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यहां है हवा में अदृश्य तालाब, देखना हो तो आएं औरैया
जिला के सबसे बड़े अधिकारी ने वो कर दिखाया जिसके लिए शायद हम और आप कभी सोच भी नहीं सकते।
औरैया: जिला के सबसे बड़े अधिकारी ने वो कर दिखाया जिसके लिए शायद हम और आप कभी सोच भी नहीं सकते। कथित रूप से अथाह ज्ञान का भंडार लेकर कुर्सी पर बैठे सबसे बड़े साहब की कलम ने काली स्याही से ऐसा सफेद झूठ लिख डाला जो इस समय जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। पेश है औरैया के डीएम द्वारा लिखी गई बिल्कुल सफेद झूठ की एक रिपोर्ट...
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मनरेगा बनी अमृत
ये हैं औरैया जिले के वह कई गांव जहां मनरेगा के तहत सैकड़ों मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है। कोरोना काल में अपने घर को आये प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने के लिए मनरेगा के सहारा लिया जा रहा है। मनरेगा योजना मजदूरों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। जिससे मजदूर मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। जिले की 477 ग्राम पंचायतों में लगभग हजारों प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को मनरेगा के तहत काम मिल है और सभी ग्राम पंचायतों में तालाबों, सम्पर्क मार्ग और गड्ढे खोदने का कार्य चल रहा है।
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कागज में खोदा तालाब
अब बात करते हैं जिले के मुखिया के अजीबो-गरीब कारनामे की। 46 डिग्री सेल्सियस के तापमान में दो जून की रोटी के लिए मजदूर हाड़तोड़ परिश्रम कर रहे हैं तो डीएम साहब एसी कमरे में बैठकर काली स्याही से सफेद झूठ लिख रहे हैं। जिले के कई गांवों में तालाब की खुदाई हो रही है, इसमें कोई शक नहीं। किन्तु कई ऐसे भी गांव हैं, जहां तालाब खोदा ही नहीं गया लेकिन औरैया डीएम अभिषेक सिंह ने कागजो में ही तालाब खोद डाला और अपनी झूठी कामयाबी की गाथा कमिश्नर से लेकर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को सुना डाली।
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गुमशुदा तालाब को खोदा
इतना ही नहीं फर्जी फोटो के साथ साहब की इस गुमशुदा तालाब के कार्य के लिए ट्विटर पर दर्जनों लाइक भी मिले हैं। इतने बड़े अफसर द्वारा शासन को भेजी गई फर्जी रिपोर्टिंग के पीछे का क्या मकसद है, यह तो वही बता सकते हैं किंतु आम लोग इसे भ्रष्टाचार के रूप में ही देख रहे हैं। आइए पूरा मामला समझने की कोशिश करते हैं।
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इतने मजदूरों का भेजा फर्जी नाम
मामला है औरैया के अछल्दा ब्लॉक के अंतर्गत एली ग्राम पंचायत का, जहां पर मनरेगा योजना के तहत कार्य कराए जा रहे हैं। जिसमें मजदूरों को गांव में ही काम मिल रहा है। गांव मे कच्चा सम्पर्क मार्ग और नाली खुदाई जैसे कार्य कराए गए हैं। लेकिन डीएम साहब मजदूरों से 10 कदम आगे निकल गए। साहब ने 54 मनरेगा मजदूरों द्वारा ग्रामपंचायत में ऐसा तालाब खुदवा डाला, जिसका दूर-दूर तक कहीं नामो-निशान ही नहीं है।
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यानी बिना तालाब खुदे ही डीएम साहब ने कागज में अपनी कलम से ही तालाब खोद डाला। अपनी वाहवाही के लिए डीएम साहब ने फर्जी फोटो का भी सहारा लिया और वही फोटो शासन को भी ट्विटर के माध्यम से भेज डाली। डीएम औरैया के ट्विटर हैंडिल पर तालाब और उसमें काम कर रहे मजदूर भी दिखाई दे रहे हैं।
डीएम साहब के ट्विटर पर दिख रहे तालाब की खोज की तो धरातल पर तालाब न हमारी टीम को दिखाई पड़ा और न ही ग्राम पंचायत के मजदूरों को। जब इस अदृश्य तालाब के बारे में हमने मजदूरों से ग्राम प्रधान से पूछा तो क्या जबाब मिला सुनिए...
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रिपोर्ट : प्रवेश चतुर्वेदी