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अयोध्या में बनेगा राम मंदिर, इस आस में तरसता था पत्थर, आज सुन न सका फैसला

राम मंदिर पर फैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी धर्मों के लोगों ने आगे आकर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। अयोध्या में भी हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही राम मंदिर पर फैसला आने के बाद से खुश है।

Aditya Mishra
Published on: 9 Nov 2019 10:57 AM GMT
अयोध्या में बनेगा राम मंदिर, इस आस में तरसता था पत्थर, आज सुन न सका फैसला
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लखनऊ: राम मंदिर पर फैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी धर्मों के लोगों ने आगे आकर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। अयोध्या में भी हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही राम मंदिर पर फैसला आने के बाद से खुश है।

लेकिन अयोध्या में जो शख्स इस आस में 1990 से हजारों टन पत्थरों को अपने हुनर से तराश रहा था कि एक दिन राम मंदिर बनेगा और ये पत्थर उसमें इस्तेमाल होंगे, आज अयोध्या फैसले के ऐतिहासिक दिन वह दुनिया छोड़कर जा चुका है।

यहां बात हो रही है रजनीकांत सोमपुरा की। जो अयोध्या कारसेवकपुरम स्थित राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में पत्थर तराशने का काम करता था। उसका देहांत हो चुका है। जिसके बाद से यहां काम पूरी तरह से ठप है।

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फैसले के बाद अब फिर शुरू होगा पत्थर तराशी का काम

कार्यशाला में कार्य ठप होने पर विश्व हिंदू परिषद् के प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं, " सितंबर 1990 से ही कार्यशाला में लगातार पत्थर तराशने का काम चल रहा था।

अब तक 65 फ़ीसदी काम भी पूरा हो चुका है। लेकिन दो महीने पहले मुख्य मूर्तिकार रजनीकांत की मौत हो गई। तभी से काम रुका हुआ है।

बता दे कि रजनीकांत 1990 में 21 साल की उम्र में गुजरात से अयोध्या आए थे और लगातार इस पर काम करते रहते थे। पिछले दिनों जुलाई में रजनीकांत के निधन के बाद से ही अयोध्या में पत्थरों को तराशने का काम बंद हो गया।

तय किया गया है कि नए कारीगरों की नियुक्ति फैसले के बाद से की जाएगी। अब कार्यशाला में काम की शुरुआत राम जन्मभूमि न्यास की बैठक के बाद ही शुरू होगी।

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30 अगस्त 1990 को कार्यशाला में शुरू हुआ निर्माण कार्य

मालूम हो कि राम मंदिर निर्माण कार्यशाला का शिलान्यास 10 नवंबर 1989 में किया गया था। 30 अगस्त 1990 को इस कार्यशाला में निर्माण कार्य शुरू हुआ था। कभी राम मंदिर के पत्थरों को तराशने और इन पर बारीक चित्रकारी करने का काम 150 मजदूर करते थे, लेकिन समय के साथ मजदूरों ने काम भी छोड़ दिया।

शरद शर्मा ने बताया कि एक ही मूर्तिकार कई महीनों से अकेले ही काम कर रहा था। अब फैसले के बाद न्यास की होने वाली बैठक में कारीगरों की संख्या बढ़ाने पर फैसला होगा।

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Aditya Mishra

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