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उपभोक्ता परिषद का बिजली कंपनियों पर बड़ा आरोप, जानें पूरा मामला
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि राज्य की बिजली कंपनियां बिजली दर में वृद्धि करने की साजिश कर रही हैं। उपभोक्ता परिषद का...
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि राज्य की बिजली कंपनियां बिजली दर में वृद्धि करने की साजिश कर रही हैं। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों ने मनगढंत आंकड़ों पर आधारित वर्ष 2020-21 का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) वर्ष 2018-19 का ट्रू अप व वर्ष 2019-20 का वार्षिक परफारमेंन्स रिव्यू गुपचुप तरीके से ऑनलाइन विद्युत नियामक आयोग में दाखिल कर दिया है।
सभी बिजली कम्पनियों ने अलग अलग ई-फाइलिंग की है। परिषद ने कहा है कि इसमें प्रदेश के उपभोक्तओं की विजली दरों में बढ़ोतरी होगी या घटोतरी का कोई प्रस्ताव अभी नहीं दाखिल किया गया है।
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उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को इस संबंध में बताया कि इस बार बिजली कम्पनियों की तरफ से जो वर्ष 2020-21 का कुल दाखिल किया गया है वह लगभग 71,000 करोड रुपये है और वहीं सरकारी सब्सिडी लगभग 10,250 करोड रुपये है। कुल गैप लगभग 4500 करोड रुपये आंका गया है। जो कुल बिजली खरीद आंकी गयी है वह लगभग 11,4000 मिलियन यूनिट है जिसकी कुल खरीद लागत लगभग 55,200 करोड रुपये होगी।
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वहीं बिजली कम्पनियों द्वारा वितरण हानियां लगभग 17.90 प्रतिशत आंकी गयी है। वहीं उपभोक्ता छोर पर औसत बिजली लागत रूपया 7.90 प्रति यूनिट आंकी गयी है। कुल मिलाकर बिजली कम्पनियों द्वारा जो गैप दिखाया गया है उससे यह साफ हो रहा है कि इस बार बिजली कम्पनियां बडे पैमाने पर बिजली दरों में बढोत्तरी कराने में जुटी हैं।
बिजली कम्पनियों के सुधार के दावे हवा-हवाई
वर्मा ने कहा कि जो बिजली कम्पनियां साल भर सुधार के बड़े-बड़े दावें करने में जुटी थे, उन सबकी पोल वह खुद ही खोल रही है। पहले सभी बिजली कम्पनियों की वितरण हानियां लगभग 11.96 प्रतिशत थी। जबकि इस बार वितरण हानियां 17.90 प्रतिशत प्रस्तावित की गयी हैं। बिजली हानियों में 06 प्रतिशत की वृद्धि से साफ है कि बिजली कम्पनियो के सुधार के दावे हवा-हवाई है।
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उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का उदय व ट्रूअप में वर्ष 2017-18 तक कुल लगभग 13337 करोड़ रुपया बिजली कम्पनियों पर निकल रहा है। जो अब कैरिंग कॉस्ट 13 प्रतिशत जोड़ कर लगभग 14782 करोड़ रुपयें हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर इसे उपभोक्ताओं को दिया जाता है तो बिजली दरों में करीब 25 प्रतिशत की कमी आ जायेगी। इसके अलावा अगर बिजली कंपनियों के 4500 करोड़ रुपये के गैप को हटा दिया जाए तो बिजली दरों में 16 प्रतिशत की कमी हो जायेगी।
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