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कटरा बाजार के भाजपा विधायक बावन सिंहः 51 साल से परिवार पर भरोसा
विधायक बावन सिंह का कहना है कि जनता की सेवा ही मेरी जिंदगी है। लोगों ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, मैं उनका विश्वास कभी टूटने नहीं दूंगा। क्षेत्र के विकास के लिए जो भी संभव होगा उसे पूरा करेंगे।
तेज प्रताप सिंह
गोंडा। धारणा है कि मेधावी छात्रों का सामाजिक कार्यों के प्रति रुझान कम ही होता है। राजनीति में जाने की बात तो वे सोच भी नहीं सकते। लेकिन जिले में भारतीय जनता पार्टी के एक ऐसे विधायक हैं। जिन्होंने मेधावी छात्र होने के बावजूद सियासत की राह पकड़ी है। और राजनीति में भी गहरी छाप छोड़ी है।
सुदूर गांव के ऊबड़-खाबड़ रास्तों से सत्ता के गलियारों तक अपनी अलग पहचान रखने वाले कटरा बाजार के भाजपा विधायक बावन सिंह डाक्टर बनकर समाज सेवा करना चाहते थे, लेकिन पूर्वजों की विरासत संभालने और पिता के सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और राजनीति को समाज सेवा का जरिया बनाया।
कई बार ब्लाक प्रमुख, जनसंघ और भाजपा से विधायक रहे पिता की ऊंगली थाम उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा। कभी बतौर मामूली कार्यकर्ता जनसंघ से जुड़े बावन सिंह ने अपनी सादगी और मेहनत से क्षेत्र के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा की।
क्षेत्र में अपना अलग स्थान बनाया। पार्टी में भी एक मजबूत और जिताऊ प्रत्याशी की छवि हासिल की। पार्टी के प्रति समर्पण और निष्ठा का ही नतीजा है कि बीते 51 साल से भाजपा ने हर बार उन पर विश्वास किया।
कटरा बाजार विधान सभा क्षेत्र से उनके पिता के बाद उन्हें ही पार्टी का उम्मीदवार बनाया।
राजनीतिक परिवार से हैं
कटरा बाजार के भाजपा विधायक बावन सिंह के बाबा संत बख्श सिंह साधारण किसान और समाज सेवी थे और गांव के प्रधान हुआ करते थे। बाबा के बाद पिता श्रीराम सिंह ने उनकी विरासत संभाली और प्रधान हुए।
विधान सभा का चुनाव लड़ने के पहले उन्होंने जिले की सबसे बड़ी पंचायत जिला परिषद की ओर रुख किया और सदस्य निर्वाचित होने के बाद जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी बने।
शुरुआत से ही जनसंघ की हिन्दुत्व विचारधारा से जुड़े होने के कारण 1969 के विधान सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कटरा बाजार से प्रत्याशी बनाया, जिसमें कार्यकर्ताओं और जनता में लोकप्रियता से उन्होंने जीत हासिल की।
साल 1983 और 1988 में वे हलधरमऊ के ब्लाक प्रमुख चुने गए। हालांकि इस बीच कई बार चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन पार्टी के प्रति पूर्ण निष्ठा और क्षेत्र में लोकप्रिय होने के कारण हर विधान सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें ही अपना सिम्बल दिया।
जनसंघ के बाद जब भाजपा का गठन हुआ तो 1991 में भाजपा ने भी कटरा बाजार से श्रीराम सिंह को ही प्रत्याशी घोषित किया, जिसमें उन्हें बड़ी जीत मिली। लेकिन बीमारी के कारण दो साल बाद ही उनका निधन हो गया।
कल्याण ने दिया सहारा
पिता के निधन पर संवेदना व्यक्त करने उनके घर आए तबके कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बावन सिंह को सहारा दिया और 1995 के उपचुनाव में बावन सिंह को ही पार्टी का प्रत्याशी बनाया।
इस उपचुनाव में तत्कालीन सपा सरकार और मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पूरी ताकत झोंक दी लेकिन भाजपा उम्मीदवार बावन सिंह विजयी हुए। इसके बाद 1996 में भी पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए टिकट देकर विधायक बनाया।
