TRENDING TAGS :
अमेरिका-ईरान दुश्मनी के बीच सामने आया यूपी कनेक्शन,यहां जानें
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है। ईरान के पहले ‘सर्वोच्च नेता’ आयतोल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी के जमाने से दोनों देशों के बीच चली आ रही दुश्मनी युद्ध जैसे हालात बना रही है।
नीलमणि लाल
लखनऊ: ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है। ईरान के पहले ‘सर्वोच्च नेता’ आयतोल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी के जमाने से दोनों देशों के बीच चली आ रही दुश्मनी युद्ध जैसे हालात बना रही है।
खुमैनी का भारत से गहरा संबंध रहा है। वह भी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के साथ। दरअसल, आयतोल्लह खौमेनी के पूर्वज ईरान के खोरासान प्रांत के मूल निवासी थे।
18वीं सदी में खोमैनी के पूर्वज कुछ समय के लिए भारत आए और अवध चले गए जहां के शासक पर्शियन मूल के इमामिया शिया मुस्लिम थे। अंतत: ये लोग लखनऊ के पास किंतूर नामक छोटे से कस्बे में बस गए। बता दें कि इसी किंतूर में प्राचीन ‘पारिजात वृक्ष’ और कुंती का ‘कुंटेश्वर मंदिर’ स्थित है।
ये भी पढ़ें...कासिम सुलेमानी को मारने का फैसला युद्ध रोकने के लिए किया गया: अमेरिका
आयतोल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी के दादा सैय्यद अहमद मुसावी हिंदी का जन्म किंतूर में हुआ था। मुसावी 1830 में अवध के नवाब के साथ इराक में नजफ की तीर्थयात्रा पर गए। वहां से वो ईरान चले गए और अंतत: खुमैन गांव में बस गए।
इसलिए एक पीढ़ी बाद उनका सरनेम ‘खौमेनी’ हो गया। कहा ये भी जाता है कि अहमद मुसावी भारत में ब्रिटिश हुकूमत के बढ़ते प्रभाव के कारण यहां से चले गए थे। अहमद मुसावी हालांकि ईरान में बस गए लेकिन वे ‘हिंदी’ के नाम से जाने जाते रहे।
यहीं पर रुहोल्लाह खुमैनी का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम आयतोल्लाह सैय्यद मुस्ताफा मुसावी था। मार्च 1903 में मुस्तफा मुसावी की कुछ लोगों ने हत्या कर दी।
रुहोल्लाह खुमैनी गज़ल भी लिखते थे और कुछ गज़लों में उन्होंने ‘हिंदी’ तखल्लुस का भी प्रयोग किया।
ये भी पढ़ें...अमेरिका ने फिर किया हमला: अब इस कमांडर को बनाया निशाना, 6 लोगों की मौत
किया था खंडन
एक महत्वपूर्ण बात ये है कि 1979 में ईरान की क्रांति के वक्त आयतोल्लाह के कार्यालय ने इस बात का जोरदार खंडन किया था कि उनका रिश्ता भारत से रहा है। आयतोल्लाह ने तो गहरी नाराजगी जताई थी क्रांति की सफलता के तुरंत बाद ही इस बात को उठाया गया है। शायद उस समय ये लग रहा कि क्रांति के कट्टïर राष्ट्रवादियों को भारतीय कनेक्शन नागवार गुजरेगा।
बहरहाल, 2014 में नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में ईरान के राजदूत गुलामरज़ा अंसारी ने कहा था कि आयतोल्लाह खुमैनी अवध के एक महत्वपूर्ण परिवार के थे।
ये भी पढ़ें...ट्रंप समेत पूरे अमेरिका को चुकानी होगी ईरानी जनरल की मौत की कीमत, जानें कैसे?