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Pahalwan Lassi in Varanasi: काशी में स्वाद पहलवान की लस्सी का, क्या आपको पता है इसका इतिहास, आइए जाने ?
Varanasi Famous Pahalwan Lassi History: अमूमन लस्सी का नाम आते ही पंजाबी फीलिंग आने लगती है। यह लगता है कि लस्सी तो पंजाब की अपनी मिल्कियत है, उसका बनारस में क्या काम? लेकिन आप अगर ऐसा सोचेंगे तो आप इस चीज़ का बनारस में स्वाद मिस कर देंगे जिसके बिना आपका भोजन तो अधूरा होगा ही, आपकी वाराणसी की यात्रा भी बेमानी होगी।
Varanasi Famous Pahalwan Lassi History: वाराणसी जिसे काशी भी कहा जाता है एक अद्भुत नगरी है। अध्यात्म की यह नगरी अपने आप में एक पूरा संसार है। शिव की यह नगरी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक महत्व के लिए तो प्रसिद्ध है ही, इस शहर में विविध और जीवंत भोजन के विकल्प भी हैं जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे।
बनारसी पान का नाम भला कौन नहीं सुना होगा। इस पान का ऐसा जूनून है की इसी नाम से यह देश के अन्य शहरों में भी बिकता है। वहीँ यह शहर कचौरी सब्जी, मलइयो, बनारसी कलाकंद, टमाटर चाट, बाटी चोखा और ठंडाई के लिए विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन आज हम इस आर्टिकल में इन चीज़ों के बारे में बात करने नहीं जा रहे। हम बात करेंगे बनारस की प्रसिद्ध लस्सी के बारे में। और अगर बात बनारस की लस्सी की चली है तो भला पहलवान लस्सी का नाम कैसे नहीं आएगा।
अमूमन लस्सी का नाम आते ही पंजाबी फीलिंग आने लगती है। यह लगता है कि लस्सी तो पंजाब की अपनी मिल्कियत है, उसका बनारस या वाराणसी में क्या काम? लेकिन आप अगर ऐसा सोचेंगे तो आप इस चीज़ का बनारस में स्वाद मिस कर देंगे जिसके बिना आपका भोजन तो अधूरा होगा ही, आपकी वाराणसी की यात्रा भी बेमानी होगी। वाराणसी में पहलवान लस्सी पर आकर आपको पता चलेगा की नहीं भाई यह पंजाबी मामला नहीं बल्कि देशी बनारस की खोज है।
वाराणसी में कहाँ है पहलवान लस्सी
काशी में आपको पहलवान लस्सी खोजने के लिए कुछ ज्यादा जद्दोजेहद नहीं करनी पड़ेगी। यह लंका पर ही स्थित है। इसका पूरा पता है पंडित मदन मोहन मालवीय रोड, रविदास गेट, साकेत नगर कॉलोनी, लंका, वाराणसी। पहलवान लस्सी की एक और ब्रांच अस्सी घाट पर भी है। पहले लंका पर एक दुकान हुआ करती थी। लेकिन अब भाइयों के बीच बटवारे के बाद यहाँ चार-पांच दुकानें पहलवान लस्सी के नाम पर खुल गयी हैं। लेकिन वहां जाते ही आपको कौन है असली और कौन है नकली इसका पता वहां लगी हुई भीड़ से ही हो जायेगा। अभी पहलवान लस्सी के ओनर मनोज यादव है। खास बात यह है कि पहलवान लस्सी swiggy पर भी उपलब्ध है। इसका मतलब आप घर बैठे इसका आनंद उठा सकते हैं। यह दुकान सुबह 8 बजे से रात के 11 बजे तक खुली रहती है।
क्या है पहलवान लस्सी का इतिहास
पहलवान लस्सी का इतिहास लगभग 73 वर्ष पुराना है। 1950 में इसको पन्ना सरदार नाम के एक व्यक्ति ने स्थापित किया था। पन्ना सरदार पहलवान थे। इसलिए इसका नाम भी पहलवान लस्सी पड़ा। यहाँ पर शरू से लेकर आज तक कुल्हड़ में ही लस्सी परोसी जाती है। खास बात यह है कि ऐसे वक़्त में जब अधिकतर लोग लस्सी को मथने और तैयार करने के लिए मशीन का प्रयोग करते हैं, पहलवान लस्सी में आज भी स्वादिष्ट लस्सी हाथ से मथ कर ही तैयार की जाती है। यहाँ आपको बड़े-बड़े बर्तनों में दही रखी हुई मिल जाएगी। उसी से लस्सी तैयार की जाती है।
क्यों है यह इतना प्रसिद्ध
पहलवान लस्सी अपनी गाढ़ी और मलाईदार लस्सी के लिए जानी जाती है, जो दही, चीनी के मिश्रण से बनाई जाती है और कभी-कभी फलों या अन्य सामग्री के साथ स्वादिष्ट बनाई जाती है। इसे पारंपरिक मिट्टी के कप जिन्हें कुल्हड़ के नाम से जाना जाता है, में परोसा जाता है, जो समग्र अनुभव में एक अनोखा स्पर्श जोड़ता है।
पहलवान लस्सी में लस्सी के ऊपर अक्सर मलाई की डाली जाती है, जो इसे एक समृद्ध और लाजवाब स्वाद देती है। ग्राहक विभिन्न स्वादों और विविधताओं में से चुन सकते हैं, जिनमें सादी लस्सी, आम की लस्सी, केले की लस्सी शामिल है। पहलवान लस्सी का एक मुख्य आकर्षण इसकी भरपूर मात्रा है, जो काफी पेट भरने वाली और ताजगी देने वाली मानी जाती है। यहाँ के एक कुल्हड़ लस्सी में आपका पेट भर जायेगा। यह दुकान स्थानीय लोगों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करती है।
लस्सी के अलावा इस दुकान पर सुबह-सुबह आपको पूरी-सब्जी भी मिलती है। इसके साथ ही यहाँ पर आपको मलइयो मिलेगा जो कि इस दुकान का एक और प्रसिद्ध आइटम है।