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भाजपा MLC ने सीएम को लिखा पत्र, कहा कि संविदा की नई नियमावली को करें निरस्त

देवेन्द्र सिंह ने कहा है कि यह नई सेवा नियमावली के लागू होने से सरकार और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचने की पूरी संभावना है। इस प्रस्ताव को लेकर आम जनता, खासतौर पर युवा वर्ग में काफी नाराजगी दिख रही है। उन्होंने साफ किया है कि इस मामलें में वह नौजवानों के साथ रहेंगे।

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Published on: 16 Sept 2020 7:02 PM IST
भाजपा MLC ने सीएम को लिखा पत्र, कहा कि संविदा की नई नियमावली को करें निरस्त
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भाजपा MLC ने सिएम को लिखा पत्र, कहा कि संविदा की नई नियमावली को करें निरस्त

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर-फैजाबाद स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर समूह ख व समूह ग की सेवा नियमावली में बदलाव कर पांच सालों तक संविदा पर तैनाती के प्रस्ताव का विरोध करते हुए निरस्त करने की मांग की है।

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पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचने की पूरी संभावना

देवेन्द्र सिंह ने कहा है कि यह नई सेवा नियमावली के लागू होने से सरकार और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचने की पूरी संभावना है। इस प्रस्ताव को लेकर आम जनता, खासतौर पर युवा वर्ग में काफी नाराजगी दिख रही है। उन्होंने साफ किया है कि इस मामलें में वह नौजवानों के साथ रहेंगे।

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मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा है कि पांच वर्षों पर संविदा पर तैनाती के दौरान हर 6 माह पर कार्यालयाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष और शासन के अधिकारियों द्वारा मिजरेबल को परफार्मेंस इंडिकेटर के जरिए इनके कार्याें का मूल्याकंन किया जायेगा। संविदा कर्मचारी को नियमित होने के लिए इस मूल्याकंन में हर साल कम से कम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे और किसी भी दो छमाही में 60 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले संविदाकर्मी को सेवा से वंचित कर दिया जायेगा।

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...कर्मचारी 5 साल के लिए बंधुआ मजदूर हो जायेंगे

देवेन्द्र प्रताप ने लिखा है कि इन नई प्रस्तावित सेवा नियमावली के आने से सरकारी सेवाओं में नियुक्त होने वाले नौजवानों का शोषण और कदाचार बढे़गा। नवनियुक्त कर्मचारी 5 साल के लिए अधिकारियों के बंधुआ मजदूर हो जायेंगे और अधिकारी वर्ग नई सेवा नियमावली को तरह-तरह से शोषण करने का औजार बना सकती है।

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हर 6 महीने में होने वाले मूल्याकंन या समीक्षा के नाम पर नवनियुक्त कर्मचारी से धन उगाही और अधिकारियों द्वारा उससे अपने निजी कार्य कराने की प्रवृत्ति बढे़गी। जिससे कर्मचारी व अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार के साथ ही आपसी मतभेद व दूरी भी बढ़ेगी, जो आगे चलकर सरकारी कार्यालयों में दुव्र्यवस्था की जड़ बन जायेगी। यह व्यवस्था बहुत ही दोषपूर्ण और अन्याय व शोषण को बढ़ावा देने वाली है।

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