्थित है और इसे आराम घाटी के रूप में भी जाना जाता है।
रामकुंड में एक पवित्र कुंड है, जिसे लोग राम कुंड के रूप में भी जानते हैं। यहां पर्यटक आते हैं और अपने पूजा-अर्चना करते हैं और नदी में स्नान करते हैं। यह स्थान धार्मिक आयोजनों और विशेष अवसरों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां लोग भगवान राम की पूजा और आराधना करते हैं।
रामकुंड के पास एक मंदिर भी स्थित है, जहां श्रद्धालुओं को भगवान राम की पूजा करने का अवसर मिलता है। इसके आसपास के क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के अन्य स्थान भी हैं, जिन्हें पर्यटक देखने आते हैं। रामकुंड धार्मिक तत्वों के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।

4) कांगड़ी पिकअप: कांगड़ी पिकअप बांसवाड़ा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित है। यह एक आदिवासी क्षेत्र है जहां आप प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति का आनंद ले सकते हैं।
कांगड़ी पिकअप एक पर्यटन संघ का नाम है जो आपको जंगल में ट्रैकिंग करने का अनुभव प्रदान करता है। इसमें आपको आदिवासी गांवों, जंगलों और नदी के किनारे चलने का मौका मिलता है। यह एक अनूठा अनुभव है जहां आप आदिवासी जीवनशैली के साथ प्राकृतिक वातावरण का आनंद ले सकते हैं।
कांगड़ी पिकअप यात्रा में आपको आदिवासी संस्कृति, जीवनशैली, खाद्य, संगीत, नृत्य और आदिवासी आदतों का परिचय होगा। यहां आप आदिवासी गांवों में रुक सकते हैं, उनके साथ समय बिता सकते हैं और उनसे उनकी संस्कृति के बारे में सीख सकते हैं। आप जंगल में हाईकिंग, जीप सफारी, चर्चित झरनों के दर्शन और अन्य प्राकृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।

5) विट्ठल देव मंदिर: विठ्ठल देव मंदिर बांसवाड़ा, राजस्थान में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान विठ्ठल देव के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। यह भगवान विठ्ठल देव को समर्पित है जो विष्णु भगवान के एक रूप हैं।
विठ्ठल देव मंदिर बांसवाड़ा के मध्य स्थित है और यह भारतीय स्थानीय आदिवासी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में भक्तजन आते हैं और भगवान विठ्ठल देव की पूजा-अर्चना करते हैं। यहां पर्यटक आध्यात्मिक आयोजनों के लिए भी इस्तेमाल होता है जहां लोग धार्मिक कार्यक्रमों, आरतियों और भजन-कीर्तन सत्रों में भाग लेते हैं।
विठ्ठल देव मंदिर बांसवाड़ा धार्मिक आस्था के साथ-साथ स्थानीय कला और शिल्प का एक अद्वितीय उदाहरण है। मंदिर की वास्तुकला और आर्किटेक्चर राजपूताना संस्कृति की अद्भुतता को प्रकट करती है। यहां दिव्यता और शांति का वातावरण महसूस होता है।

6) डायलाब झील: यह झील बांसवाड़ा शहर के निकट स्थित है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच खूबसूरत दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
दयलब झील एक प्राकृतिक झील है जिसे आसपास के पहाड़ों और घने वनों ने घेरा हुआ है। यह एक सुंदर स्थान है जहां प्रकृति की शांति और सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है। यहां के पानी का रंग नीला और मार्गी हुई धूल भरा होता है, जिसे देखकर यह झील एक प्राकृतिक चमत्कार की भावना प्रदान करती है।
यहां पर्यटक बोट राइड करते हैं और झील के चारों ओर की खूबसूरत परिदृश्यों का आनंद लेते हैं। यहां आप प्रकृति के निकटता में ठहरकर शांति और स्थिरता का आनंद ले सकते हैं। इसके आसपास के क्षेत्र में प्राकृतिक वनस्पति, पक्षियों की विविधता और वन छेत्र का आनंद उठा सकते है।

7) परहेड़ा शिव मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और स्थानीय धार्मिक समुदाय के बीच महत्वपूर्ण है।
पराहेड़ा शिव मंदिर बांसवाड़ा का इतिहास महत्वपूर्ण है और इसे कई वर्षों से मान्यता और पूजा का केंद्र माना जाता है। मंदिर का निर्माण शैल्य राजस्थानी वास्तुकला के अनुरूप है और इसकी दीवारों पर विभिन्न धार्मिक आद्यात्मिक चित्रों और सुंदर मोती डिजाइन का उपयोग किया गया है।
पराहेड़ा शिव मंदिर में भक्तजन शिव भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके दर्शन का आनंद लेते हैं। यहां विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों, आरतियों और भक्ति सत्रों का आयोजन होता है जहां लोग शिव भगवान की स्तुति करते हैं और उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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