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प्रदेश के 60 जिलों से अब तक 2115 कोरोना पाॅजिटिव के मामले
प्रदेश के 60 जिलों से अब तक 2115 कोरोना पाॅजिटिव के मामले सामने आए हैं, जिसमें से 53 जनपदों में 1602 मामले एक्टिव हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 477 मरीज पूरी तरह से उपचारित हो चुके हैं।
लखनऊ। प्रदेश के 60 जिलों से अब तक 2115 कोरोना पाॅजिटिव के मामले सामने आए हैं, जिसमें से 53 जनपदों में 1602 मामले एक्टिव हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 477 मरीज पूरी तरह से उपचारित हो चुके हैं। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में अब तक लगभग 68,064 लोगों के सैम्पल टेस्ट किये गये हैं। 1769 लोगों को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है, कोई भी मरीज वेंटीलेटर पर नहीं है। 11,487 लोगों को फैसिलिटी क्वारेंटाइन में रखा गया है। प्रदेश में आइसोलेशन बेड की संख्या बढ़ाकर 17,194 एवं क्वारेंटाइन बेड की संख्या 21,569 कर दी गयी है।
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टीकाकरण का कार्य शीघ्र ही प्रारम्भ
उन्होंने बताया कि 75 नई इकाईयों को एल-1 हास्पिटल के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसे एल-1 हास्पिटल की संख्या बढ़कर 155 हो गयी है। एल-2 हास्पिटल की संख्या को बढ़ाते हुए 78 की गयी है एवं एल-3 हास्पिटल की संख्या 06 है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी चिकित्सालयों में टीकाकरण का कार्य शीघ्र ही प्रारम्भ हो जायेगा।
विभिन्न राज्यों के लिए नोडल अधिकारियों के कार्यों की जानकारी प्राप्त करते हुए निर्देश दिये कि समस्त नोडल अधिकारी फोन पर उपलब्ध रहते हुए लोगों की दिक्कतों को सुनें एवं उनका समाधान कराएं।
उन्होंने कहा कि संस्थागत क्वारंटीन पूरी कर होम क्वारंटीन के लिए घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को खाद्यान्न किट उपलब्ध कराया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि भरण-पोषण भत्ता सभी पात्र लोगों को उपलब्ध हो जाए।
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फूडिंग-लाॅजिंग का प्रबन्ध भी हो
मनरेगा, ओ0डी0ओ0पी0, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना तथा महिला स्वयं सहायता समूह से प्रवासी श्रमिकों को जोड़कर उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए कार्य योजना तैयार की जाए।
वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रेड जोन को आॅरेंज जोन और फिर ग्रीन जोन में परिवर्तित किया जाना है। ऑरेंज जोन तथा ग्रीन जोन में औद्योगिक गतिविधियों के सम्बन्ध में औद्योगिक विकास विभाग एक कार्य योजना तैयार करें।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए सेक्टोरल नीतियों में आवश्यकतानुसार संशोधन के लिए कार्य योजना बनायी जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि निर्माण इकाइयों में सेनेटाइजिंग की अच्छी व्यवस्था हो तथा श्रमिकों के लिए सम्बन्धित इकाई द्वारा फूडिंग-लाॅजिंग का प्रबन्ध भी हो।
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