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Meerut News: मेरठ का मलियाना कांडः कोर्ट के फैसले से पीड़ितों में निराशा, हाईकोर्ट में अपील करने की तैयारी

Meerut News: शहर से कुल आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मलियाना गांव में 23 मई 1987 को हुए कांड में शनिवार को फैसले में किसी को सजा नहीं हुई, जबकि 63 लोग मारे गए थे।

Sushil Kumar
Published on: 3 April 2023 11:23 PM GMT
Meerut News: मेरठ का मलियाना कांडः कोर्ट के फैसले से पीड़ितों में निराशा, हाईकोर्ट में अपील करने की तैयारी
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Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ के दंगों के दौर में हाशिमपुरा कांड सबसे वीभत्स और अमानवीय माना जाता है। उसके बाद मलियाना कांड की बारी आती है। शहर से कुल आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मलियाना गांव में 23 मई 1987 को हुए कांड में शनिवार को फैसले में किसी को सजा नहीं हुई, जबकि 63 लोग मारे गए थे। अदालत का फैसला पीड़ित परिवारों को रास नहीं आ रहा हैं। उनका कहना है कि वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। पीड़ितों के अनुसार आज भी जब उस मंजर को याद करते हैं तो सहम जाते हैं। लोगों का कहना है कि दंगों की इस सबसे बड़ी घटना की भरपाई न सरकार कर पाई और न ही प्रशासन-पुलिस। उनके लिए तो शायद यह एक आम हादसा है।

सीबीआई जांच की मांग

प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री एवं घटना के समय मेरठ शहर युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे डा.मैराजुउद्दीन ने मलियाना कांड की सीबीआई जांच की मांग करते हुए न्यूज़ट्रैक से बातचीत में घटना के लिए उस समय तैनात कुछ पुलिसवालों और स्थानीय असामाजिक तत्वों को जिम्मेदार बताया। वो इस बात पर अफसोस भी जताते हैं कि इस घटना के लेकर राजनीतिक दलों ने ईमानदारी नहीं बरती, जिसकी उनसे अपेक्षा थी। वर्तमान में रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा.मैराजुउद्दीन कहते हैं कि ‘जो हुआ-सो हुआ’ लेकिन अब ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इस तरह की घटनाओं से आपसी भाई-चारा टूटता है जो कि देश हित मॆं नहीं है।

उभर आया दंगों का दर्द

उस वक़्त के दंगे के पीड़ित परिवारों में महताब (40) ने बताया कि दंगे के दौरान मेरे पिता अशरफ की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त मैं बहुत छोटा था। पिता की लाश मेरे सामने पड़ी थी। जबकि उनका दंगे से कोई लेना देना नहीं था। हम सब जल्द हाईकोर्ट में अपील करेंगे। महताब की तरह अफजाल सैफी (45) भी न्यायालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कहता है। अफजाल के अनुसार घटना के दिन उनके पिता यासीन बाहर से घर की ओर लौट रहे थे। तभी रास्ते में दंगाइयों ने गोली मारकर उनका शव शुगर मिल के पास फेंक दिया था। इसी तरह इंतजार(58) ने बताया कि दंगे के दौरान उनके घर में आगजनी कर दी गई थी। उस मंजर को सोचकर आज भी रूह कांप जाती है। इंतजार भी हाईकोर्ट में अपील करने की तैयारी में हैं। मलियाना के शेखान चौक निवासी याकूब अली (66) के चेहरे पर आज भी घटना वाले दिन यानी 23 मई 1987 का खौफ दिखता है।

ये था दंगों का बहुचर्चित मामला

बता दें कि 36 साल पहले 23 मई 1987 को मेरठ के बाहरी इलाके मलियाना में छोटे से विवाद के बाद 63 लोगों की हत्या कर दी गई। इस भीषण नरसंहार का मामला तब पूरे देश में गरमाया था। अब इस मामले में आरोपी बनाए गए 93 आरोपियों में से 40 को बरी करने का आदेश जारी किया गया है। इस कांड में करीब 36 सालों (420 महीने) में सुनवाई के लिए 800 से ज्यादा तारीखें लगीं।

Sushil Kumar

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