इसके बाद 2012 और 2017 में उन्हें पुनः जीत मिली और वर्तमान में भी कटरा बाजार से विधायक हैं। क्षेत्र में लोकप्रियता का परिणाम रहा कि उनकी मां सूर्यकला सिंह 2000 से 2005 तक हलधरमऊ की ब्लाक प्रमुख रहीं।
विधायक की पत्नी गीता सिंह 2005 से 2010 तक ग्राम प्रधान रहीं। जबकि वर्तमान में उनके भाई विजय प्रताप सिंह उर्फ तिरपन सिंह की पत्नी कमलेश सिंह गद्दौपुर की ग्राम प्रधान हैं।
सीपीएमटी की तैयारी छोड़ राजनीति में आए
जिले के कर्नलगंज तहसील क्षेत्र अंर्तगत ग्राम गद्दौपुर के निवासी बावन सिंह का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनकी मां और पिता श्रीराम सिंह के संस्कारों का नतीजा रहा कि वे शुरु से ही शांत स्वभाव के और पढ़ाई में अव्वल रहे।
कर्नलगंज के कन्हैया लाल इण्टर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर उन्होंने राजकीय इण्टर कालेज इलाहाबाद से विज्ञान इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण किया।
1978 में उन्होंने महारानी लाल कुंवरि महाविद्यालय बलरामपुर से बायोलाजी में अच्छे अंक के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की।
तीन भाइयों में सबसे बड़े बावन सिंह के मन मस्तिष्क में शिक्षा के दौरान डाक्टर बनकर सेवा करने का विचार अंकुरित हुआ और वे सीपीएमटी परीक्षा उत्तीर्ण करने की तैयारी में जुट गए।
पिता ने उत्तराधिकारी के रूप में देखा
लेकिन उनके पिता श्रीराम सिंह ने उन्हें अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रुप में देखा और उन्हें साथ ले लिया।
इसका परिणाम रहा कि उनके कई सहपाठी बड़े-बड़े डाक्टर बन गए, जबकि वे राजनीति में आकर पिता की विरासत संभालते हुए अनेकों बार विधायक बन चुके हैं।
राजनीति हो अथवा समाज सेवा हर काम में उनकी पत्नी गीता सिंह बेटे वैभव सिंह ‘मोनू‘ और भाई विजय प्रताप सिंह उर्फ तिरपन सिंह विष्णु प्रताप सिंह उर्फ गप्पू सिंह का पूरा समर्थन और सहयोग उन्हें मिलता है। इसी का परिणाम रहा कि वह आज राजनीतिक बुलंदियों के शिखर पर हैं।
कार्यकर्ता से विधायक तक का सफर
हिन्दुत्व विचारधारा वाले जनसंघ और भाजपा की छांव में राजनीति का ककहरा सीखने वाले बावन सिंह देखते ही देखते क्षेत्रीय जनता के प्रिय हो गए और पहली बार पिता श्रीराम सिंह के चुनाव का संचालन कर 1083 में ब्लाक प्रमुख बनवाया।
क्षेत्र में किए गए विकास कार्य का ही नतीजा रहा कि 1985 में दूसरी बार भी वह प्रमुख चुने गए।
पिता का विश्वास ही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ और वे पढ़ाई छोड़कर पूरी तरह से समाजसेवा और राजनीति में आ गए। क्षेत्रीय जनता के बीच उनकी विलक्षण कार्यशैली और मिलनसार व्यक्तित्व का ही परिणाम है कि आज भी वे जन-जन के दिलों में बसे हैं।
सहजता और संघर्ष ने दिलाई पहचान
चार दशक से कटरा बाजार क्षेत्र और जिले की राजनीति में अंगद की तरह पैर जमाए बावन सिंह ईमानदारी और सहनशीलता के लिए मशहूर हैं। विधायक बावन सिंह आमतौर पर शांत ही रहते हैं।
उनके मन में बदले की भावना भी नहीं रहती। खुद क्षत्रिय बिरादरी से हैं लेकिन उनकी पकड़ ब्राह्मणों, पिछड़ों और दलितों में अधिक है। बावन सिंह की सहजता, सरलता, कड़े संघर्षों ने कई बार भाजपा का मस्तक ऊंचा किया है।
अदने से आदमी से भी मिलने और पीड़ा दूर करने का प्रयास करने वाले बावन सिंह 24 घंटे क्षेत्र की जनता की सेवा में लगे रहते हैं। शहरी चकाचौंध से दूर पैतृक गांव में ही सदैव निवास होने के कारण वे सदैव जनता और अपने समर्थकों के लिए सुलभ रहते हैं।
हर व्यक्ति मुरीद
