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अपर आयुक्त मनरेगा ने करोड़ों रुपए के बंदरबांट का मामला पकड़ा

जिले के कटरा विकास खण्ड के कर्ताधर्ताओं ने हर सरकार में सत्ताधारियों की गोद में बैठकर मनरेगा योजना में जमकर लूटपाट और बंदरबांट किया। तमाम बार इसके खिलाफ आवाज उठी लेकिन सत्ता के दबाव में कार्यवाही सिफर रही। अब अपर आयुक्त मनरेगा के नेतृत्व में जांच कर रही शासन की टीम ने करोड़ों रुपए के बंदरबांट का मामला पकड़ा तो यह ब्लाक एक बार फिर चर्चा में है।

SK Gautam
Published on: 17 April 2023 5:09 PM GMT
अपर आयुक्त मनरेगा ने करोड़ों रुपए के बंदरबांट का मामला पकड़ा
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तेज प्रताप सिंह

गोंडा: भ्रष्टाचार से इस जिले का पुराना सम्बन्ध रहा है। यहां के अफसर और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर घोटालों का कीर्तिमान स्थापित किया। भ्रष्टाचार के सैकड़ों मामलों में जिला पंचायत अध्यक्ष, मुख्य विकास अधिकारी समेत अनेक अधिकारी और नेताओं को वर्षों तक सलाखों के पीछे रहना पड़ा। लेकिन यहां सरकारी धन की लूट और भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सका।

इन सब से इतर जिले के कटरा विकास खण्ड के कर्ताधर्ताओं ने हर सरकार में सत्ताधारियों की गोद में बैठकर मनरेगा योजना में जमकर लूटपाट और बंदरबांट किया। तमाम बार इसके खिलाफ आवाज उठी लेकिन सत्ता के दबाव में कार्यवाही सिफर रही। अब अपर आयुक्त मनरेगा के नेतृत्व में जांच कर रही शासन की टीम ने करोड़ों रुपए के बंदरबांट का मामला पकड़ा तो यह ब्लाक एक बार फिर चर्चा में है। इस मामले में विकास खण्ड कटरा बाजार में मनरेगा योजना में हुई अनियमितता में संलिप्त चार अधिकारियों के खिलाफ कटरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

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मनरेगा की 22 करोड़ की परियोजनाओं में घपला

बीते 07 सितम्बर को शासन से आए अपर आयुक्त की जांच में कटरा बाजार ब्लाक में मनरेगा योजना की 22 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं में गोलमाल खुलासा हुआ है। घपला मिलने पर दो ग्राम विकास अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। जांच में अवर अभियंता व मनरेगा के तकनीकी सहायक की मिली भगत उजागर हुई है। कटरा बाजार क्षेत्र के पंचायतों की जांच शासन स्तर से हो रही है। यहां करोड़ों रुपये के घपलों का पर्दाफाश हो चुका है। बिना कार्य कराए ही 14 परियोजनाओं पर बजट निकालने के मामले की जांच अभी चल ही रही है। इसके साथ ही ब्लाक में मनरेगा से 22 करोड़ से चलने वाली करीब दो हजार परियोजनाओं में खर्च हो चुके करीब 17 करोड़ के बजट में भी गोलमाल की जांच में कइयों की गर्दन फंसनी तय है।

एक काम की दो आईडी जनरेट कर निकाले 51 लाख

मनरेगा में हुई अनियमितताओं की जांच कर रहे अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने एक ही काम की दो आईडी जनरेट करके 51 लाख रुपये निकाल लेने का मामले का खुलासा किया है। उन्होंने ग्राम पंचायत गोड़वा में बने गो आश्रय केंद्र का निरीक्षण किया तो वहां की दशा देखकर वे अचंभित रह गए। वहां पता चला कि एक ही प्रकार के कार्य की दस आईडी जनरेट करके करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया है।

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जबकि मौके पर व्यय धनराशि के सापेक्ष कार्य व उसकी गुणवत्ता बिल्कुल ही घटिया पाई गई। गो आश्रय केंद्र गोड़वा में पांच-पांच तालाब मनरेगा से खुदवाए गए और एक-एक तालाब पर कई हजार मानव दिवस दिखा दिए गए। गोवंशों के रहनेे के लिए लगाई गई टिनशेड की मोटाई मानक से कम पाई गई। निरीक्षण के दौरान यह भी पकड़ में आया कि मस्टर रोल में दौ सौ मजूदरों को काम पर दिखाया गया है। मगर मौके पर एक भी मनरेगा काम करते हुए नहीं मिला। इंटरलाकिंग की गुणवत्ता भी बेहद घटिया पाई गई।

