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सावधान: प्रदूषित-जहरीली हवा से भी हो सकती है दिल की बीमारी

अगर, आप एक संयमित जीवन शैली अपना रहे है, धूम्रपान और मदिरापान जैसे व्यसनों में नहीं लिप्त है और आपके पारिवारिक इतिहास में हृदय रोग की शिकायत न रही हो, फिर भी आपको दिल का दौरा नहीं पडे़ेगा या हृदय रोग नहीं होता इसकी कोई गारंटी नहीं है।

Roshni Khan
Published on: 3 Nov 2019 1:41 PM IST
सावधान: प्रदूषित-जहरीली हवा से भी हो सकती है दिल की बीमारी
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: अगर, आप एक संयमित जीवन शैली अपना रहे है, धूम्रपान और मदिरापान जैसे व्यसनों में नहीं लिप्त है और आपके पारिवारिक इतिहास में हृदय रोग की शिकायत न रही हो, फिर भी आपको दिल का दौरा नहीं पडे़ेगा या हृदय रोग नहीं होता इसकी कोई गारंटी नहीं है। मौजूदा समय में अत्याधिक प्रदूषित और जहरीली हो चुकी हवा में सांस लेना भी हृदय रोगों को बढावा दे रहा है। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है मौजूदा समय की जहरीली हवा वृद्धों के साथ-साथ युवाओं के लिए भी घातक है।

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राजधानी लखनऊ के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डा. कीर्तिमान सिंह ने बंगलौर के श्री जयदेवा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवेस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च में 2500 लोगों पर की जा रही स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि रिसर्च की शुरुआती रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल के रोगों के कारणों में वायु प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि खास बात यह है कि जिन मरीजों पर यह स्टडी की जा रही है, इनमें आधे मरीजों की उम्र 40 साल से कम है। यही नहीं ये वे मरीज हैं जो न तो स्मोकिंग करते हैं, और न ही इनके माता-पिता में किसी को हृदय रोग की शिकायत रही थी।

इस पर डॉक्टर सिंह का ये कहना है

डा. सिंह ने कहा कि यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को वहां प्रदूषण का स्तर कम होने के कारण दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। उन्होंने कहा कि अब दिल की बीमारी किसी की आयु से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। यह बीमारी 25 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि, शुरुआती पहचान और उपचार से हृदय को नुकसान होने की संभावना कम हो जाती है। स्टडी में यह भी साबित हो चुका है कि भारतीयों को हमारे पश्चिमी समकक्षों की तुलना में कम से कम 10 साल पहले दिल की बीमारियां होती हैं।

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एक अन्य कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक शुक्ल बताते है कि दिल का दौरा पड़ने के एक घंटे के अंदर मरीज को विशेषज्ञ की देख-रेख में इलाज मिल जाये तो उसकी स्थिति पहले की तरह हो जाती है लेकिन जैसे-जैसे देर होती है वैसे-वैसे फायदे की संभावना कम हो जाती है। उन्होंने बतया कि ऐसे में सिर्फ 30 फीसदी मरीजों की ही एंजियोप्लास्टी हो पाती है, जबकि एंजियोप्लास्टी के अभाव में 70 प्रतिशत दिल के दौरे के मरीजों की मौत हो जाती है।

इस पर डॉक्टर शुक्ल का ये कहना है

डा. शुक्ल बताते है कि समय पर इलाज न मिलने की बड़ी वजहों में समुचित उपचार की उपलब्ध सुविधाओं में कमी के साथ ही परिजनों की जागरूकता का अभाव है। अगर सुविधा मौजूद हों और परिजन मरीज को लेकर समय से कार्डियोलॉजिस्ट तक पहुंच जायें तो इन 70 प्रतिशत रोगियों को बचाया जा सकता है। वह कहते है कि हार्ट अटैक पड़ने के एक घंटे के अंदर इलाज का बहुत महत्व है, इसीलिए इसे 'गोल्डन आवर' कहा जाता है। उन्होंने बताया कि एक साल में देश में 21 लाख लोगों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि त्वरित एंजियोप्लास्टी से दिल का दौरा पड़ने का खतरा 32 से लेकर 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है और भविष्य में भी आशंका कम कर देता है।

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गौरतलब है कि वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य आपातकाल घोषित हो गया है, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और राजधानी लखनऊ समेत अन्य कई जिलों का भी हाल बुरा है। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि दिल के रोगों के लिए भी वायु प्रदूषण बहुत जिम्मेदार है। इसके 2.5 माइक्रॉन से छोटे पार्टिकल जो वाहनों के इंजन, कम्प्रेशर, डीजल से निकलते हैं, बहुत नुकसानदायक हैं।



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Roshni Khan

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