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Siddh Ashram: सिद्ध आश्रम, जहां ऐसे लोगों को नहीं मिलती एंट्री, कही आप तो नहीं

Siddh Ashram: सिद्ध आश्रम के योगियों के लिए यह भूमि अत्यंत प्रिय स्थल है। यह पर कुछ भी अभाव नही यह उच्च कोटि के योगी आते जाते रहते है। यह अत्यंत गोपनीय स्थल है।

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Published on: 6 July 2023 5:40 PM GMT
Siddh Ashram: सिद्ध आश्रम, जहां ऐसे लोगों को नहीं मिलती एंट्री, कही आप तो नहीं
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Siddh Ashram (Pic: Social Media)

Siddh Ashram: पृथ्वी पर तीन ही स्वर्ग है। जिन्हें स्वर्ग कह सकते है। दो प्रत्यक्ष एक अप्रत्यक्ष पहला है। सिद्ध आश्रम यह अप्रत्यक्ष है। जिसे हम देख नही सकते। मगर ध्यान के माध्यम से यहां पहुच सकते है। ये फिर सिद्ध अवस्था प्राप्त होने पर यह रहने का अधिकारी हो जाते है। अर्थात सूक्ष्म लोक दूसरा है। मानसरोवर यह स्थान प्रत्यक्ष है। इसे देखा जा सकता है। और यह ध्यान अथवा सशरीर भी यह पर जा सकते है। यह प्रत्यक्ष है।

सिद्ध आश्रम के योगियों के लिए यह भूमि अत्यंत प्रिय स्थल है। यह पर कुछ भी अभाव नही यह उच्च कोटि के योगी आते जाते रहते है। यह अत्यंत गोपनीय स्थल है। हर कोई यह प्रवेश नही कर सकता। इसके मुख्य द्वार पर तरह तरह की योगनियों द्वारा देख रेख होती है। जो किसी भी दशा में अयोग्य को प्रवेश नही करने देते। मगर इसमें सूक्ष्म में निकलकर कुछ घण्टों के लिए प्रयोग कर सकते है। जब तक वह सविकल्प समाधि में साधक है।

मानसरोवर भी किसी स्वर्ग से कम नही मानसरोवर के निकट कानन शिला श्वेत स्फटिक पत्थर की है। जो लगभग आधी मील लम्बी और चौड़ाई भी इतनी ही है। यह भी करिश्मा ही है बाकी के चारो तरफ भूरे पत्थर हैं। यह शिला दुग्ध धवल स्फटिक की है। ऐसा लगता है जैसे देवताओ ने ही इसका निर्माण किया हो या इसे यह रख कर गए हों।

यह सम्पूर्ण संसार मे एक मात्र ऐसी शिला है। जो बिना जोड़ के है। योगी इसे कानन शिला कहते है। इस शिला की विशेषता यह है कि इस पर बैठ कर भूख प्यास निंद्रा सर्दी गर्मी आदि का कोई प्रभाव नही होता साधक आनंद पूर्वक बिना किसी बाधा के इस पर साधना कर सकता है।

इस शिला पर अक्कसर वही योगी साधना करने जाते है। जिनको अब ब्रह्मण्ड भेदन करना हो जो चौथे आयाम को प्राप्त करना चाहते हैं। यह शिला मन्त्र सिद्ध है। किसी भी प्रकार की कोई विघ्न यहां पर नही होता। जितना भी कहे उतना कम ही कम है। यहां पर योगी सूक्ष्म शरीर के द्वारा भी ब्रह्मण्ड भेदन करते हैं। मगर यह प्रक्रिया बिना पूर्ण गुरु के सम्भव नही। ब्रह्मण्ड भेदन अर्थात काल से परे स्वतन्त्र जिसे हम मोक्ष कहते हैं। बिना ब्रह्मण्ड भेदन के कितनी भी साधना कर लें चौथे आयाम को प्राप्त करना नामुकिन है । फर्क इतना है कि यहां पर साधना का फल शीघ्र मिलता है। साधना बहुत जल्दी फलित होती है। शायद इसी लिए इसको धरती का स्वर्ग कहा जाता है।

तीसरा सिद्ध आश्रम भारत की धार्मिक आध्यात्मिक राजधानी जगत माता सती की उद्गम स्थल राजा विक्रमादित्य की आराध्य कुलदेवी जगत पिता परमेश्वर त्रिदेव महाकाल की शक्ति स्थान जहा ब्रम्हा जी की लेखनी नतमस्तक हो जाती है।

भाभी मेटि सके त्रिपुरारि

उसी स्थान पर पवित्र क्षिप्रा तट पर स्थित विश्व का सबसे बड़ा पारद शिवलिंग 2500 किलो वजन का परम पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी डाक्टर नारदा नंद जी महाराज शक्ति पाताचार्य जी नें अपने जप तप ज्ञान के द्वारा विश्व कल्यान की भावना से स्थापित किया है। जो बहुत ही मनोहारी मूर्ति है। दुनिया मे इकलौता पारद शिवलिंग 2500 के जी का जो अवंतिका पुरी महाकाल उज्जैन में स्थित है। इस पारद शिवलिंग का दर्शन पूजन रुद्राभिषेक बड़े भाग्य से प्राणी कर पाता है। इस पवित्र शिवलिंग पर प्रति दिन स्वर्ण आरती किया जाता है। पारद शिवलिंग को सोना चढ़ाया और खिलाया जाता है। आप भी कर सकते एक बार अवश्य पधारें धरती के तीसरे स्वर्ग की ओर।

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