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डिब्बाबंद दूध पर अलर्टः बच्चों को न दें इसे, पोषण पैकेट में न करें इसका इस्तेमाल

जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा बच्चों को डिब्बाबंद दूध न देने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि यह दूध बच्चों के लिए घातक होता है...

Ashiki
Published on: 27 Jun 2020 3:08 PM GMT
डिब्बाबंद दूध पर अलर्टः बच्चों को न दें इसे, पोषण पैकेट में न करें इसका इस्तेमाल
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औरैया: पहले कोरोना संक्रमण महामारी से लोग ग्रसित हो रहे थे। जिसके चलते जिला प्रशासन द्वारा कई नियम बनाए गए और अब एक नई जानकारी और जनपद वासियों को उपलब्ध कराई गई, जिसमें जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा बच्चों को डिब्बाबंद दूध न देने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि यह दूध बच्चों के लिए घातक होता है। अपने मासूम बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सभी को सजग रहना चाहिए और मां अपना दूध ही बच्चे को पिलाएं जिससे बच्चे स्वस्थ रहें।

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बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने उठाया अहम् कदम

कोविड-19 के इस मुश्किल दौर में बच्चों की कुपोषण दर को कम करने व उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने एक और अहम् कदम उठाया है। कोरोना महामारी के दौरान शिशु स्वास्थ्य के लिए काम कर रही सभी पोषण संस्थाओं और संगठनों को निर्देश दिये गए हैं कि वह किसी भी प्रकार का पैक्ड शिशु आहार न बांटें।

जिला कार्यक्रम अधिकारी शरद अवस्थी का कहना है कि कोरोना महामारी के समय में धात्री महिलाओं एवं नवजात शिशुओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है। हांलाकि जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान तथा 6 माह पूर्ण होने पर माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार व 2 साल तक स्तनपान शिशु का सर्वोत्तम आहार है।

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बच्चों को सिर्फ ठोस व विटामिन युक्त आहार ही कराएं उपलब्ध

जिला कार्यक्रम अधिकारी शरद अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि शासन से निर्देश प्राप्त हुए हैं कि कोई भी पोषड संस्था बच्चों के लिए पैकेट वाला आहार उपलब्ध न कराए जिससे कि उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पर सके। उन्होंने कहा कि बच्चों को सिर्फ ठोस व विटामिन युक्त आहार ही उपलब्ध कराए जाने के निर्देश मिले हैं।

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जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि यही वह समय है जब हमें अधिक प्रयास कर स्तनपान व ऊपरी आहार व्यवहार की निरंतरता को सुनिश्चित करना है। क्योंकि कृत्रिम दूध व ऊपरी आहार के डिब्बे विकल्प के रूप में कई बार गलत तरीके से प्रोत्साहित किए जाते हैं। जो बच्चों और माता के लिए हानिकारक होते हैं। इसी को देखते हुए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के निदेशक शत्रुघ्न सिंह ने जानकारी दी और बताया कि भारत सरकार द्वारा पूरे देश में लागू आईएमएस एक्ट, 2003 (शिशु दुग्धाहार विकल्प, दुग्धपान बोतल एवं शिशु आहार अधिनियम, 1992 जिसे 2003 में संशोधित किया गया था) का सख्ती से पालन किया जाए।

रिपोर्ट: प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया

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