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संक्रमित कोरोना योद्धाओं को दी जाए सुविधाएं, नहीं हुआ ऐसा तो होगा आंदोलन
उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मी लगातार कोरोना संक्रमित होते जा रहे हैं। अनेक स्वास्थ्य कर्मी शहीद भी हो रहे हैं, लेकिन विगत दिनों...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मी लगातार कोरोना संक्रमित होते जा रहे हैं। अनेक स्वास्थ्य कर्मी शहीद भी हो रहे हैं, लेकिन विगत दिनों प्रशासन द्वारा जिस प्रकार कोरोना योद्धाओं की अनदेखी की जा रही है उससे प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों में अत्यंत रोष व्याप्त हो गया है।
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जिसका ताजा उदाहरण कल केजीएमयू में 4 कर्मियों को संक्रमित होने के पश्चात भर्ती के लिए परेशान किया जाना और राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में एक सफाई कर्मी को संक्रमित होने पर प्रशासन द्वारा उसे घर भेज दिया जाना है, जो निश्चित ही प्रशासनिक चूक को दर्शाता है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने की ये मांग
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने उपरोक्त घटनाओं की निंदा करते हुए तत्काल ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने और प्रदेश में कोरोना योद्धाओं के लिए अलग से वार्डों की व्यवस्था करने तथा उन्हें सम्मान दिए जाने, बिना किसी परेशानी के उनका उपचार किए जाने के साथ ही रिक्त पदों को भरे जाने अर्थात मानव संसाधन बढ़ाए जाने की भी मांग की है।
कर्मचारियों में रोष व्याप्त
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा और प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि परिषद ने जिलों से प्राप्त हो रही ऐसी शिकायतों को देखते हुए कल मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को पत्र लिखकर इस बात की आशंका जाहिर की थी कि इससे कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो रहा है, लेकिन अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
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परिषद ने मांग की थी कि प्रत्येक संस्थानों में इन कर्मियों के लिए वार्ड आरक्षित कर दिए जाएं, इसके विपरीत बीते दिन लोहिया संस्थान में हुई घटना कर्मचारियों के प्रति प्रशासन के सौतेलेपन का प्रतीक है और ना चाहते हुए आज वहां के कर्मचारियों द्वारा जो आंदोलन किया गया वह कर्मचारियों के रोष का परिचायक है।
मानव संसाधन का बढ़ाया जाना आवश्यक
मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार यह कहा जा रहा है कि प्रदेश में जांचे और अस्पताल बढ़ाए जाएं। निश्चित ही इससे जनता को सुविधाएं प्राप्त होंगी, लेकिन संस्थान बढ़ाए जाने और जांचे बढ़ाए जाने के लिए मानव संसाधन का बढ़ाया जाना आवश्यक है इसलिए परिषद ने मांग किया है कि आवश्यकता को देखते हुए मानक के अनुसार सभी संवर्ग में तत्काल पदों को सृजित कर उन पर मानव संसाधन नियुक्त किए जाएं। क्योंकि बिना तकनीकी कर्मियों के चिकित्सालय को बढ़ाया जाना शायद संभव ना हो पाए।
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मिश्रा ने बताया कि डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान गोमती नगर लखनऊ में कल शाम सुनीता बाल्मीकि सफाई कर्मचारी की कोविड-19 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, कल वह कर्मचारी उस समय ड्यूटी कर रही थी उसी समय रिपोर्ट आई। रिपोर्ट आने के बाद चिकित्सा अधीक्षक डॉ सक्सेना ने कहा कि तुम घर भाग जाओ दोबारा अस्पताल दिखाई नहीं देना अब तुम्हें ड्यूटी करने की जरूरत नहीं है, तुम्हें ड्यूटी से भी निकाल दूंगी उस कर्मचारी के घर में 11 लोग रहते हैं, अतः घर जाना संक्रमण को बढ़ाना है।
दिन-रात ड्यूटी कर रहे कर्मचारी
जिसके कारण से कर्मचारियों में रोष है कर्मचारी अपनी जान की परवाह किए बगैर माननीय सरकार एवं शासन के आदेश के अनुसार दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन यदि कर्मचारी को कोविड-19 का संक्रमण हो गया तो उसको भी तो इलाज मिलना चाहिए, लेकिन चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सरिता सक्सेना कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी कर रही हैं, जिसके कारण से कर्मचारियों में रोष है।
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नहीं मिली कोई छूट
बहुत से कर्मचारी ऐसे हैं जो 24-24 घंटे लगातार ड्यूटी कर रहे हैं जिसमें फार्मासिस्ट के लोग सम्मिलित हैं। राजेश उमराव विगत कई दिनों से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं, कोई छूट किसी तरह की उनकों छुट्टी नहीं मिली।
इसी प्रकार नॉन कोविड अस्पतालों में पूरी ओपीडी चल रही है, जिसमें लगातार संक्रमित व्यक्ति भर्ती हो रहे हैं। कर्मियों को पूर्व से उनके बारे में पता नहीं होता, इसके कारण स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित होते जा रहे हैं। शासन को इन बिंदुओं पर गंभीरता से सोचकर निर्णय लेना चाहिए अन्यथा राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा परिषद से सम्बद्ध चिकित्सा स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार कल्याण के समस्त संगठनों के पदाधिकारियों के साथ आज बैठक आहूत की है यदि सरकार द्वारा उदासीनता दिखाई पड़ती है तो मजबूरन आंदोलन पर बाध्य होंगे।
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