TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

दर्दनाक कोरोनाकाल की कहानी: सुन दर्द से तड़प उठेगें आप, भयानक आने वाले दिन

“कोरोना” एक नाम हो गया, जिसका जिक्र अगर इतिहास में भी हो, तो सुनकर रूह तक कांप जाएगी। इस महामारी ने कई मां-बाप को अपने संतान से अलग कर दिया । वो संतान जिसके लिए मां-बाप ने कई सपने सजो कर रखे थे। कितने मां-बाप तो अपने जन्म हुए बच्चे को देख भी नहीं पाए, वजह तो सिर्फ “कोरोना”।

Newstrack
Published on: 27 Nov 2020 7:22 PM IST
दर्दनाक कोरोनाकाल की कहानी: सुन दर्द से तड़प उठेगें आप, भयानक आने वाले दिन
X
दर्दनाक कोरोनाकाल की कहानी: सुन दर्द से तड़प उठेगें आप, भयानक आने वाले दिन

लखनऊ: “आप कोविड पॉजिटिव है” यह एक ऐसा वाक्य है, जिसे सुन कर अच्छे-अच्छों के हालत खराब हो जाती है। कोरोना होने की खबर सुनकर एक मोटिवेट पर्सन एक बार स्तब्ध हो जाता है। इस कोरोना ने अब तक लाखों-करोंड़ों लोगों की जान ले चुका है। किसी बच्चे के सर से मां-बाप का साया छिन लिया, तो किसी मां-बाप को जन्मे बच्चे का चेहरा देखने तक का मौका नहीं दिया। आलम यह हो गया कि मरने के बाद अंतिम बार देख भी नहीं सकते है और ना ही अंतिम विदाई। मानो कि इस कोरोना ने सालों से आए सभी रिश्तों, परम्पराओं जैसे तमाम चीजों को एक बार में ही तहस-नहस कर दिया हो।

“कोरोना” जिक्र से कांप जाएगा रूह

“कोरोना” एक नाम हो गया, जिसका जिक्र अगर इतिहास में भी हो, तो सुनकर रूह तक कांप जाएगी। इस महामारी ने कई मां-बाप को अपने संतान से अलग कर दिया । वो संतान जिसके लिए मां-बाप ने कई सपने सजो कर रखे थे। कितने मां-बाप तो अपने जन्म हुए बच्चे को देख भी नहीं पाए, वजह तो सिर्फ “कोरोना”। इस कोरोना काल में कई ऐसे बच्चे हुए जिन्हें पैदा होते ही कोरोना ने अपने बस में कर लिया। कोरोना ने बच्चों को ऐसे अपने बस में किया कि ना तो मां को बच्चों को अपना पहला दूध पिलाने का नसीब हुआ और ना बच्चे को पिता की उंगली पकड़ने का वो सुनहरा मौका। इस कोरोना ने सभी रिश्ते के अरमानों का गला घोट दिया।

ये भी पढ़ें… सस्ता सोना खरीदने का मौका: बेच रही मोदी सरकार, जानिए कैसे खरीदें

“कोरोना” के कारण श्मशान की जमीनें हुई कम

“कोरोना” जिसके कारण श्मशानों पर लाश जलाने और दफन करने तक का जगह नहीं छोड़ा। श्मशान की जमीनें कम पड़ गई है। कई सालों से चली आ रही अपनी सभ्यताओं को एक बार में खत्म कर दिया। क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, क्या सिक्ख, क्या ईसाई, अब तो लाशों को भी नम्बर से पहचाना जा रहा। यहीं नहीं जिन अपनों को मरने के चारों कंधों पर श्मशान ले जाया जाता था और अंतिम विदाई दी जाती थी, अब वो भी नसीब नहीं होती है। आंखें अंतिम बार अपने को देखने के लिए तरस जाती है, मगर इस भयंकर महामारी ने इंसानों से यह हक भी छिन लिया।

यह भी पढ़ें... फ्री में देखें मूवी: वो भी बिना स्मार्ट टीवी और सब्सक्रिप्शन के, बस करना होगा ये

covid

कब जाएगा कोरोना

न जानें कब ये कोरोना महामारी इस दुनिया से जाएगी। ये कोई नहीं जानता कि वो कब खुली और स्वच्छ हवा में सांस लेगें। इस भयंकर महामारी को हराने के लिए बड़ें से बड़े शोधकर्ता जुटे हुए हैं, लेकिन किसी के पास अब तक इस महामारी को हराने कोई भी समाधान नहीं मिल पाया है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story