अपर आयुक्त को ग्राम भरथा इटहिया में तालाब की खुदाई ट्रैक्टर से कराई गई मिली। धन खर्च का ब्यौरा देखने पर पता चला कि एक ही काम की दो आईडी जनरेट करके 51 लाख रुपये निकाल लिए गए हैं। पहली आईडी पर 26 लाख 2 हजार 114 चैदह तथा दूसरी आईडी पर 24 लाख 99 हजार रुपये खर्च किए गए और काम पूरा दिखाते हुए भुगतान कर दिया गया। जबकि काम अधोमानक मिलने के साथ ही किसी भी कार्यस्थल पर परियोजना का नाम, लागत, परियोजना का वर्ष आदि से संबंधित कोई साइन बोर्ड नहीं लगा मिला।

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बिना कार्य कराए हड़प लिए एक करोड़

मनरेगा में बिना कार्य कराए ही करीब एक करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। वित्तीय वर्ष 2018-19 में यहां की छह ग्राम पंचायतों ने 7.31 करोड़ रुपये मनरेगा में खर्च किए थे। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक करोड़ से अधिक धनराशि का भुगतान किया गया था। गत जून माह में मामला संज्ञान में आने पर डीएम डा. नितिन बंसल ने जांच के लिए कमेटी गठित की थी। सीडीओ आशीष कुमार ने ग्राम पंचायत बिरवा, उर्दी गोंडा व बनगांव में परियोजनाओं का स्थलीय सत्यापन कराया। इन गांवों में मनरेगा के तहत 3.68 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जांच के दौरान बिरवा गांव की 13 परियोजनाओं पर कोई कार्य नहीं मिला, जबकि एक परियोजना पर सिर्फ 48 मीटर कार्य कराया गया। उर्दी गोंडा व बनगांव में भी यही हालात मिले। प्रारंभिक जांच में करीब एक करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया।

36.95 लाख रुपये का घोटाला

कटरा ब्लाक की तीन ग्राम पंचायतों में 14 परियोजनाओं पर बिना कार्य कराए ही 36.95 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। ये खुलासा अपर आयुक्त मनरेगा की जांच के बाद हुआ है। उपायुक्त श्रम एवं रोजगार व अवर अभियंता की जांच में पुष्टि होने पर सचिवों पर कार्रवाई की गई है। ब्लाक की तीन ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों का सत्यापन उपायुक्त श्रम एवं रोजगार हरिश्चंद्र राम प्रजापति की अगुवाई वाली टीम से कराया गया।

जांच के दौरान पाया गया कि बनगांव में आठ परियोजनाओं पर बिना कार्य के ही 22.80 लाख, पूरेबदल में चार परियोजनाओं पर 7.14 लाख व बौनापुर में दो परियोजनाओं पर 7.02 लाख रुपये का भुगतान किया गया। सीडीओ आशीष कुमार के निर्देश पर ब्लॉक में तैनात सहायक लेखाकार कृष्ण कुमार मिश्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति निदेशक आंतरिक लेखा विभाग को की गई है। अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा की संविदा समाप्त करने के लिए पत्र भेजा गया है।

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बिना काम के पीडी और जेई ने हड़पे थे 44 लाख

वित्तीय वर्ष 2016-17 विकासखंड कटरा बाजार के तीन गांवों में सीसी सड़क व इंटरलाकिंग का कार्य कराने के नाम पर 44 लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया था। कटरा बाजार के चयपुरवा, बनगांव व वीरपुर कटरा में क्षेत्र पंचायत निधि से सीसी सड़क के निर्माण का प्रस्ताव किया गया था। इसमें चयपुरवा में तीन, वीरपुर कटरा में दो व बनगांव में एक सड़क पर इंटरलाकिंग का काम कराया जाना था। इसके अलावा एक ही काम को 9 भागों में तोड़कर उनका अलग अलग भुगतान ले लिया गया।

साथ ही क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत के कार्यों को एक ही में मिला दिया गया। वीरपुर कटरा मे दो सीसी सड़कों का निर्माण दिखाया गया लेकिन जांच के दौरान दोनों ही सड़कें अधूरी पाई गई। चयपुरवा गांव में तो अफसरों ने बिना सड़क बनवाए ही उसके निर्माण की रिपोर्ट जिले पर भेज दी और रुपये हड़प लिए। यहां तीन सड़कों के निर्माण कार्य दिखाया गया था लेकिन जांच में तीनों ही सड़के गायब मिली। यहां इन सड़कों का निर्माण ही नही कराया गया।

