×

ट्रंप समेत पूरे अमेरिका को चुकानी होगी ईरानी जनरल की मौत की कीमत, जानें कैसे?

इसमें उसे कुछ देशों के सशस्त्र चरमपंथी गुटों का समर्थन मिल सकता है। अमेरिका के खिलाफ ईरान के इस तरह के युद्ध में उसे लेबनान, यमन, इराक और सीरिया का समर्थन मिल सकता है।

Aditya Mishra
Published on: 4 Jan 2020 2:45 PM IST
ट्रंप समेत पूरे अमेरिका को चुकानी होगी ईरानी जनरल की मौत की कीमत, जानें कैसे?
X

नई दिल्ली: अमेरिका के द्वारा एयरस्ट्राइक में ईरान के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराए जाने के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अमेरिका ने इराक-ईरान बॉर्डर के पास बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास ये हमला किया था।

अब बगदाद में स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने सभी नागरिकों को तुरंत इराक छोड़ने के लिए कह दिया है। दूसरी ओर ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने ट्वीट कर अमेरिका से मौत का बदला लेने की धमकी दी है।

अमेरिका और ईरान की इस सैन्य तनातनी के बीच तीसरे विश्वयुद्ध पर बहस भी शुरू हो गई है। कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एक सवाल ये भी है कि अगर अमेरिका और ईरान के बीच सीधी जंग होती है तो ईरान के साथ कौन-कौन से देश खड़े होंगे? क्या अमेरिकी कार्रवाई के खिलाफ दुनिया के कुछ देशों का अलग गुट भी बन सकता है।

ये भी पढ़ें...ईरान की धमकी के बाद अमेरिका ने उठाया ये बड़ा कदम, लोगों को दी ये चेतावनी

अमेरिका के खिलाफ जाकर कौन से देश दे सकते हैं ईरान का साथ

इस तरह के सवाल पर पहली बात तो यही कही जा रही है कि कोई भी देश नहीं चाहता कि युद्ध हो। किसी भी तरह की सीधी लड़ाई से पूरी दुनिया को नुकसान होगा। लेकिन सवाल है कि अगर ऐसा हुआ तो ईरान की स्थिति क्या होगी?

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि ईरान अमेरिका से सीधी लड़ाई नहीं लड़ सकता। इस तरह की लड़ाई में उसे दुनिया के बाकी किसी देश का समर्थन मिलना मुश्किल है। इस बात की संभावना ज्यादा है कि अमेरिका के खिलाफ ईरान प्रॉक्सी वार की शुरुआत कर सकता है।

इसमें उसे कुछ देशों के सशस्त्र चरमपंथी गुटों का समर्थन मिल सकता है। अमेरिका के खिलाफ ईरान के इस तरह के युद्ध में उसे लेबनान, यमन, इराक और सीरिया का समर्थन मिल सकता है। लेकिन कोई भी देश इसमें खुलकर सामने नहीं आना चाहेगा। हालांकि यही बात अमेरिका के साथ भी है।

ईरान के साथ जंग में अमेरिका के मित्र राष्ट्र भी भागीदार नहीं बनना चाहेंगे। मीडिल ईस्ट में इजरायल, खाड़ी के देश और सऊदी अरब जैसे देश अमेरिका का समर्थन करते हैं, लेकिन वो ईरान के साथ जंग में तब तक अमेरिका का साथ नहीं देंगे, जब तक उन देशों पर ईरान हमले नहीं करता है।

क्या रूस और चीन कर सकते हैं ईरान का समर्थन

रूस और चीन ने ईरान में अमेरिकी कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। रूस ने इसे अमेरिका की 'अवैध कार्रवाई' बताया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से कहा है कि अमेरिका का ईरान पर हमला 'अवैध' है। उसे ईरान के साथ बात करनी चाहिए. लावरोव इस बात से नाराज थे कि अमेरिका ने इस तरह की कार्रवाई से पहले नहीं बताया।

लावरोव ने कहा कि यूएन का एक सदस्य देश अगर किसी देश के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई पर यूएन के दूसरे सदस्य देशों की अनदेखी करता है तो ये अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है और इसकी भरपूर निंदा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र की शांति भंग होगी, अस्थिरता आएगी और अमेरिका को इसके नतीजे भुगतने होंगे।

हालांकि एक बड़ी बात ये है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस घटना को तवज्जो नहीं दी है। रूस के किसी मीडिया रिपोर्ट में पुतिन ने इस मामले पर कोई खास जोर नहीं दिया है। पुतिन की तरफ से सिर्फ इतना कहा गया है कि कासिम सुलेमानी के मारे जाने की वजह से मिडिल ईस्ट के हालात और बिगड़ेंगे।

अमेरिकी हमले में मारे गए कासिम सुलेमानी ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद 29 जुलाई 2015 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। उस वक्त तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन एफ कैरी ने इस पर आपत्ति भी जाहिर की थी।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने रूस के रुख पर लिखा है कि रूस, ईरान में अमेरिकी कार्रवाई का विरोध करेगा लेकिन ईरान के साथ जंग में वो नहीं कूदना चाहेगा। वो भी तब, जब रूस ने इराक के युद्ध और लीबिया की सरकार गिराने में अमेरिका का साझीदार रहा है।

ये भी पढ़ें...चीन ने अमेरिका को दिया बहुत तगड़ा झटका, लिया ये बड़ा ऐक्शन, US में मचा हड़कंप

क्या अमेरिका के खिलाफ जंग में ईरान का साथ देगा चीन

चीन का रूख भी रूस की तरह ही होगा। चीन ने ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी के अमेरिकी हवाई हमले में मारे जाने पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। वो दोनों पक्षों से शांति की अपील कर रहा है।

कासिम सुलेमानी के मारे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि बीजिंग इस मामले पर चिंतित है और वो लगातार मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव पर नजर बनाए हुए है।

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के हिसाब से चलना चाहिए।

चीन की तरफ से कहा गया कि खासतौर पर वो अमेरिका से कहना चाहते हैं कि वो संयम रखे और तनाव को और बढ़ने से रोकने के लिए किसी तरह की कार्रवाई न करे। इसी तरह से ब्रिटेन ने अमेरिकी कार्रवाई की आलोचना नहीं की लेकिन उसने इलाके में शांति स्थापित करने के लिए संयम रखने की अपील की है।

क्या जंग आगे बढ़ी तो बन सकता है ईरान के समर्थन में कोई गुट

कुछ जानकारों की राय में अगर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ता है और जंग के हालात पैदा होते हैं तो ईरान चीन और रूस एकसाथ आ सकते हैं। मिडिल ईस्ट में रूस और चीन के अपने-अपने हित जुड़े हुए हैं। दोनों ही देश इस इलाके में अमेरिकी दखलअंदाजी पर विरोध जताते रहे हैं।

अभी हाल ही में खबर आई थी कि ईरान, रूस और चीन की नौसेना हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में नेवल एक्सरसाइज करने वाली है। ईरान ने इस नेवल एक्सरसाइज में हिस्सा लेने की पुष्टि की थी। इस नेवल एक्सरसाइज को मॉस्को और बीजिंग के साथ ईरान के बढ़ते सैन्य सहयोग की तरह देखा जा रहा था।

पिछले कुछ वर्षों में चीन और रूस के नौसेना के अधिकारी भी ईरान की यात्रा पर जाते रहे हैं। हालांकि इस एक्सरसाइज को भी इलाके में स्थायी शांति की कोशिश बहाली के तौर पर बताया जा रहा था।

ये भी पढ़ें...दुनिया को धमकी! किम ने दुनिया को डराया तो अमेरिका ने कहा हम



Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story