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...तो साल भर के अंदर ही शुरू हुई नए किले में कलह!
यूपी का अमेठी जिला किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कल तक ये कांग्रेस का गढ़ था, नेहरू-गांधी परिवार का अभेद दुर्ग। साल भर पहले मई माह में इसे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पांच सालों की मशक्कतों के बाद भेद दिया।
अमेठी: यूपी का अमेठी जिला किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कल तक ये कांग्रेस का गढ़ था, नेहरू-गांधी परिवार का अभेद दुर्ग। साल भर पहले मई माह में इसे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पांच सालों की मशक्कतों के बाद भेद दिया। अब ये क्षेत्र भगवामय है। लेकिन बरसों पुराने कांग्रेसी किले को ढाने वाली बीजेपी अपने किले को कवर नहीं कर पा रही है। साल भर के भीतर ही अपने नए किले में उसके खुद के अंदर कलह शुरू हो गई, और ये संकेत शुभ नही हैं।
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बात शुरू करते हैं कोरोना वायरस के दौरान देश में लागू हुए लाकडाउन से। अमेठी में लोगों को किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े इस वास्ते केंद्रीय मंत्री और यहां की सांसद स्मृति ईरानी ने 24 मार्च को डीएम अरुण कुमार को एक पत्र भेजा और कोरोना के रोकथाम, मेडिकल उपकरण आदि के लिए अपने सांसद निधि से एक करोड़ रुपए जारी किए।
इस पत्र में स्मृति ने ये भी कहा था कि इसके अलावा भी यदि किसी प्रकार की आवश्कता होती है तो मै मदद करने के लिए सदैव उपलब्ध हूं। ठीक चार दिन बाद (28 मार्च को) उन्होंने अमेठी के गरीब परिवारों के लिए 'मोदी राहत किट' भेजा। उन्होंने प्रशासन से ऐसे लोगों की सूची मांग कर उन सभी को राशन, सब्जी व दैनिक उपयोग के सामान मुहैया कराने का निर्णय लिया था।
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स्मृति ने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को तत्काल मदद पहुंचाने के लिए मोदी राहत किट के नाम से एक थैला बनवाया था, इसमें 5 किलो चावल, 5 किलो आटा, 1 किलो दाल, 2 किलो 500 ग्राम आलू, 200 ग्राम तेल, 50 ग्राम सब्जी मसाला, 50 ग्राम हल्दी पाउडर और एक किलो नामक दिया गया था। जो गांव-गांव बांटी गई। सेनेटाइजर और मास्क भी बंटे।
स्मृति द्वारा भेजी गई राशन किट को भाजपाईयों ने बांटने का बीड़ा उठाया और गांव-शहर में निकले। सोशल साइटों पर जमकर चला फोटो सेशन इसका प्रमाण है। हद ये है के एक-एक फोटो ट्विट कर बीजेपी वर्कर्स ने अपनी सांसद को बताया कि किट पहुंचा दी है। हालांकि इसके खिलाफ में भाजपा खेमे से ही एक पोस्ट फेसबुक पर 28 अप्रैल को सामने आई, जिसने भाजपाईयों द्वारा अपनी सांसद को भ्रमित करने वाली रिपोर्ट देने का सच उजागर किया। ये पोस्ट थी राष्ट्रीय महिला मोर्चे की कार्यकारिणी की सदस्य रश्मि सिंह की।
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उन्होंने अपनी सावर्जनिक वाल पर लिखा कि ''अमेठी सांसद निधि की सामग्री कुछ विशेष लोगों के माध्यम से कुछ विशेष लोगों तक ही पहुंच रही है।'' इससे ज्ञात हो रहा कि मदद अमेठी के लोगों को कम मिली और बीजेपी के लोगों के अपनो को अधिक। ये अलग बात है कि रश्मि सिंह की पोस्ट से बहुत कुछ भांप कर बीजेपी ने नया पैंतरा खेला और 30 अप्रैल को केंद्र सरकार ने उन्हे सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (भारत सरकार का उपक्रम) का स्वतंत्र निदेशक बना दिया।
अकेले रश्मि ने ही मोर्चा नही खोला था बल्कि उनकी ही तरह बीजेपी नेता ओंकार नाथ शुक्ला ने 29 अप्रैल को एक ट्वीट किया था। जिसमे उन्होंने साफ तौर पर लिखा कि 'भाजपा अमेठी के कार्यकर्ता को परेशान होने की जरूरत नही है, क्योंकि गमछा, सेनेटाइजर, मास्क आदि सामान उत्थान संस्थान के दौरान वितरण किया जा रहा है। उत्थान संस्थान के कुछ पदाधिकारी भाजपा में भी पदाधिकारी हैं।' मतलब साफ है जरूरतमंद घर वाले हैं और घर वाले ही जरूरतो को पूरा करने वाले।
इन दोनो बीजेपी नेताओ की थीम से हटकर एक तथ्य परक ट्वीट वरिष्ठ बीजेपी नेता गोविंद सिंह चौहान ने किया था। जिनका 40 सालो से पार्टी में बड़ा योगदान है। प्रशासन के नाम उनका ट्वीट था कि 'लाकडाउन के समय एसीसी सीमेंट फैक्ट्री से लोडिंग हो रही है। अमेठी नगर में मसाला फैक्ट्री चल रही है। आम आदमी के लिए सारे प्रतिबंध।'
दरअसल मसाला फैक्ट्री बीजेपी नेता राजेश मसाला की है जो स्मृति खेमे के सबसे सशक्त नेता हैं, और लाकडाउन में उनकी फैक्ट्री में काम होता रहा लेकिन प्रशासन ने आंखें मूंदे रखा। सोशल मीडिया के इन सभी पोस्टो को देखने के बाद ऐसा लग रहा की बीजेपी में खेमेबाजी शुरू हो गई है, जो 2022 में उथल पुथल कर सकती है।
रिपोर्ट: असगर नकी
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