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कोरोना संकटकाल में इन मुद्दों पर चिंतन का समय, बैठक में हुई ये खास चर्चा
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में संचालित पर्यावरण एवं विकास अध्ययन संस्थान के द्वारा ‘द बिग पिक्चर बायोडायवर्सिटी एंड एनवायरमेंट’ विषयक एक वेबिनार का आयोजन किया गया।
झांसी: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में संचालित पर्यावरण एवं विकास अध्ययन संस्थान के द्वारा ‘द बिग पिक्चर बायोडायवर्सिटी एंड एनवायरमेंट’ विषयक एक वेबिनार का आयोजन किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित इस वेबिनार में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पर्यावरण विभाग के भूतपूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.बी.डी.जोशी, उत्तर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक देवेंद्र कुमार तथा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लखनऊ के मुख्य पर्यावरण अधिकारी डा. मोहम्मद सिकंदर प्रमुख वक्ता थे।
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नदियां किसी भी देश में जल सम्पदा का प्रमुख स्रोत होती हैं
इस अवसर पर डॉ. बी.डी. जोशी ने बताया नदियां किसी भी देश में जल सम्पदा का प्रमुख स्रोत होती हैं तथा नागरिकों की पेयजल की आवश्यकता को पूरा करने का प्रमुख साधन होती हैं। इसलिए यह हमारा उत्तरदायित्व है कि हम अपने जल स्रोतों विशेष कर नदियों को साफ रखें, परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश की अधिकतर नदियां इस स्तर तक प्रदूषित हो चुकी हैं कि उनका पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। प्रो. जोशी ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में नदियों की प्राकृतिक संरचना में कई बदलाव आए हैं। इसकी मुख्य वजह है विकास के लिए अवसंरचनात्मक विकास, बांधों और तटबंध आदि का निर्माण। परन्तु इसके कारण नदियों का प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है, जबकि मुक्त बहने वाली नदियां जैव विविधता में सबसे ज्यादा योगदान करती हैं।
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इन नदियों से लाखों लोगों को ताजा पानी, खेतों की सिंचाई, मछली पालन और जल विद्युत के लिए पानी उपलब्ध होता है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से गंगा तथा अन्य नदियों में पानी की स्वच्छता का स्तर काफी बढ गया है, जोकि जैव विविधता के संवर्धन हेतु एक शुभ संकेत है। प्रो. जोशी ने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण एवं संवर्धन मानव के अस्तित्व बनाये रखने के जिए आवश्यक हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक देवेंद्र कुमार ने कहा कि वन सदैव से ही जैव विविधता को फलने फूलने के लिए स्थान रहे हैं। वनों का जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने कहा कि वन हमारे पर्यावरण का एक प्रमुख भाग है तथा पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने में प्रमुख भूमिका का निर्वहन करते हैं। मानव अपने स्वार्थ के लिए अन्धाधुन्द कटान के कारण जंगल मिटाये जा रहे है, जिससे जैव विविधता का क्षय होता जा रहा है। उन्होने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हम वन को संरक्षण करें तथा पर्यावरण के साथ-साथ जैव विविधता का भी संरक्षण एवं संवर्धन हो सके।
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पर्यावरण प्रदूषण एक खतरनाक सीमा तक बढ़ चुका है
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ के मुख्यपर्यावरण अधिकारी डॉ. मोहम्मद सिकंदर ने कहा की वर्तमान में वर्तमान भौतिकवादी व्यवस्था में मानव के रहन जीवन शैली के कारण पर्यावरण प्रदूषण एक खतरनाक सीमा तक बढ़ चुका है जिसका प्रभाव हमारे पर्यावरण के साथ साथ जैव विविधता पर भी पड रहा है। प्रदूषण के कारण जीव जन्तुओं की कीटों तथा पौधों की कई प्रजातियां या तो समाप्त हो चुकी है या समाप्ति की कगार पर हैं। डॉ. सिकन्दर ने कहा कि अब यह हमारा उत्तर दायित्व है कि हम पर्यावरण के संरक्षण के लिए कार्य करें ताकि पर्यावरण कम से कम प्रदूषित हो।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रो.एम.एम.सिंह ने जैव विविधता जैसे महत्वपूर्ण विषय पर वेबिनार करवाने के लिए संस्थान के शिक्षकों को बधाई दी और कहा कि वर्तमान समय में संपूर्ण मानवता एक कठिन दौर से गुजर रही है। इसको देखते हुए जैव विविधता को पर्यावरण दिवस का मुख्य विषय बनाना प्रासंगिक है। पर्यावरण की रक्षा और जैव विविधता के संरक्षण के लिए हम सभी को अपनी पूर्ण शक्ति से कार्य करना होगा।
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उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती उपस्थित कर दी है। उन्होंने कहा कि यह चुनौती के साथ एक अवसर भी है कि हम समकालीन पर्यावरणीय समस्याओं, जैव विविधता के संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों, प्रदूषण के विभिन्न कारकों तथा मनुष्यों और जीव जगत के टकराव, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे विषयों पर चिंतन करें।
आज के वेबिनार का शुभारम्भ बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में पर्यावरण तथा विकास अध्ययन संस्थान के समन्वयक डा.अभिमन्यु सिंह ने आमंत्रित अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ सिंह ने कहा कि संयुक्त राश्ट्र संघ द्वारा इस वर्ष 2020 के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘बायोडाईवरसिटी- ए कंसर्न दैट इज बोथ अरजेण्ट एण्ड एक्सिटेनशियल’ घोषित की गई है। इस अवसर पर डा.ए.के. गिरी, डा.अमित पाल सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक शिक्षिकाएं तथा छात्र छात्राओं ने वेबीनार में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ स्मृति त्रिपाठी ने किया जबकि आमंत्रित अतिथियों का आभार डॉ विनीत कुमार ने व्यक्त किया।
रिपोर्ट: बी.के. कुशवाहा
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