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अयोध्या के चौरासी कोस में हो रहा अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा संचार
मंदिर निर्माण का शिलान्यास करने पहुंच रहे पीएम मोदी के आगमन से पहले एक बार फिर चौरासी कोस के दायरे में आध्यात्मिक ऊर्जा संचार का पुनर्प्रवाह किया जा रहा है।
अयोध्या: पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री राम के अयोध्या में प्राकट्य से पूर्व चौरासी कोस की परिधि में अनेक देवी-देवताओं ने आकर वास किया था और जप-तप व अनुष्ठान से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर भगवान के प्राकट्य उपयुक्त आध्यात्मिक वातावरण सृजित किया था। रामलला के मंदिर निर्माण का शिलान्यास करने पहुंच रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन से पहले एक बार फिर चौरासी कोस के दायरे में आध्यात्मिक ऊर्जा संचार का पुनर्प्रवाह किया जा रहा है।
151 से अधिक तपस्थली पर 2 दिन से धार्मिक पूजा व जप अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं। बुधवार को जब प्रधानमंत्री अयोध्या पहुंचेंगे तो इन स्थलों पर एक साथ यज्ञ आहुति दी जाएंगी। यज्ञ और अनुष्ठान का आयोजन करने वाले श्री अयोध्या न्यास का विश्वास है कि इससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक शक्तियों के कवच से रक्षित हो जाएगा।
सांसद लल्लू सिंह की अगुवाई में हुआ न्यास का गठन
श्री राम जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर की आकांक्षा अयोध्या ही नहीं पूरे विश्व के लाखों-करोड़ों आस्थावान मन मैं सैकड़ों वर्षो से पुष्पित पल्लवित हो रही है और अब तमाम बाधाओं के दूर होने के बाद सातवें आसमान पर रथ अरुण है। श्री अयोध्या न्यास का गठन अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह की अगुवाई में हुआ है। न्यास ने इससे पहले चौरासी कोस परिक्रमा परिधि में उपस्थित ऋषि मुनियों की तपोस्थली और पौराणिक महत्व के धार्मिक स्थलों की पहचान का महत्वपूर्ण कार्य पूरा किया है। 2 दिनों से न्यास की ओर से ही इन सभी 151 धर्म तीर्थ स्थल और इसी तरह के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर जब व अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। रमणक ऋषि स्थल पंडितपुर में हो रहे अनुष्ठान से जुड़े राजेंद्र पांडे के अनुसार चौरासी कोस के मध्य विराजित ऐसे सभी स्थलों पर श्री विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीरामचरितमानस और श्री दुर्गा सप्तशती पाठ समिति अन्य देवी देवताओं से जुड़े मंत्रों का जप किया जा रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या पहुंचने के साथ ही इन 151 स्थलों पर वैदिक मंत्रोचार गूंजने लगेंगे। चौरासी कोस की सीमा में स्थित तीर्थ क्षेत्र के सामान्य जन भी अनुष्ठान की पूर्णाहुति में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यह तीर्थ क्षेत्र अयोध्या समेत 4 जिलों में फैला हुआ है। इन ऋषि मुनियों की तपस्थली और अवतार स्थलों का वर्णन स्कंद पुराण, वाल्मीकि रामायण हरिवंश पुराण और रुद्रयामल जैसे ग्रंथों में किया गया है। इसी आधार पर वर्ष 1902 में गठित एडवर्ड तीर्थ विवेचना सभा ने शिलालेख भी स्थापित किए हैं। अयोध्या के सांसद और भाजपा नेता लल्लू सिंह ने बताया कि चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र में स्थित 151 धर्म स्थलों के अलावा भी कई ऐसे धार्मिक महत्व के स्थल हैं जहां अब विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है।
चौरासी कोस के पुण्य आयोजनों से दूर होंगी बाधाएं
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अयोध्या जिले के महबूबगंज में स्थित ऋषि श्रृंगी आश्रम, नंदीग्राम भरतकुंड, जन्मेजय कुंड सिड़सिड़, आस्तीक ऋषि आश्रम आस्तीकन, गौतम ऋषि आश्रम,रुदौली। च्यवन ऋषि आश्रम राजा पुरवा, रमणक ऋषि आश्रम पंडितपुर, मांडव्य ऋषि आश्रम बसौढ़ी, मां कामाख्या भवानी मंदिर सुनबा, ऋषि पाराशर का परास गांव, गोंडा जिले के वाराह (सूकर )क्षेत्र ,संत तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर, ऋषि अष्टावक्र स्थली रामघाट, ऋषि जमदग्नि स्थली जमथा, कपिल मुनि आश्रम महंगूपुर, पुत्रेष्ठि यज्ञ स्थल मखभूमि मखोड़ा, रामरेखा छावनी समेत कई स्थलों पर अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है।
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5 अगस्त को सुबह जप और पाठ के बाद साधक और श्रद्धालु हवन आहुति डालेंगे। समापन पर सवा लाख पैकेट का प्रसाद वितरण भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का प्राकट्य त्रेता युग में भी अयोध्या क्षेत्र के लिए अत्यंत पुण्यदायी अविस्मरणीय पल था और अब मंदिर निर्माण शुभारंभ कार्यक्रम भी ऐसा ही दुर्लभ क्षण बनने जा रहा है। जिसकी साक्षी अयोध्या के साथ ही मानवता बनने जा रही है। चौरासी कोस में होने वाले इन पुण्य आयोजनों से जो सकारात्मक आध्यात्मिक ऊर्जा निर्मित होगी उसकी शक्ति कृपा से मंदिर निर्माण की भावी बाधाएं भी दूर हो सकेंगी।
राजेंद्र पांडे