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क्रिसमस 2019: जानें कौन हैं असली सांता क्लॉज, क्यों देते हैं मोजे में गिफ्ट्स

सबने बचपन से ही सांता क्लॉज की कहानियां सुनी है कि लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी सफेद दाढ़ी और बालों वाले आदमी अपने कंधे पर गिफ्ट्स लेकर आते हैं और सभी बच्चों को गिफ्ट्स बांटते हैं।

Shreya
Published on: 25 Dec 2019 12:37 PM IST
क्रिसमस 2019: जानें कौन हैं असली सांता क्लॉज, क्यों देते हैं मोजे में गिफ्ट्स
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क्रिसमस 2019: जानें कौन हैं असली सांता क्लॉज, क्यों देते हैं मोजे में गिफ्ट्स

बचपन में हम सबने क्रिसमस के एक दिन पहले सांता क्लॉज का इंतजार जरुर किया होगा। सबने बचपन से ही सांता क्लॉज की कहानियां सुनी है कि लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी सफेद दाढ़ी और बालों वाले आदमी अपने कंधे पर गिफ्ट्स लेकर आते हैं और सभी बच्चों को गिफ्ट्स बांटते हैं। क्यों सुनी हैं ना? सांता जिन्हें क्रिसमस फादर या फिर सेंट निकोलस भी कहते हैं। जो क्रिसमस पर सभी बच्चों को चॉकलेट्स, गिफ्ट्स देकर उनकी मुस्कुराहट की वजह बन जाते हैं। तभी तो सब बच्चे क्रिसमस पर सांता का इंतजार करते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि असल में सांता क्लॉज किसे कहते हैं।

उत्तरी ध्रुव में रहते हैं सांता

ऐसा माना जाता है कि सांता उत्तरी ध्रुव में एक बर्फीले देश में रहते हैं और उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। सांता का ये रुप सबसे पहले 19 वीं सदी में अस्तित्व में आया था। दरअसल, संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है, जिनका जन्म करीब डेढ़ हजार साल पहले हुआ था। हालांकि सीधेतौर पर संत निकोलस और जीसस के जन्म का संबंध नहीं रहा, लेकिन आज भी सांता क्लॉज क्रिसमस का बेहद अहम हिस्सा हैं।

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मायरा में हुआ था संत निकोलस का जन्म

संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में मायरा में जीसस की मौत के 280 साल बाद हुआ था। जो एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखते थे। बचपन में ही संत निकोलस के सिर से मां-बाप का साया हट गया था। बचपन से ही वो प्रभु यीशु को बहुत मानते थे। संत बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में ‍बिशप बन गए। संत निकोलस को बच्चों और जरुरतमंदों को गिफ्ट्स देना बहुत पसंद था। इसलिए वो अक्सर उनको गिफ्ट्स दिया करते थे।

आधी रात को ही गिफ्ट्स बांटते थे संत

संत निकोलस आधी रात को ही गिफ्ट्स बांटते थे क्योंकि उन्हें ये पसंद नहीं था कि वो उपहार देते हुए नजर आए। वो लोगों को गिफ्ट्स तो देना चाहते थे लेकिन अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे। इसीलिए बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता था। आज भी कई जगह ऐसा ही माना जाता है कि अगर बच्चे जल्दी नहीं सोते तो सांता उन्हें गिफ्ट्स देने नहीं आते हैं।

मोजे में गिफ्ट्स देना...

सांता के मोजे में गिफ्ट्स देने की भी एक मशहूर कहानी है। दरअसल, एक गरीब व्यक्ति था जिसकी तीन बेटियां थीं और उसके पास उनकी शादी के लिए पैसे नहीं थे तो वो अपनी बेटियों को मजदूरी और देह व्यापार के दलदल में भेज रहा था। तब संत निकोलस ने उनकी चुपके से मदद की और उसकी तीनों बेटियों की सूख रही जुराबों (मोजे) में सोने के सिक्कों की थैलियां रख दी। तभी से ऐसा माना जाता है कि मोजे लटकाने से सांता उसमें गिफ्ट्स देते हैं।

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संत निकोलस के डच नाम सिंटर क्लास से ही सांता का नाम आया। जो बाद में सांता क्लॉज बन गया। जीजस और मदर मैरी के बाद संत निकोलस ही थे जिनको इतना सम्मान दिया गया। फ्रांस में सन् 1200 से 6 दिसम्बर को निकोलस दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन संत निकोलस की मृत्यु हुई थी। बताया जाता है कि, अमेरिका में 1773 में पहली बार सांता सेंट ए क्लॉज के रूप में मीडिया से रुबरु हुए थे।

वहीं 1930 में आज के आधुनिक युग के सांता का रुप अस्तित्व में आया। हैडन संडब्लोम नाम का एक कलाकार 35 सालों तक कोका-कोला के विज्ञापन में सांता के रुप में दिखाई देता रहा। सांता का ये नया रुप लोगों को खूब पसंद आया और लोगों ने सांता के इस रूप के स्वीकारा जो आज तक लोगों के बीच फेमस है।

आज भी सांता के एड्रेस पर भेजे जाते हैं लेटर

आज भी ऐसा माना जाता है कि सांता अपनी पत्नी के साथ और कई सारे बौनों के साथ उत्तरी ध्रुव में रहते हैं। वहां पर एक खिलौने की फैक्ट्री है जहां पर ये बौने साल भर क्रिसमस के ‍खिलौने बनाने के लिए काम करते हैं। आज भी पूरी दुनिया में सांता के कई एड्रेस हैं जहां बच्चे अपने लेटर भेजते हैं और वहां से लेटर का जवाब भी आता है। सांता के फिनलैंड वाले एड्रेस पर सबसे ज्यादा लेटर भेजे जाते हैं।

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