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यहां नहीं मिल पा रहा मरहम पट्टी के लिये बैंडेज, सिरिंज व रुई कहां जाएं मरीज

प्राथमिक व सामुदायिक को छोड़ बाकी स्वास्थ्य केंद्रों की यही दशा यहीं हैं।क्षेत्र से आने वाले रोगी बताते हैं, कि बाराचवर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब एक सालों से सिरिंज बैंडेज कार्टन व कुछ प्रमुख दवाएं उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से हम लोगों को बाहर से यह सब खरीदना पड़ रहा है। जो महंगा होने के साथ-साथ विश्वसनीय भी नहीं है।

SK Gautam
Published on: 5 March 2020 1:30 PM GMT
यहां नहीं मिल पा रहा मरहम पट्टी के लिये बैंडेज, सिरिंज व रुई कहां जाएं मरीज
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रजनीश कुमार मिश्र

गाजीपुर (बाराचवर): उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आते ही अधिकारियों व कर्मचारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा था कि काम करें या बीआरएस लेकर बैठ जाएं लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बता दें कि जहां स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से जिले के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इंजेक्शन लगाने के लिए सिरिंज तक उपलब्ध नहीं है। सिरिंज तो छोड़िए मामूली पट्टी करने के लिए बैंडेज काटन व कुछ प्रमुख दवाइयां तक उपलब्ध नहीं है। मुख्यमंत्री के सख्ती के बावजूद भी अधिकारी इनके आदेशों को ताक पर रखकर लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं, वहीं अपनी गलतियों का ठीकरा एक-दूसरे के ऊपर फोड़ने पर लगे हैं।

पट्टी करने के लिए बैंडेज काटन और दवाईयों नहीं हैं उपलब्ध

यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटा हुआ गाजीपुर की है जहां से 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा सांसद चुनकर रेल राज्य मंत्री बने थे। जिले में विकास का वादा भी किया था, विकास तो जिले में किया लेकिन जिले के अधिकारियों की लापरवाही उस समय भी थी और अब भी है। जहां स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से जिले के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इंजेक्शन लगाने के लिए सिरिंज तक उपलब्ध नहीं है। सिरिंज तो छोड़िए मामूली पट्टी करने के लिए बैंडेज काटन व कुछ प्रमुख दवाइयां तक उपलब्ध नहीं है।

वहीं इस बात की सत्यता जांचने के लिए अपना भारत की टीम ने बहत्तर गांवो को संजीवनी देने के लिए बनाया गया। ब्लॉक मुख्यालय बाराचवर में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही का पोल खोल दिया। ओपीडी पर दवा ले रहे मरीजों ने बताया कि दवा तो मिल जाता है, लेकिन इंजेक्शन लगाने के लिए सिरिंज बैंडेज रूई व कुछ प्रमुख दवाएं बाहर से लेकर आना पड़ रहा है।( वही ओपीडी में मौजूद कामूपुर निवासी 60 वर्षीय नूरमोहम्मद बताते हैं की दवा तो अस्पताल परिसर में मिल जाता है ।

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लेकिन इंजेक्शन लगाने के लिए सिरिंज हमें बाहर से खरीदनी पड़ती है, नूर मोहम्मद बताते हैं कि स्वास्थ्य कर्मी कहते हैं सिरिंज जिले से नहीं आ रहा है ।आप बाहर से लेकर आए नूर मोहम्मद कहते हैं, कि बाहर मेडिकल संचालक मनमानी पैसा वसूलते हैं)

हॉस्पिटल परिसर में मौजूद दवा लेने आए दिलशाद पुर निवासी 55 वर्षीय कैलाश बताते हैं । सिरिंज तो छोड़ दीजिए इस अस्पताल में आवश्यक दवाई भी नहीं मिलती है ।

जिसके वजह से बाहर मेडिकल स्टोर से लाने पड़ते हैं जिनकी कीमत अधिक होने की वजह से कभी कभी खरीद नहीं पाते कैलाश का कहना है कि सरकार की तरफ से हर सुविधा दी जाती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही के कारण ठीक से इलाज नहीं हो पाता।

अस्पताल के पैथोलॉजी में मौजूद 65 वर्षीय राजकिशोर बताते हैं, कि-

मैं यहां खून जांच करता हूं इसके लिए भी बाहर से सिरिंज लेकर आना पड़ रहा है । एल ए डॉ श्याम नारायण यादव से पूछने पर बताया कि सिरिंज जिले से ना आने के कारण उपलब्ध नहीं है। इसलिए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

एक साल से मौजूद नहीं है सिरिंज बैंडेज और काटन

अस्पताल के कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, कि लगभग एक सालों से सिरिंज बैंडेज काटन के साथ-साथ कुछ प्रमुख दवाएं भी उपलब्ध नहीं है। जिससे सिरिंज बैंडेज कार्टन व दवा न आने के कारण दवा लेने आये मरीज बहस करने लगते हैं । किसी तरह समझा-बुझाकर शांत कराना पड़ता है।

वहीं चिकित्सा अधिकारी डॉ एनके सिंह कहते हैं कि-

सिरिंज बैंडेज वगैरह तो मिल नहीं रहा है,यह सत्य है ।कई बार जिले के अधिकारियों से कहा गया लेकिन फिर भी अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया डॉक्टर एनके सिंह ने बताया कि मरीज के जिद करने पर मैं अपने जेब से सिरिंज लाने के लिए पैसा देता हूं ।

