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लोहिया संस्थान में हुआ ऐसा हंगामा, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी

सूबे में टॉप टेन संस्थान के लिए मशहूर राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 27 मई को अचानक बवाल शुरू हो गया। मामला बिना लाइन के डॉक्टर को दिखाने को लेकर था।

Aditya Mishra
Published on: 27 May 2019 1:06 PM GMT
लोहिया संस्थान में हुआ ऐसा हंगामा, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी
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लखनऊ। सूबे में टॉप टेन संस्थान के लिए मशहूर राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 27 मई को अचानक बवाल शुरू हो गया। मामला बिना लाइन के डॉक्टर को दिखाने को लेकर था। रोजाना की तरह लोग कतार में लगकर पर्ची कटवा रहे थे। इसके बाद संबंधित विभाग में जाकर डॉक्टर के सहयोगी को पर्चा जमा करके अपनी बारी का इंतजार करते दिखे।

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सब कुछ ठीक चल रहा था कि इसी बीच संस्थान के 2 कर्मचारियों के बीच बहस छिड़ गई। एक स्टाफ दूसरे को थोड़ी देर बाद आकर पर्ची बनवाने को कह रहा था। लेकिन दूसरे कर्मचारी को यह बात हजम नहीं हो रही थी। उसने कहा कि क्या आप मुझे नहीं पहचान रहे हो।

इस पर डॉक्टर के सहयोगी ने नियमानुसार मरीज को दिखाने की बात कही और अपने काम में लग गया। इसके बाद तो मानो परिसर में नियम समझाने की बात होने लगी। बहस का दौर काफी देर तक चलता रहा। संस्थान के उच्च अधिकारियों के पास मामला जाकर शांत हुआ।

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न्यूरोलॉजी विभाग में हुआ मामला-

दरअसल, नये निदेशक प्रोफेसर ए.के. त्रिपाठी ने अस्पताल के कर्मचारियों को यह सख्त निर्देश दिया है कि वे एक दिन में केवल अपने नाम पर एक ही पर्चा बनवा सकते हैं। एक स्टाफ का एक ही पर्चा बनेगा लेकिन कर्मचारियों को यह नहीं पच रही है। वे अपने आदतों से मजबूर हैं। यही नया नियम कर्मचारियों को परेशान कर रहा है। 27 मई को भी इसी बात पर हो-हल्ला चला।

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रोजाना हो रही है नोंकझोंक-

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इन दिनों ओपीडी में मरीज को दिखाने को लेकर काफी हो-हल्ला मचा हुआ है। संस्थान में तैनात कर्मचारी अपने-अपने जानने वालों को लेकर जबरदस्ती डॉ के चैम्बर में घुस रहे हैं और स्टाफ होने का धौंस देकर अपनी बात मनवा रहे हैं। हालांकि, नये निदेशक प्रोफेसर ए.के. त्रिपाठी ने इस पर सख्ती किया है लेकिन संस्थान के कर्मचारी ही नियमों का पालन नहीं करते हैं। इसके कारण रोजाना इलाज के लिए आये मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

मरीजों की सहूलियत के लिए मैंने यह नियम बनाया है कि एक कर्मचारी के चेहरे पर केवल एक दिन में एक ही पर्चा बनेगा। यह नियम सभी के लिए एक समान लागू है।

निदेशक,प्रो. ए.के. त्रिपाठी

Aditya Mishra

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