यही कारण है कि एक ओर जहां उनका जनाधार और लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है तो वहीं बेहद अपनेपन से मिलने के कारण हर व्यक्ति उनका मुरीद भी हो जाता है।
यही वजह है कि 1978 में राजनीति की शुरुआत करने वाले बावन सिंह को संगठन में अहम दायित्व मिलते रहे। उन्होनें अपनी भाग्य की लकीर खुद खींचा और अपनी अलग पहचान बनाई। राजनीति के इस दौर में जहां लालच और धैर्य लुप्त हो रहा है, वहीं बावन सिंह की यही सबसे बड़ी पूंजी है।
जनता का सेवक मानकर अपने से छोटे उम्र के लोगों का पैर छूकर वे हर किसी के आत्मा में बस जाते हैं। उनका अदभुत सौम्य और शक्ति ही सामर्थ्य का आधार है जो उन्हें उनके संस्कारवान पिता और राजनीतिक गुरु श्रीराम सिंह से मिला है। ईश्वर के प्रति पूर्ण आस्था रखने वाले बावन सिंह ऐसे राजनेता है, जिन्होनें अपने दायित्व और जनता के किसी काम को कभी छोटा नही माना।
समाज सेवा के लिए समर्पित
राजनीति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सूबे के मख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना आदर्श मानने वाले भाजपा विधायक बावन सिंह राजनीति से समय मिलने पर पुस्तकों का अध्ययन करते रहते हैं।
भले ही उन्हें राजनीति विरासत में मिली हो लेकिन चार दशक से रात दिन कड़े संघर्ष और अनवरत समाज सेवा से उन्होंने जिले ही नहीं प्रदेश में अपनी अलग पहचान बना लिया हैं।
यही वजह है कि भाजपा के दुर्दिन में भी उन्होंने विधान सभा चुनाव जीतकर पार्टी का परचम लहराया। जन समस्याएं छोटी हों अथवा बड़ी उसे गंभीरता से लेकर निपटाना उनकी प्राथमिकता होती है।
निरीक्षण भी करते हैं
क्षेत्र के विकास लिए योजनाओं की स्वीकृति के लिए वे एक ओर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलते हैं तो वहीं गांवों में पहुंचकर जन समस्याओं की जानकारी लेते हैं और विकास कार्यों का निरीक्षण भी स्वयं करते हैं।
उनकी छवि सादगी, सहृदय, जागरुक और विकासशील विधायक के रूप में है और वे क्षेत्रीय जनता के बीच बेहद लोकप्रिय भी हैं। राजनीतिक कामों से फुरसत मिलने पर वे परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं।
बावन सिंह कहते हैं मैं बातों नहीं, काम में विश्वास रखता हूं। जो भी करता हूं, पूरी ईमानदारी और मेहनत से करता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि ईमानदारी और जनसेवा से ही इज्जत, शोहरत मिलती है। सभी से सम्मान पूर्वक अच्छे व्यवहार से ही जनता के ज्यादातर काम हो जाते हैं।
वनवास में भी रहे भाजपा के साथ
भाजपा को इकलौती आंतरिक लोकतंत्र वाली पार्टी बताते हुए विधायक बावन सिंह कहते हैं कि अन्य सभी दल प्राइवेट लिमिटेड कम्पनियों की तरह हैं। बाल्यकाल से जनसंघ और बाद में भाजपा से जुड़ने के बाद बावन सिंह ने न तो कभी पीछे मुड़कर देखा और न ही पार्टी का साथ छोड़ा।
बीच में कई दौर वह भी आया जब चुनिंदा लोग ही भाजपा में बचे थे। उनके तमाम साथी दूसरे दलों में चले गए। कुछ दलों द्वारा उन्हें पद और पावर के प्रलोभन भी दिए गए लेकिन उनके जीवन के अंतिम क्षण तक पार्टी की सेवा का संकल्प के कारण उन्होंने पार्टी का साथ नहीं छोड़ा।
धन और बल से राजनीति प्रभावित
उनका मानना है कि भारतीय जनता पार्टी ही देश का विकास कर सकती है और भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिला सकती है। धन और बल की राजनीति ने कुछ हद तक राजनीति को प्रभावित जरुर किया है लेकिन आज भी अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को भी शिखर पर पहुंचाया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। चुनाव आयोग द्वारा लगातार किए जा रहे सुधार को उचित बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे धन और बल के अंधाधुंध प्रयोग पर अंकुश लगा है।
