TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

बीजेपी के लिए पहेली बनी कल्याण-केशरी-नाईक की राजनीतिक सक्रियता

अपने लंबे राजनीतिक जीवन के बाद राज्यपाल बने भाजपा के बुजुर्ग नेता अब एक बार फिर सक्रिय राजनीति में आने को तैयार हैं। जिनमें कल्याण सिंह और केशरी नाथ त्रिपाठी तथा हाल ही में यूपी के गवर्नर रहे रामनाईक महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर प्रभावी भूमिका में हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 5 April 2023 12:36 AM IST (Updated on: 5 April 2023 4:54 AM IST)
बीजेपी के लिए पहेली बनी कल्याण-केशरी-नाईक की राजनीतिक सक्रियता
X

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: अपने लंबे राजनीतिक जीवन के बाद राज्यपाल बने भाजपा के बुजुर्ग नेता अब एक बार फिर सक्रिय राजनीति में आने को तैयार हैं। जिनमें कल्याण सिंह और केशरी नाथ त्रिपाठी तथा हाल ही में यूपी के गवर्नर रहे रामनाईक महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर प्रभावी भूमिका में हैं।

पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए इन नेताओं का अचानक सक्रिय होना किसी पहेली से कम नहीं है। यूपी के पांच साल तक राज्यपाल रहे राम नाईक ने सेवानिवृत्त होने के दूसरे दिन ही मुंबई पहुंचते ही भाजपा की प्राथमिक सदस्यता लेकर पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया। जबकि यूपी के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष तथा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे केशरी नाथ त्रिपाठी ने भी नाईक की राह पर चलते हुए राज्यपाल के पदसे हटते ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ले ली है।

कल्याण सिंह

यह भी पढ़ें...रॉकेट मैन के. सिवन की ऐसी है कहानी, कभी न जूते थे न सैंडल, मैथ्स में पाए थे 100%

अब कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल का पांच साल कार्यकाल पूरा करने के बाद ने नौ सिंतबर को भाजपा की सदस्यता लेने जा रहे हैं। जिस तरह कांग्रेस की सरकारों में राज्यपाल रहे मोतीलाल वोरा, सुशील कुमार शिंदे और अर्जुन सिंह ने राज्यपाल पद से हटने के बाद सक्रिय राजनीति में वापसी की और बाद में केंद्र में मंत्री बने ठीक उसी तरह भाजपा के ये तीनों बुजुर्ग नेता भी उसी राह पर चल पड़े हैं।

यूपी के गर्वनर रहे रामनाईक ने भी राज्यपाल पद से हटने के तुरंत बाद अपने गृह राज्य महाराष्ट्र में जाकर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ले ली। कल्याण सिंह जो प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं ने अपनी राजनीतिक पारी जनसंघ से शुरू की थी। बाद में गठन के बाद वे भाजपा में ही रहे।

यह भी पढ़ें...कश्मीर से धारा 370 खत्म कर आतंकवाद के ताबूत पर लगी अंतिम कील: CM योगी

केशरी नाथ त्रिपाठी

एटा से निर्दलीय और बुलंदशहर से भाजपा के सांसद रहे कल्याण सिंह प्रदेश में 1991 में बनी भाजपा की पहली पूर्ण बहुमत की सरकार में मुख्यमंत्री बने थे। पिछड़ों का चेहरा होने और मंदिर आंदोलन में मिली अपार जनसमर्थन ने उन्हें यूपी की राजनीति में सबसे बड़ा चेहरा बना दिया।

कल्याण सिंह का भाजपा के शीर्षस्थ नेता अटल बिहारी बाजपेयी से छत्तीस का आंकड़ा रहा जिसके चलते उन्हे मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी। यही नहीं इसी मुद्दे को लेकर पहले उन्हें भाजपा से निष्कासित किया गया जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया। लेकिन बड़ी सफलता मिलती न देख वह फिर से भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा से अलग होने के बाद उनकी नजदीकियां सपा और मुलायम सिंह से भी रही।

यह भी पढ़ें...पाकिस्तानी सेना अपनों के ही खून की प्यासी, जबरन भेज रही LOC पर

राम नाईक

2004 लोकसभा चुनाव से पूर्व वे अपने कुनबे के साथ भाजपा में शामिल हो गए। दूसरी बार पार्टी में वापसी के एक बार फिर उनका भाजपा से मोहभंग हुआ और उन्होंने भाजपा से पल्ला झाड़कर जनक्रांति पार्टी राष्ट्रवादी का गठन किया। भाजपा से अलग होकर उनकी यह दूसरी पारी भी फेल साबित हुई।

इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव आने तक फिर अपने कुनबे के साथ भाजपा में चले गए। 2014 में केंद्र की सरकार की बनने पर उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। उनके पुत्र राजबीर सिंह दूसरी बार एटा से सांसद हैं जबकि उनके पौत्र संदीप सिंह योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं।

यह भी पढ़ें...शर्मनाक: पबजी खेलने से रोकना बेटे को गुजरा नागवार, पिता को बेरहमी से पीटा

माना जा रहा है कि कल्याण सिंह की इस बार की सक्रियता इस बात को लेकर भी है कि वे अपने पुत्र राजबीर सिंह को अपना उत्तराधिकारी के तौर अपने जैसा ही रूतबा दिलाना चाहते हैं। राजबीर सिंह दूसरी बार सांसद बने हैं। उनके पुत्र तो इस समय राज्यमंत्री हैं, लेकिन राजबीर का केंद्र में मंत्री न बन पाने की कसक पूरे कुनबे में है।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story