ठेले पर तरबूज बेचते बच्चे के निकले बेबसी के आंसू, बोला- घर में खाने को नहीं है

अभी तक आपने तमाम लोगों को मेनहत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते देखा होगा। लाॅकडाउन में तमाम समाज सेवियों को देखा होगा, जो गरीबों की मदद...

Ashiki
Published on: 17 May 2020 3:46 AM GMT
ठेले पर तरबूज बेचते बच्चे के निकले बेबसी के आंसू, बोला- घर में खाने को नहीं है
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शाहजहांपुर: अभी तक आपने तमाम लोगों को मेनहत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते देखा होगा। लाॅकडाउन में तमाम समाज सेवियों को देखा होगा, जो गरीबों की मदद कर अपने फोटो खिंचवाते हैं। लेकिन आज हम आपको दो ऐसे मासूम भाई-बहनों को दिखाएंगे, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए ठेले पर तरबूज रखकर बेचने के लिए निकल पड़े। ठेले की ऊंचाई के बराबर इन बच्चों की लंबाई है। उसको खींचकर उस पर रखे तरबूजों को बेचता देखकर अफसोस तो ज्यादातर लोगों ने किया। लेकिन उनकी मदद के लिए अभी तक किसी के हाथ आगे नही बढ़े। जब बच्चे पूछा कि आखिर वह तरबूज क्यों बेच रहे हैं, तब उनकी आवाज तो नहीं निकली लेकिन आंसू जरूर छलक आए। भाई को रोता देखकर बहन के आंसू भी निकलने वाले थे। लेकिन इन तस्वीरों को देखकर अब उन समाजसेवकों, नेताओं और तमाम मदद करने वालों के दावे अब बेईमानी लगने लगे हैं।

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बच्चों के पिता हैं बीमार

दरअसल, दिल को झकझोर देने वाली ये तस्वीरें शाहजहांपुर के बीचोंबीच स्थित अंटा के चौराहे के पास के है। दो मासूम भाई-बहन नंगे पैर फटे हुए कपड़े और गंदी हालत में ठेले को खींच रहे थे। उस ठेले पर तरबूज रखे थे। उन तरबूजों को बेचने के लिए मासूम अपनी मासूमियत भरी निगाहों से ग्राहकों की आस लगा रहे थे। क्योंकि इनके घर में खाना नहीं है। इनके पास राशन खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। पिता बीमार हैं। तो अब इन बच्चों के आगे बड़ी मजबूरी है। यही बच्चे पेट भरने के लिए खुद ही कमाने के लिए निकल पड़े। जब ये बच्चे तरबूज बेच रहे थे, तब एक पत्रकार ने इनके वीडियो बनाकर वायरल कर दिये थे। उसके बाद भी इनकी कोई मदद नहीं हो सकी और न ही कोई समाजसेवक सामने आया जो इनकी मदद कर सकता।

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आपको देखकर हैरानी जरूर होगी कि जितनी ऊंचाई इस ठेले की है। उतनी लंबाई इन मासूमों की है। जब ये बच्चे रोड पर ठेला खींच रहे थे। तब भी इन लोगों को देखकर किसी का दिल नहीं पसीजा। सुबह से शाम तक ये बच्चे तरबूज बेचते रहे लेकिन किसी समाजसेवक और नेताओं की नजर इन पर नहीं पड़ी। तेज तपती दोपहरी में नंगे पैर सड़क पर बच्चे तरबूज बेच रहे थे। जिस उम्र में इन मासूमों के हाथों में किताबें होनी चाहिए थी। इन्हें खेलना-कूदना चाहिए था। उस उम्र में ठेला खींचकर तरबूज बेचना पड़ रहा है।

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पूछने पर आंसू नहीं रोक सके मासूम

तरबूज बेच रहे मासूम से जब तरबूज बेचने का कारण पूछा तो वह कुछ बोल नहीं पा रहे थे। फिर जब उस मासूम को दिलासा देकर उससे पूछा कि क्या खाना नहीं है, पापा क्या करते हैं। तब बच्चे की आवाज तो नहीं निकली लेकिन उसके आंसू जरूर निकल आए। आंसू को छिपाने के लिए बच्चे ने अपना मूंह भी छिपाया लेकिन मासूम के आंसू थे कैसे छिप पाते। अपने छोटे-छोटे हाथों से आंसू पोछने लगा। ये देखकर उसकी बहन की आंखे भी भर आईं। लेकिन बाद में दोनों ने संभाल लिया। फिर मासूम ने बताया कि उसके घर मे खाना नहीं है। कोई देने भी नहीं आया। इसलिए वह बेच रहा है। बच्चे ने बताया कि वह सुबह से 300 रुपये के तरबूज बेच चुका है।

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सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ये तस्वीरें प्रदेश के सबसे कद्दावर और सूबे में दो नंबर पर हैसियत रखने वाले कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना के विधानसभा क्षेत्र की है। और ये मासूम उनके ही विधानसभा क्षेत्र में ही अपनी कांटों भरी जिंदगी को अपने बलबूते जीने को मजबूर हैं।

रिपोर्ट: आसिफ अली

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