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रेलवे अस्पताल की हालत: कोविड-19 का महाप्रलय, बिना फिजिशियन चल रहा इलाज

पिछले दो साल में चिकित्सा का स्थर बहुत गिर गया है। आज की तारीख में कोई चिकित्सक नहीं है न ही कोई बाल रोग का डॉक्टर है। भर्ती मरीज भगवान भरोसे रहते है।

Rahul Joy
Published on: 4 Jun 2020 8:25 AM GMT
रेलवे अस्पताल की हालत: कोविड-19 का महाप्रलय, बिना फिजिशियन चल रहा इलाज
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railway hospital jhansi

झाँसी। झाँसी रेल मंडल का मंडलीय रेलवे अस्पताल जो कि 205 बेड का डिवीजन का बडा अस्पताल है। परन्तु आज बहुत बद हाल हालत में है। पिछले दो साल में चिकित्सा का स्थर बहुत गिर गया है। आज की तारीख में कोई चिकित्सक नहीं है न ही कोई बाल रोग का डॉक्टर है। भर्ती मरीज भगवान भरोसे रहते है। क्योंकि उन्हें देखने बाला कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है।

आईसीयू भी बदहाल हो चुका है। पहले डॉ महेंद्र सिंह यादव आईसीयू को देखते थे। हॉस्पिटल के डाक्टरों की गुट बंदी के चलते उनका ट्रांसफर ग्वालियर हो जाने के कारण हार्ट के मरीज मारे-मारे घूम रहे है। आलम यह है कि सरकार को प्रति माह करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है। अगर देखा जाए तो प्रति माह प्राइवेट अस्पताल को एक करोड़ से ऊपर पैसा दिया जा रहा है। ये सब की मिलीभगत से हो रहा है।

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एक एडीएमओ बिना बताए ड्यूटी से गायब

कोरोना के समय में जब पूरा देश बुरे दौर से गुजर रहा है, वहीं रेलवे अस्पताल में कितनी ज्यादा लापरवाही हो रही है। एक एडीएमओ डॉ अनिल सिंह एक माह पहले बिना बताए ड्यूटी से गायब हो गए ,जबकि अब तक उनपर कोई विभाग की कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। कोई स्थाई सीएमएस न होने के कारण स्थिति और बिगड़ती जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि लोग 25- 25 साल से जमे हुए है तथा गुटबाजी के चलते दूसरे अच्छे चिकित्सको को टिकने नहीं देते है जिससे उनका वर्चस्व कायम रहे। सारी यूनियनें ,रिटायर्ड कर्मचारी संगठन कई बार प्रशासन को इन समस्याओं से अवगत कराते रहते है पर कोई कदम नहीं उठाया जाता है। किसी दिन कोई भी अनहोनी हो सकती है। उसका जिम्मेदार कौन होगा?

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एनसीआरएमयू ने डीआरएम को दिया ज्ञापन

नॉर्थ सेन्ट्रल रेलवे मैंस यूनियन के मंडल सचिव आर एन यादव ने बताया है कि मंडलीय रेल चिकित्सालय झाँसी के आधीन लगभग सोलह हजार सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं बीस हजार (कारखाना सहित) कार्यरत कर्मचारी है जो कि मंडलीय रेल चिकित्सा से लाभ लेते है। इतने बड़ी संख्या में रेल कर्मचारी होने के बावजूद कोई भी फिजिशियन मंडल रेल चिकित्सा में उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते आकस्मिक स्थिति में किसी मरीज के आने पर उसके जीवन के साथ खिलवाड़ होता है।

आज के द्वौर में 80 फीसदी रेल कर्मचारी मधुमेह, उक्त रक्तचाप व हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित है। रेलवे चिकित्सालय झाँसी में पदस्थ फिजिशियन अनिल कुमार बिना सूचना के कार्य से अनुपस्थित चल रहे हैं। मंडल सचिव का कहना है कि इस संबंध में डीआरएम को ज्ञापन दिया है। ज्ञापन के माध्यम से यूनियन ने मंडलीय रेल चिकित्सालय झाँसी में अविलंब एक फिजिशियन की व्यवस्था किए जाने की मांग की है ताकि रेल कर्मचारियों व उनके बच्चों को चिकित्सा के लाभ मिल सकें।

रिपोर्टर - बी के कुशवाहा, झाँसी

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