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यूपी में बाढ़ बनी आफत, खतरे के निशान से ऊपर ये नदियां, 710 गांव प्रभावित
कोरोना संक्रमण के साथ ही यूपी में अब बाढ़ का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। यूपी के 75 जिलों में से मौजूदा समय में 15 जिलें बाढ़ से प्रभावित हैं।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: कोरोना संक्रमण के साथ ही यूपी में अब बाढ़ का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। यूपी के 75 जिलों में से मौजूदा समय में 15 जिलें बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के 15 जिलों, अम्बेडकर नगर, बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, आजमगढ़, गोण्डा, बस्ती, मऊ, संतकबीर नगर, सीतापुर, बलिया तथा देवरिया के 710 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। हालांकि यूपी के राहत आयुक्त संजय गोयल का कहना है कि बाढ़ को लेकर लगातार मानीटरिंग की जा रही है। सभी तटबंध सुरक्षित है, किसी तरह की चिंताजनक स्थिति नहीं है।
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राप्ती के जलस्तर में लगातार उतार चढ़ाव
गोरखपुर में राप्ती के जलस्तर में लगातार उतार चढ़ाव बना हुआ है। कई दिनों से राप्ती का जलस्तर सुबह बढ़ जाता है और रात में कम हो जाता है। इससे तटबंधों में कटाव होने लगा है। राप्ती के जलस्तर में यह परिवर्तन इसकी सहायक नदियों बूढ़ी राप्ती और कुनरा नदी के कारण हो रहा है। देवरियां में सरयू कहर बरपाये हुए है। जिसके कारण तीन गांवों के 27 टोले बाढ़ से प्रभावित है। यहां सरयू खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। कुशीनगर में नारायणी नदी भी लगातार उफान पर है और खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
इसी तरह घाघरा नदी ने भी कई जिलों में कहर बरपा रखा हैै। नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बहराइच की छह तहसीलों में से चार तहसील महसी, नानपारा, कैसरगंज और मोतीपुर बाढ़ प्रभावित है। जबकि अम्बेडकर नगर में आलापुर व टांडा तहसील के गांवों में लोगों की मुसीबते बढ़ गई है। यहां घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसी तरह गोंडा में भी घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैै। आजमगढ़ में भी घाघरा के जलस्तर में तेजी से कर लिया है, जिससे हजारों लोग प्रभावित है। मऊ में भी घाघरा खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। रविवार को यहां जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई।
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सरयू खतरे के निशान से ऊपर
नेपाल से छोड़े गए पानी का असर अयोध्या में भी देखने को मिल रहा है। जिसके कारण सरयू का जलस्तर बढ़ गया है और रूदौली तहसील के कई गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए है। सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने का खामियाजा बाराबंकी को भी उठाना पड रहा है। यहां सरयू खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे यहां के कई गांवों के हजारों की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। सरयू नदी का भयावह रूप अब बस्ती में भी दिखने लगा है। यहां सरयू खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। लगातार जलस्तर में वृद्धि से हरैया तहसील क्षेत्र के कई गांव बाढ़ से प्रभावित है। संत कबीरनगर में भी सरयू खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। यहां भी सरयू तेजी से कटान कर रही है, जिससे लगातार बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
लखीमपुर में शारदा नदी भी खतरे के निशान से 48 सेमी. ऊपर बह रही है। जबकि सुहेली नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है। शारदा का कहर सीतापुर में भी देखने को मिल रहा है।
राहत आयुक्त संजय गोयल ने रविवार को मीडिया को बाढ़ की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की 15 टीमें तथा एसडीआरएफ व पीएसी की 7 टीमें कुल 22 टीमें तैनाती की गयी हैं। 894 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी है। बाढ़ या अतिवृष्टि से निपटने के लिए बचाव व राहत प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये जा चुके हैं।
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आपदा प्रबंधन के लिए 328 बाढ़ शरणालय, 739 बाढ़ चैकियां स्थापित
राहत आयुक्त ने बताया कि बाढ की आपदा से निपटने के लिए प्रदेश में 328 बाढ़ शरणालय तथा 739 बाढ़ चैकियां स्थापित की गयी हैं। गोयल ने बताया कि बाढ़ पीड़ित परिवारों को 17 प्रकार की सामग्री वाली खाद्यान्न किट का वितरण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक राहत सामग्री के तहत 78 हजार 309 खाद्यान्न किट व 1 लाख 99 हजार 555 मीटर तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 266 मेडिकल टीम लगायी गयी है। प्रदेश में 310 पशु शिविर स्थापित किये गये है तथा 6 लाख 57 हजार 801 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब तक कुल 2557 कुंतल भूसा वितरित किया गया है।
आपदा से निपटने के लिए जिला व राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पलिया कला (लखीमपुरखीरी) में शारदा नदी, तुर्तीपार (बलिया), एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) तथा अयोध्या में सरयू (घाघरा) नदी खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है।
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