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आरक्षण पर गिरी गाज: 50 वर्षों से सैफई प्रधानी पर था मुलायम सिंह के खास मित्र का राज

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में स्व दर्शन सिंह को यशभारती पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। जिसके बाद सैफ़ई के प्रधान स्व० दर्शन सिंह यादव प्रदेश में लाइम लाइट में आए थे।

suman
Published on: 5 March 2021 5:31 PM IST
आरक्षण पर गिरी गाज: 50 वर्षों से सैफई प्रधानी पर था मुलायम सिंह के खास मित्र का राज
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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में स्व दर्शन सिंह को यशभारती पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। जिसके बाद सैफ़ई के प्रधान स्व० दर्शन सिंह यादव प्रदेश में लाइम लाइट में आए थे।

इटावा- देश विदेश में अपनी पहचान रखने वाले व सपा मुखिया व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई की सीट 50 वर्षो के बाद आरक्षित होने पर यहां इस बार एससी वर्ग का प्रधान चुना जाएगा। सैफई गांव में 1971 से दर्शन सिंह ही लगातार प्रधान पद की कुर्सी पर काबिज रहे।

नई आरक्षण व्यवस्था

सूबे में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर इटावा में आरक्षण लिस्ट 2 दिन पूर्व जारी कर दी गई है। सपा के गढ़ कहे जाने वाले इटावा में इस बार नई आरक्षण व्यवस्था से कई सीटों का समीकरण बिगड़ गया है। जिस पर दशकों से काबिज चले आरहे लोगों का खेल समाप्त होगया। 1971 से अब तक इतने लंबे समय तक किसी ग्राम पंचायत का प्रधान रहने का यह अपने आप में देश का अनोखा मामला है।

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मुलायम और दर्शन की दोस्ती टूट गई

मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई के विकास में प्रधान दर्शन सिंह का खासा योगदान माना जाता है। 1 वर्ष पूर्व 17 अक्टूबर को दर्शन सिंह यादव के निधन के बाद मुलायम और दर्शन की दोस्ती टूट गई। सैफई के लोग दर्शन सिंह के निधन के बाद कहने लगे कि अब कृष्ण-सुदामा की जोड़ी टूट गई है। इटावा जिले के सैफई गांव की तस्वीर मुम्बई की तर्ज पर खड़ा करने के पीछे गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव का खास योगदान माना जाता रहा है।

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सरकारी बाबुओं पर कड़ी नजर थी

स्वर्गीय दर्शन सिंह यादव कम शिक्षित होने के बावजूद वह सरकारी बाबुओं पर कड़ी नजर रखते थे और गांव के विकास के लिए आए पैसे का हिसाब उनसे लेते थे। जानकारों की मानें तो मुलायम सिंह यादव ने कह दिया था कि जब तक दर्शन सिंह हैं। तब तक कोई दूसरा प्रधान सैफ़ई में नहीं होगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही मुलायम ने अपनी जुबान और दोस्ती निभाते हुए सैफ़ई में किसी और को प्रधान नही होने दिया। जब तक दर्शन सिंह जिंदा रहे वही सैफई के प्रधान बने रहे।

कंधे से कंधा मिलाकर दर्शन सिंह चले थे

दर्शन सिंह और सपा सरंक्षक मुलायम सिंह बचपन के मित्र थे। मुलायम सिंह ने जब राजनीति में कदम रखा तो उनके कंधे से कंधा मिलाकर दर्शन सिंह चले और लोहिया आंदोलन के दौरान 15,16 वर्ष की उम्र में मुलायम सिंह सियासत में कूद पड़े इसी दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार लिया और फर्रूखाबाद जेल में बंद कर दिया था। इसकी भनक जैसे ही दर्शन को मिली तो वह जेल के बाहर आमरण अनशन पर बैठ गए इसके चलते जिला प्रशासन को मुलायम सिंह को रिहा करना पड़ा मुलायम सिंह यादव की ही तरह दर्शन सिंह को भी बचपन से ही पहलवानी का बड़ा शौक था। वर्ष 1967 के चुनाव में दर्शन सिंह मुलायम सिंह के साथ साइकिल पर चुनाव प्रचार करते थे और घूम-घूमकर चुनाव में मेहनत करते थे।

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बीमारी के चलते निधन

वर्ष 1971 से सैफई के पहली बार प्रधान चुने गए दर्शन सिंह पूर्व में प्रधानी के चुनाव नियमित समय पर न होने के चलते 1971 के बाद 1982,1988 और 1995 में जब ग्राम प्रधानों के चुनाव कराए गए तब दर्शन सिंह यादव ही प्रधान बने साल 1995 से पांच वर्ष के नियमित चुनाव कराए जा रहे हैं, तब से दर्शन सिंह को ही ग्राम प्रधान चुना जाता रहा। पिछले साल 17 अक्टूबर को दर्शन सिंह का बीमारी के चलते निधन हो गया उसके बाद उनकी बहु मीना को प्रधान की जिम्मेदारी सौंप दी गई, लेकिन अब नई आरक्षण व्यवस्था के चलते दलित प्रधान संभालेगा सैफई प्रधानी सीट।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में स्व दर्शन सिंह को यशभारती पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। जिसके बाद सैफ़ई के प्रधान स्व० दर्शन सिंह यादव प्रदेश में लाइम लाइट में आए थे।

रिपोर्ट-उवैश चौधरी, इटावा

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