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सरकार के इस योजना से बदली इस गांव की हालत, बंदूकों की जगह लहलहाती हैं फसलें

उत्तर प्रदेश में स्थित मई मानपुर गांव में 'राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन' की सहायता से यहां पर अब चारों ओर समृद्धि की फसल लहलहाती हैं।

Shreya
Published on: 15 Dec 2019 6:38 AM GMT
सरकार के इस योजना से बदली इस गांव की हालत, बंदूकों की जगह लहलहाती हैं फसलें
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सरकार के इस योजना से बदली इस गांव की हालत, बंदूकों की जगह लहलहाती हैं फसलें

औरैया: उत्तर प्रदेश में स्थित मई मानपुर गांव में 'राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन' की सहायता से यहां पर अब चारों ओर समृद्धि की फसल लहलहाती हैं। ये एक ऐसा गांव है, जहां पर एक समय ऐसा था जब दस्यु लालाराम और निर्भर गुर्जर पनाह लेते थे। जहां केवल बंदूकें चलती थीं, अब यहां पर चारों ओर फसलें लहलहाती हैं। यहां पर शराब की जगह अब दूध की नदियां बहती हैं। अब स्कूलों में सन्नाटा नहीं रहता, बल्कि बच्चों से सारे स्कूल में चहल-पहल रहती है।

यमुना के बीहड़ में स्थित मई मानपुर में आज भी सूरज ढल जाने के बाद वहां जाने में डर लगता है। दस्यु लालाराम और निर्भर गुर्जर को पनाह देने वाले इस गांव में तत्कालीन एसपी दलजीत चौधरी ने यहां पर कई डकैतों का एनकाउंटर किया था।

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400 एकड़ जमीन को बनाया गया उपजाऊ

साल 2014 में 45 सौ की आबादी वाले इस गांव में 216 ग्रामीणों का 720 बीघा अनुपयोगी खेत केंद्र सरकार की इस योजना (राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन) के तहत समतल किया गया। इसके तहत 500 एकड़ बंजर जमीन में से 400 एकड़ जमीन को उपजाऊ बनाया गया। इसके बाद अब गांव में पशुपालन भी बढ़ा है और यहां पर मौजूदा समय में 5 हजार पशु हैं। गांव में स्वरोजगार के लिए मिले लोन से डेयरी प्रोजेक्ट लगाए गए हैं। दूध की सप्लाई की जा रही है।

भूमि संरक्षण अधिकारी राजेश रावत ने बताया कि, उस किसान को जिसका खेत एक हेक्टेयर से कम है उन्हें 10 हजार, भैंस खरीद पर 15 हजार और खाद-बीज पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया गया है। उन्होंने बताया कि, पहले दो परिषदीय स्कूलों में गांव के 30 प्रतिशत ही बच्चे पढ़ते थे, लेकिन अब एक राजकीय इंटर कॉलेज समेत 5 परिषदीय स्कूलों में करीब 80 प्रतिशत बच्चे पढ़ रहे हैं।

450 बने शौचालय

उन्होंने कहा कि, गांव में करीब 450 शौचालय बनाए गए हैं। साथ ही उज्जवला के तहत 700 परिवारों को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं 90 प्रतिशत घरों में बिजली कनेक्शन दिया गया है। उन्होंने कहा कि, इसका नतीजा आज सबके सामने है।

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वहीं गांव के अभिलाख सिंह ने बताया कि, लोग वहां निर्भय सिंह गुर्जर, रामवीर गुर्जर, फूलनदेवी, श्रीराम, फक्कड़, अरविंद गुर्जर, मुस्तकीम, कुसुमा नाइन, सीमा परिहार जैसे दस्युओं जिनका कभी वहां दबदबा रहता था, उनकी अब चर्चा भी नहीं करते हैं।

वहीं, ग्राम प्रधान नर सिंह यादव का कहना है कि, बीहड़ के कारण खेत किसी काम के नहीं थे, जिसकी वजह से युवा दस्यु बनते गए। अब इस योजना में शामिल होकर जिंदगी बदल गई।

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