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अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र के संकट पर इस दिन भाकपा करेगी विरोध-प्रदर्शन

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था को खंडहर में तब्दील कर देने और लोकतन्त्र को गहरे संकट में फंसा देने के विरोध में पार्टी आगामी 14 सितंबर को पूरे देश में प्रतिरोध दर्ज करायेगी।

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Published on: 10 Sept 2020 12:09 AM IST
अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र के संकट पर इस दिन भाकपा करेगी विरोध-प्रदर्शन
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14 सितंबर को भाकपा करेगी देशव्यापी प्रदर्शन

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था को खंडहर में तब्दील कर देने और लोकतन्त्र को गहरे संकट में फंसा देने के विरोध में पार्टी आगामी 14 सितंबर को पूरे देश में प्रतिरोध दर्ज करायेगी। ज्ञातव्य हो कि इसी दिन संसद का सत्र शुरू होने जा रहा है।

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जूम एप के माध्यम से हुई बैठक

भाकपा की केंद्रीय सचिव मंडल की बुधवार को जूम एप के माध्यम से हुई बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी देते हुए पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि भाकपा जीवनयापन, समानता और न्याय के लिये, भारत और भारत के संविधान की रक्षा के लिये सदा प्रतिबद्ध रही है और रहेगी, इस संकल्प के साथ आंदोलन किया जाएगा।

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इस विरोध प्रदर्शन के जरिए बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पैदा करने वाली, गरीबी बढ़ाने वाली तथा जीवनयापन के साधनों को तहस-नहस करने वाली मोदी सरकार की विनाशकारी आर्थिक नीतियों के विरूद्ध जनता को संगठित किया जायेगा। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था के बारे में लगातार झूठे दावें करने और झूठ बोलने वाली वित्त मंत्री को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। प्रदर्शन के दौरान उनसे पद छोड़ने की मांग की जायेगी।

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उत्तर प्रदेश में अपराधों की भरमार

डा. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराधों की भरमार, भ्रष्टाचार और शासकीय गुंडागर्दी सहित उन सभी सवालों को आंदोलन में उठाया जायेगा जिन्हें भाकपा विगत कई माहों से लगातार उठाती रही है।

बता दें इससे पहले पार्टी की यूपी इकाई ने राज्य में खाद संकट, बिजली बिल वृद्धि और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के किसानों को उनकी बर्बाद हुई फसल के नुकसान का आकलन न किए जाने पर यूपी की योगी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए की थी कि सरकार किसानों के लिए यूरिया खाद का पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए फौरन ठोस कदम उठाये, बिजली दरों का स्लैब कम करके आम उपभोक्ताओं पर बोझ न डाले तथा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फसल बर्बादी का कम से कम तीस हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दे।

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