TRENDING TAGS :
यूपी अव्वल: अपराधों में आई कमी, योगी सरकार के कार्यकाल में मिली ये उपलब्धि
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अपराध को रोकना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने 23 लाख की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में एक बडी सफलता प्राप्त करते हुए इसमें उल्लेखनीय सुधार किया है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अपराध को रोकना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने 23 लाख की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में एक बडी सफलता प्राप्त करते हुए इसमें उल्लेखनीय सुधार किया है। योगी सरकार आने के बाद पिछले तीन वर्षो में अपराध की दुनिया में गिरावट आई है और इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है। चाहे वह हत्या के मामले हों बलात्कार अथवा लूट के हर क्षेत्र में अपरधों में गिरावट आई है।
ये भी पढ़ें: सुशांत केस: ED ने रूमी जाफरी से 7 घंटे तक की पूछताछ, दागे ये बड़े सवाल
अपराधों में आई कमी
प्रदेश में पिछले 9 वर्षों में घटित अपराधों के तुलनात्मक आकड़ों के अनुसार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। उदाहरण स्वरूप डकैती के मामलों में वर्ष 2016 के सापेक्ष वर्ष 2020 में 74 से 50 प्रतिशत तथा 2012 के सापेक्ष वर्ष 2020 में .74,67 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। लूट के मामलों में 2016 के सापेक्ष 2020 में .65.29 प्रतिशत तथा 2012 के सापेक्ष 2020 में .54.25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई।
हत्या के मामलों में 2016 की तुलना में 2020 में .26.43 प्रतिशत तथा 2012 के सापेक्ष 2020 में .29.74 प्रतिशत की कमी आयी। फिरौती के लिए अपराध के मामलों में वर्ष 2016 के सापेक्ष 2020 में .54.55 प्रतिशत तथा वर्ष 2012 के सापेक्ष वर्ष 2020 में .64.29 प्रतिशत की कमी आयी। रोड होल्ड अप के मामलों यह गिरावट 100 प्रतिशत रही। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2020 तक रोड होल्ड अप की एक भी वारदात नहीं हुई है। वर्ष 2016 के सापेक्ष वर्ष 2020 में तथा वर्ष 2012 के सापेक्ष वर्ष 2020 में रोड होल्डअप के अपराध में 100 प्रतिशत कमी दर्ज की गई।
पाॅक्सो एक्ट के मामलों में प्रभावी कदम
बलात्कार के मामलों में वर्ष 2013 के सापेक्ष वर्ष 2020 में .25.94 प्रतिशत, वर्ष 2016 के सापेक्ष वर्ष 2020 में .38.74 प्रतिशत तथा वर्ष 2019 के सापेक्ष वर्ष 2020 में .28.13 प्रतिशत की कमी आयी है। पाॅक्सो एक्ट के मामलों में प्रभावी पैरवी कराते हुए अपराधियों को सजा दिलायी गई है। एक जनवरी, 2019 से 30 जून, 2020 की अवधि में 922 वादों में सजा हुई। इनमें 5 वादों में मृत्यु दण्ड की सजा, 193 में आजीवन कारावास तथा 724 में अन्य सजा हुई। गुण्डा एवं गैंगस्टर तथा एनएसए के पंजीकृत अभियोगों के तहत वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रभावी कार्यवाही हुई है।
ये भी पढ़ें: रूस में पुतिन विरोधी नेता की हालत अचानक बिगड़ी, चाय में जहर दिए जाने का शक
गुण्डा अधिनियम के तहत वर्ष 2012 में 12,149, वर्ष 2016 में 13,615 अभियोग पंजीकृत हुए, जबकि वर्ष 2020 में अब तक इसके अन्तर्गत 17,908 अभियोग पंजीकृत किए जा चुके हैं। गैंगस्टर अधिनियम के तहत वर्ष 2012 में 1,313, वर्ष 2016 में 1,716 तथा वर्ष 2020 में 2,346 अभियोग पंजीकृत हुए। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत वर्ष 2012 में 44, 2016 में 82 तथा 2020 में 112 अभियोग पंजीकृत किए जा चुके हैं।
भारत में कुल 31 लाख 32 हजार 954 आईपीसी के अपराध पंजीकृत
क्राइम इन इण्डिया-2018 के अनुसार भारत में कुल 31 लाख 32 हजार 954 आईपीसी के अपराध पंजीकृत हुए, जिनमें से 3 लाख 42 हजार 355 आईपीसी के अपराध उत्तर प्रदेश में घटित हुए। यह देश में ऐसे पंजीकृत अपराधों का 10.92 प्रतिशत है, जबकि जनसंख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश की आबादी 16.85 प्रतिशत है। एनसीआरबी के आकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 में देश के कुल 37 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशांे में घटित विभिन्न अपराधों के तहत डकैती के मामलों में 0.1 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ उत्तर प्रदेश का 31वां स्थान, लूट में 1.4 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 20वां स्थान, हत्या में 1.8 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 26वां स्थान, हत्या के प्रयास के मामलों में 2.2 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 21वां स्थान तथा नकबजनी तथा बलात्कार में 3.7 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ क्रमशः 32वां व 24वां स्थान था।
ये भी पढ़ें: कभी रिक्शा चलाता था ये खिलाड़ी, अब इस क्रिकेट बोर्ड में मिली बड़ी जिम्मेदारी
इसी प्रकार शीलभंग में 11.8 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 14वां तथा पाॅक्सो अधिनियम के मामलों में 6.1 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 23वां स्थान था। महिला सम्बन्धी अपराध में राज्य का स्थान 15वां था। इस प्रकार भा0द0वि0 के तहत विभिन्न अपराध में उत्तर प्रदेश 24वें स्थान पर था। इससे स्पष्ट होता है कि देश के अन्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की तुलना में उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रित स्थिति में हैं।
कार्यवाही में मामले में सबसे आगे उत्तर प्रदेश
अपराधियों के खिलाफ की गई कार्यवाही में उत्तर प्रदेश देश के अन्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के सापेक्ष अग्रणी स्थान पर है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के वर्ष 2018 के अध्याविधिक आकड़ों के मुताबिक, महिला सम्बन्धी अपराधों में दोष सिद्ध 21,146 पर कार्यवाही के साथ उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर, साइबर अपराधों में 445 दोष सिद्ध के साथ प्रथम स्थान पर, 34,105 शस्त्रों के जब्तीकरण के साथ प्रथम स्थान पर तथा जाली मुद्रा जब्तीकरण में 237 अपराध पंजीयन के साथ इसमें भी राज्य प्रथम स्थान पर है।
भारतीय दण्ड विधान के अपराधों में 4,14,112 गिरफ्तारियों के साथ उत्तर प्रदेश द्वितीय स्थान पर, भारतीय दण्ड विधान के अपराधों में गिरफ्तार अभिुयक्तों में से 1,44,274 की दोष सिद्धि के साथ द्वितीय स्थान पर, भारतीय दण्ड विधान तथा एसएलएल के अपराधों में गिरफ्तार अभियुक्तों में से 4,02,801 की दोष सिद्धि के साथ द्वितीय स्थान पर तथा एसएलएल के अपराधों में गिरफ्तार अभियुक्तों में से 2,58,527 की दोष सिद्धि के साथ तृतीय स्थान पर है। 94.1 करोड़ रुपए की सम्पत्ति की बरामदगी के साथ राज्य का स्थान 6वां है।
ये भी पढ़ें: मजबूत ग्रामीण बिहारः नीतीश का तोहफा, 15 हजार करोड़ की योजनाएं चढ़ेंगी परवान