चुनाव में बाहुबल और धनबल रोकने के पक्षधर बावन सिंह कहते हैं कि भूतपूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने चुनाव में धनबल और बाहुबल रोकने के लिए प्रयास न किया होता तो शायद वे सपा के शासनकाल में उप चुनाव न जीत पाते।
दलबदल का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि विचारधारा परक राजनीति करने वाले नेता ही देश और समाज को नई दिशा दे सकते हैं।
भाजपा ही सबसे बेहतर पार्टी
राजनीति में जातिवाद के घोर विरोधी बावन सिंह कहते हैं कि ब्राहमणों का सबसे अधिक प्रिय होने के कारण ही ब्राहमण बाहुल्य होने के बावजूद उनके पिता और उन्हें कई बार जिताकर विधान सभा जाने और जनता की सेवा करने का अवसर मिला है।
उन्हें सबसे ज्यादा खुशी तब हुई जब नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय हुआ। इसके साथ ही पांचसौ वर्षों से चल रहे संघर्ष के बाद जब अयोध्या में भगवान राम के जन्मभूमि को मुक्ति मिली मंदिर के पक्ष में उच्चतम न्यायालय का फैसला आया तो उन्हें अत्यंत खुशी हुई।
सकारात्मक बदलाव हुआ
भाजपा विधायक बावन सिंह मानते हैं कि राजनीति में सकारात्मक बदलाव का ही नतीजा है कि धारा 370 के खात्मे के बाद अब कश्मीर भारत का हुआ है।
भाजपा सरकार और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण, मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक जैसे काले कानून के बंधन से मुक्त कराकर देश को नई दिशा दी है।
बदलाव की कड़ी में बहुप्रतीक्षित नागरिकता संशोधन बिल भी देश में अवैध घुसपैठ को रोकने में मील का पत्थर बनेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति से छात्रों और युवाओं सहित पूरे देश का भविष्य बदलेगा।
कोविड-19 महामारी के दौर में देश व प्रदेश की सरकारों के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने अभूतपूर्व सेवा कार्य किया है। भाजपा अकेली पार्टी है, जिसके कार्यकताओं ने नगर की गलियों से गांव-गांव और में घर-घर पहुंचकर लोगों को राहत दी है।
विधायक निधि कम, नौकरशाही मददगार
विधायक निधि के सवाल पर विधायक बावन सिंह ने कहा कि विधायक निधि क्षेत्र के विकास में काफी सहायक है और इससे क्षेत्र के लोगों की तमाम छोटी-छोटी समस्याएं निपट जाती हैं।
लेकिन जरुरतों के हिसाब से विधायक निधि की धनराशि अत्यंत कम है। इसमें वृद्धि होनी चाहिए ताकि जनता की उचित मांगों को आसानी से पूरा किया जा सके। यदि यह संभव न हो तो इसे खत्म करना ही श्रेयस्कर होगा।
इसके सथान पर प्रत्येक विधायक को प्रति वर्ष 20 से 25 किमी सड़क निर्माण का बजट दिया जाय।
उन्होंने कहा कि विकास कार्य ईमानदार नौकरशाही के सहयोग से ही संभव हो पा रहा है। लेकिन भ्रष्ट नौकरशाह अनावश्यक अड़ंगेबाजी भी करते हैं। इसलिए नौकरशाही के भ्रष्टाचार पर अंकुश होना चाहिए तभी देश, प्रदेश का विकास होगा।
उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों के यहां लोगों की भीड़ जुटती है यह उनके लिए सौभाग्य की बात है। उनके क्षेत्र की जनता जागरुक है और क्षेत्र की समस्याओं का निराकरण करना हो अथवा विकास कार्य, क्षेत्रीय जनता का पूरा सहयोग मिलता है।
सड़कों का निर्माण कराकर दी सौगात
बावन सिंह विधायक निधि से लगभग चार करोड़ की लागत से चार दर्जन से अधिक सड़कों, सम्पर्क मार्गों का निर्माण करा चुकेहैं। विधायक ने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को गिनाया
