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Agra News: मुस्लिम परिवार ने अनोखे तरीके से मनाई बकरीद, काटा बकरे के चित्र वाला केक
Agra News: बकरीद के मौके पर आज एक ओर बड़ी संख्या में बकरों की कुर्बानी दी गई तो वहीं आगरा में एक मुस्लिम परिवार ऐसा भी है, जिसने पिछले छह साल से बकरे की कुर्बानी नहीं दी है। इस बार भी इस परिवार ने बकरे के चित्र वाला केक काटकर एक दूसरे को ईद की बधाई दी है।
Agra News: बकरीद के मौके पर आज एक ओर बड़ी संख्या में बकरों की कुर्बानी दी गई तो वहीं आगरा में एक मुस्लिम परिवार ऐसा भी है, जिसने पिछले छह साल से बकरे की कुर्बानी नहीं दी है। इस बार भी इस परिवार ने बकरे के चित्र वाला केक काटकर एक दूसरे को ईद की बधाई दी है। पड़ोसियों को भी बकरीद के त्योहार पर केक खिलाया है।
उनका परिवार कभी किसी जानवर की हत्या नहीं करता
गुलचमन शेरवानी का कहना है कि बकरा ईद के त्योहार पर मुस्लिम समाज के लोग एक से बढ़कर एक कीमती और खूबसूरत बकरों को कुर्बान करते हैं। उनकी जान ले लेते हैं। गुलचमन शेरवानी ने बताया कि उनका परिवार ना तो खुद कभी किसी जानवर की हत्या करता है। बल्कि अन्य लोगों को भी कुर्बानी के नाम पर की जाने वाली जानवरों की हत्या को रोकने का संदेश देते हुए बकरे के चित्र वाला केक काटकर ईद मनाता है। शाहगंज क्षेत्र के आजमपाड़ा में रहने वाले गुलचमन शेरवानी के परिवार को लोग तिरंगा वाले गुलचमन शेरवानी के नाम से जानते हैं। गुलचमन शेरवानी राष्ट्रगीत वंदे मातरम और तिरंगा प्रेम के चलते सुर्खियों में आए थे। गुलचमन शेरवानी मानते है कि ईश्वर और अल्लाह ने खाने के लिए तमाम नियामत पैदा की है। फिर अपने भोजन के लिए किसी जीव की हत्या करना मुनासिब नहीं है।
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कुर्बानी के तरीके पर उठाया सवाल
गुलचमन शेरवानी का कहना है कि बहुत ही कम लोग शर्यती तौर पर तरीके से कुर्बानी करते हैं। शर्यती तौर पर उस जानवर की कुर्बानी करनी चाहिए। जिससे हमें लगाव हो। जिसे हमने बचपन से पाला हो। लोग एक दिन पहले दौलत के बल पर जानवर लेकर आते हैं। अगले दिन उसकी कुर्बानी नहीं, बल्कि जीव हत्या कर देते है। अल्लाह सिर्फ कुर्बानी करने वाले की नियत देखता है। गुल चमन शेरवानी ने सवाल उठाया है कि जानवर की जगह जानवर के फोटो वाला केक काटकर इस परंपरा को अदा क्यों नहीं किया जा सकता है। कुर्बानी करने वाले को सबसे पहले अपने मां-बाप, अपने भाई बहन और पड़ोसियों का हक अदा करना चाहिए। उसके बाद कुर्बानी जायज है।