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बिजली कर्मचारी संगठन का आरोप बड़े घोटाले की तैयारी कर रही है केंद्र सरकार
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स ने कहा है कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों का ढाई लाख करोड़ रुपये पहले ही फंसा हुआ है।
लखनऊ: नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स ने कहा है कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों का ढाई लाख करोड़ रुपये पहले ही फंसा हुआ है।
कमेटी ने आशंका व्यक्त की है कि ऐसे में निजी घरानों पर कोई कठोर कार्यवाही करने के बजाय केंद्र सरकार नए बिल के जरिये बिजली आपूर्ति निजी घरानों को सौंप कर और बड़े घोटाले की तैयारी कर रही है।
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नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ने सरकार द्वारा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में प्रस्तावित संशोधन व देश भर के विभिन्न बिजली बोर्डों व कार्पोरेशनों के निजीकरण के प्रयासो के विरोध में देश भर के बिजल अभियंता व कर्मचारी आगामी आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल व कार्य बहिष्कार का एलान किया है।
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ने रविवार को सरकार को चेतावनी भी दी है कि अगर निजीकरण के लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन करने या आर्डिनेंस जारी करने की कोशिश हुई तो बिना किसी नोटिस के देश भर के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर उसी समय लाइटनिंग हड़ताल पर चले जाएंगे।
चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया...
इस संबंध में ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी की समन्वय समिति में ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस फेडरेशन ऑफ इण्डिया (सीटू), ऑल इन्डिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस (एटक ), इण्डियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (इन्टक ), ऑल इन्डिया पावरमेन्स फेडरेशन तथा राज्यों की अनेक बिजली कर्मचारी यूनियन सम्मिलित हैं।
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इन सभी फेडरेशन और प्रान्तों की सभी स्थानीय संगठन भी इस कार्य बहिष्कार में शामिल होंगे। यूपी में सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी व् इंजीनियर आठ जनवरी को एक दिन का कार्य बहिष्कार शुरू करेंगे और कार्य बहिष्कार के दौरान बिजली कर्मचारी कोई कार्य नहीं करेंगे और कोई खराबी होने पर उसे एक दिन बाद ही दुरूस्त किया जाएगा।
दुबे ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन पारित हो गया तो आगामी तीन साल में सब्सिडी और क्रास सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। जिसका सीधा अर्थ है कि किसानों और आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी जबकि उद्योगों व व्यावसायिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी आयेगी।
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संशोधन के अनुसार हर उपभोक्ता को बिजली लागत का पूरा मूल्य देना होगा जिसके अनुसार बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी। इसके अलावा प्रस्तावित संशोधन के अनुसार बिजली वितरण और विद्युत् आपूर्ति के लाइसेंस अलग अलग करने तथा एक ही क्षेत्र में कई विद्युत् आपूर्ति कम्पनियां बनाने का प्राविधान है।
इसके अनुसार सरकारी कंपनी को सबको बिजली देने (यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लिगेशन ) की अनिवार्यता होगी जबकि निजी कंपनियों पर ऐसा कोई बंधन नहीं होगा।
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ऐसे में निजी आपूर्ति कम्पनियां मुनाफे वाले बड़े व्यावसायिक और औद्योगिक घरानों को बिजली आपूर्ति करेंगी जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी निजी नलकूप, गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं और लागत से कम मूल्य पर बिजली टैरिफ के घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने को विवश होगी और घाटा उठाएगी।
उन्होंने कहा कि घाटे के नाम पर बिजली बोर्डों के विघटन का प्रयोग पूरी तरह असफल साबित हुआ है। बिजली कर्मचारियों की मुख्य मांग इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में निजीकरण के संशोधन को वापस लेना, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की पुनर्समीक्षा और राज्यों में विघटित कर बनाई गयी बिजली कंपनियों का एकीकरण कर बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण का केरल और हिमाचल प्रदेश की तरह एक निगम बनाना है।