शिकायत मिलने पर तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यों वाली दो जांच कमेटी का गठन किया था। पहली समिति में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट आशीष कुमार, जिला विकास अधिकारी अनिल कुमार व उपजिलाधिकारी अमरेश कुमार को शामिल किया गया था जबकि दूसरी समिति में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट आशीष के साथ डीसी मनरेगा अशोक कुमार मौर्या व बीडीओ कटरा बाजार को सौंपी गई थी।

दोनों समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में 44 लाख रूपये के घपले का खुलासा किया है। इस मामले में समिति ने कटरा बाजार के तत्कालीन खंड विकास अधिकारी रहे परियोजना निदेशक वीरपाल व अवर अभियंता डीबी सिंह को नोटिस जारी जवाब तलब किया था।

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चार अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

मुख्य विकास अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि विगत 07 तारीख को अपर आयुक्त मनरेगा उप्र शासन योगेश कुमार की स्थलीय जांच में कटरा बाजार ब्लाक की दो ग्राम पंचायतों गोड़वा तथा भरथा इटैया में भारी पैमाने पर अनियमितता पाई गई थी। जिसके बाद कटरा बाजार के तत्कालीन बीडीओ अनिरूद्ध प्रताप सिंह (सेवानिवृत्त), लेखाकार कृष्ण कुमार मिश्र, कार्य प्रभारी बृजेश तिवारी तथा तकनीकी सहायक अजय कुमार पाण्डेय के विरूद्ध गम्भीर धाराओं (409, 419 व 420 आईपीसी) में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

उन्होंने बताया कि कार्य प्रभारी बृजेश तिवारी तथा ग्राम विकास अधिकारी पवन गुप्ता जो तत्समय कार्य प्रभारी थे, को निलम्बित किया जा चुका है। जेई गिरिजेश मणि त्रिपाठी के खिलाफ कार्यवाही के लिए एक्सईएन को संस्तुति भेजी गई है तथा तकनीकी सहायक की संविदा समाप्ति की कार्यवाही की जा रही है।

सेवा निवृत्त बीडीओ अनिरूद्ध प्रताप सिंह जिनके कार्यकाल के दौरान इतने बड़े पैमाने पर अनियमिता हुई, के खिलाफ कार्यवाही के लिए भी संस्तुति पत्र भेजा जा चुका है। लेखाकार के खिलाफ कार्यवाही के लिए आन्तरिक लेखा को कार्यवाही के लिए भेजा गया है। सीडीओ ने बताया कि सभी क्षेत्र पंचायतों द्वारा कराए गए कार्यों की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है।

सत्ता की छत्रछाया में चल रहा लूट का खेल

कटरा बाजार ब्लाक के विकास योजनाओं में हो रहा भ्रष्टाचार का खेल किसी से छुपा नहीं है। इस ब्लाक पर सदैव सत्ता की बरदहस्त रहता है। सपा सरकार में एक प्रभावशाली मंत्री की कृपा ब्लाक के अधिकारियों पर रही और कई मामले चर्चा में आए लेकिन फाइलों में सिमट कर रह गए। जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती हुई। इसके बाद सत्ता बदली तो नुमाइंदों ने फिर पाला बदल लिया।

विकास के लिए सत्ता के प्रभावशाली नेता की कृपा हासिल कर लिया। ब्लाक के नुमाइंदों के ऊंचे रसूख के कारण घोटाले का खुलासा तो होता है किन्तु किसी अंजाम तक पहुंचने से पहले ही मामला गुम हो जाता है। इस बार जांच से उम्मीद तो जगी है लेकिन नेता और अफसरों में शहमात का खेल फिर शुरु हो गया है।

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पूर्व विधायक ने की सीबीआई, ईडी से जांच की मांग

कटरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक बैजनाथ दूबे ने विकास खंड कटरा बाजार में हुए करोड़ो रुपये के घोटाले की ईडी व ईओडब्ल्यू से जांच कराये जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 से घोटाला किया जा रहा है। योजनाओं से विकास कार्य के नाम पर फर्जी कागजात बनाकर बजट का धन निकाल लिया जाता है। सरकार के स्वच्छ भारत मिशन जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं के अलावा आवास व मनरेगा का पैसा बिना काम कराये निकाल लिया गया। गो आश्रय केंद्र के नाम पर मिले धन का घोटाला कर लिया गया है।

ब्लाक प्रमुख के प्रतिनिधि ने अपने पुत्र की फर्म के नाम से मनरेगा योजना के बड़े धन को फर्जी तरीके से निकाल लिया है। जबकि ब्लाक प्रमुख को इसका पता ही नहीं है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही डीएम व सीएम के अलावा शासन के अधिकारियों से मिलकर इसकी शिकायत करने के साथ जनता का पैसा लूटे जाने पर जन आंदोलन चलाएंगे।

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