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कहा कि वर्षों से खराब सड़कों का दंश झेल रहे क्षेत्र वासियों का आवागमन सुलभ कराने के लिए उन्होंने पूर्वांचल विकास निधि से 14 करोड़ की लागत से आधा दर्जन सड़कों का निर्माण कराया है।
विकास कार्य
इसमें सवा तीन करोड़ से पतिसा-भटनइया-सोनहरा होते हुए पक्की सड़क तक,
सवा दो करोड़ से मैजापुर रेलवे स्टेशन से चीनी मिल तक, दो करोड़ से झौहना सम्पर्क मार्ग से बरईपुरवा मार्ग,
दो करोड़ से ही झौनहा पीडब्लूडी मार्ग से मितईपुरवा सम्पर्क मार्ग,
दो करोड़ से उर्दीगोण्डा से नथुनिया चौराहा तक,
पौने दो करोड़ से रामापुर-दुबहाबाजार-मेहरबानाबाद मार्ग के किमी 16 से चहलवा चौराहे से सीरपुर तिवारी पुरवा होते हुए निबुइया पुल तक सम्पर्क मार्ग शामिल है।
इसी प्रकार त्वरित विकास निधि के अंर्तगत चार करोड़ की लागत से पांच सड़कों का निर्माण कराया गया है।
इसके अलावा प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद उनके क्षेत्र में बिजली आपूर्ति में व्यापक सुधार के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय कार्य हुए हैं।
चार दर्जन गंभीर रोगियों को दी मदद
विधायक बावन सिंह ने बताया कि आर्थिक परेशानी से जूझ रहे लोगों को गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए जहां प्रदेश की भाजपा सरकार प्रयास कर रही है।
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वहीं उन्होंने विधायक निधि और अपने स्तर से क्षेत्र में आर्थिक परेशानी से जूझ रहे चार दर्जन से अधिक लोगों को कैंसर, किडनी, लीवर, हृदय रोग जैसे गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए इलाज के लिए 50 लाख रुपए से अधिक धनराशि की आर्थिक सहायता के रुप में दी है।
उन्होंने बताया कि विधायक निधि से प्रतिवर्ष 25 लाख रुपए गरीब मरीजों को इलाज के लिए धनराशि उपलब्ध कराने की व्यवस्था है।
इन्हें दी गई मदद
इसके तहत अब तक नकहा के कृष्ण मोहन, बांसगांव की उमा देवी, मोहम्मदपुर के नकुल सिंह, कलवारी के आकाश, पड़रिया के राजेन्द्र प्रसाद, लालपुर की माया देवी, राजपुर की बिट्टू तिवारी, लक्ष्मनपुर के राम अनुराग, गौसिहा के महादेव प्रसाद, सेहरिया कला की सुनीता सिंह, जयराम पुरवा के बाबादीन, सिकरी की शिखा सिंह, रेवारी के राम सिंह, पैंड़ीबरा के अरविन्द कुमार, बैरमपुर के सुशील कुमार, शाहजोत के बच्चा और कोटिया मदारा के लोचन सिंह समेत चार दर्जन से अधिक गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को इलाज के लिए आर्थिक मदद दी जा चुकी है।
पृथ्वीनाथ तक टूलेन रोड, नदियों पर बनेगा पुल
विधायक बावन सिंह ने बताया कि आर्य नगर-पृथ्वीनाथ मंदिर तक टू लेन मार्ग निर्माण को स्वीकृति के साथ ही 57 करोड़ की पहली किश्त भी जारी हो गई है।
उनके क्षेत्र की अत्यंत जर्जर कर्नलगंज-हुजूरपुर मार्ग को भी टू लेन बनाए जाने की स्वीकृति के साथ ही 26 करोड़ की पहली किश्त मिल गई है।
एक करोड़ की लागत से कुरासी से भोलाजोत मार्ग पर विसुही नदी पर पुल निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है। जबकि टेढ़ी नदी के कुट्टी घाट पर नौ करोड़ की लागत से पुल निर्माण को भी वित्तीय स्वीकृति मिल चुकी है।
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विधायक बावन सिंह का कहना है कि जनता की सेवा ही मेरी जिंदगी है। लोगों ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, मैं उनका विश्वास कभी टूटने नहीं दूंगा। क्षेत्र के विकास के लिए जो भी संभव होगा उसे पूरा करेंगे।
बिजली, पानी, सड़क, पुल और कानून व्यवस्था को सही करना मेरी प्राथमिकता है।