जिले के स्टोर में बात करने पर वहां मौजूद दुर्गा ने फोन पर बताया कि एक हफ्ते बाद सिरिंज भेज दिया जाएगा । दुर्गा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम लोगों को खरीदारी के लिए बजट आना बंद हो गया है । दुर्गा ने फोन पर बातचीत में बताया कि लखनऊ से ही माल नहीं आ रहा है। वहां से कहा जा रहा है, कि आप डिमांड लगाइए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि एक साल से डिमांड है। दुर्गा ने कहा कि इसमें स्वास्थ्य विभाग की गलती चल रही है। लखनऊ से आने पर सब जगह जाने लगेगा । सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जिले के कर्मचारी दुर्गा ने सारा आरोप लखनऊ स्वास्थ्य विभाग पर लगा कर पल्ला झाड़ लिया ।और आगे बात करने पर फोन काट दिया ।

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अपना भारत की टीम ने की पड़ताल

जब अपना भारत ने सीएमओ डॉ बीसी मौर्या से फोन पर बात किया तो कहा कि सिरिंज की सप्लाई नहीं है। वहां डॉक्टर साहब को व्यवस्था करना है ,मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि बाकी सब दिया जा रहा है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सीएमओ ने कहा कि बाकी सब दिया जा रहा है, जब उनसे पूछा गया कि डॉक्टर कहां से व्यवस्था करेंगे इस सवाल के जवाब में सीएमओ ने कहा कि रोगी कल्याण समिति का बजट दिया जाता है । इस बारे में आप उनसे पूछिए लेकिन सूत्रों से मिली पक्की जानकारी के अनुसार ऐसी कोई बजट अभी तक पास नहीं हुआ है ।हो सकता है, मार्च महीने में पास हो कुछ कह नहीं सकते।

नसबंदी कैंप में खरीदा जाता है, सिरिंज

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब नसबंदी कैंप लगाया जाता है। तो अस्पताल के कर्मचारी अपने जेबों से 400,500 का सिरिंज बाहर से खरीद कर लाते हैं, जिससे मेडिकल संचालकों की मोटी कमाई होती है। यहां के रोगी कहते हैं कि जब स्वास्थ्य कर्मी ही बाहर से सामान खरीद कर लाते हैं तो हम लोगों की बात ही छोड़िए।-

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक-दूसरे के सर फोड़ रहे हैं लापरवाही का ठीकरा

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही जब खुलकर सामने आई तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक दूसरे के ऊपर ही। आरोप लगाने लगे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों का कहना है, कि जब यहां सिरिंज व अन्य सामान उपलब्ध रहता है तो दिया जाता है ।

उपलब्ध नहीं है सिरिंज व आवश्यक मेडिसिन

सूत्रों के मुताबिक जिले के कुछ एक प्राथमिक व सामुदायिक को छोड़ बाकी स्वास्थ्य केंद्रों की यही दशा यहीं हैं।क्षेत्र से आने वाले रोगी बताते हैं, कि बाराचवर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब एक सालों से सिरिंज बैंडेज कार्टन व कुछ प्रमुख दवाएं उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से हम लोगों को बाहर से यह सब खरीदना पड़ रहा है। जो महंगा होने के साथ-साथ विश्वसनीय भी नहीं है।

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाराचवर में एक्सरे की भी नहीं है, व्यवस्था

करीब 72 गांवों के बीच में बना बाराचवर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्सरे की व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई। कहने को तो यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन इसमें इलाज प्राथमिक की तरह होता है। मरीज बताते हैं कि एक्सरे कराने के लिए बाहर जाना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ता है।

आंख बंद किए प्रतिनिधि

बाराचवर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए विधानसभा जहुराबाद व लोकसभा के जनप्रतिनिधियों ने भी कुछ नहीं किया। ब्लॉक स्तर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होने के कारण इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है । जहुराबाद विधानसभा से सपा सरकार में विधायक व मंत्री रहीं सदाब फातिमा जिनका आना-जाना इसी रास्ते से था । जिस रास्ते में यह सामुदायिक भवन पड़ता है, फिर भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया। रोगी व स्थानीय लोग बताते हैं, कि जब 2014 में लोकसभा चुनाव हुआ और भरत सिंह यहां से सांसद चुने गए तो कुछ उम्मीद जगी। लेकिन ये भी सामुदायिक केंद्र के लिए कुछ नहीं किये ।

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ओमप्रकाश राजभर यहां से विधायक और वीरेंद्र सिंह सांसद चुने गए हैं

2017 के विधानसभा चुनाव में बड़े बड़े वादे करने वाले ओमप्रकाश राजभर यहां से विधायक चुने गए। जो अपने चुनावी भाषण में बड़े-बड़े वादे भी किए लेकिन विधायक बनने के बाद इस क्षेत्र की सुध तक नहीं ली । अस्पताल में आए रोगी बताते हैं, कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त चुने गए । इनसे कुछ उम्मीदें हैं, कि यहां के लोगों व इस अस्पताल के लिए कुछ करेंगे जिससे हम लोगों को कहीं दूर जाना नहीं पड़ेगा ।

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