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औरैया में आढ़तिये गुलजार, सरकारी केंद्रों पर तौला जा रहा मात्र चार किसानों का धान

सरकारी क्रय केंद पर धान बेचना किसानों के लिए टेड़ी खीर बनी हुई है। टोकन की तिथि के बाद भी किसानों को एक-दो दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। मजबूरीवश किसान प्राइवेट आढ़त पर जाकर अपना धान बेच रहे हैं।

Newstrack
Published on: 27 Nov 2020 6:25 PM GMT
औरैया में आढ़तिये गुलजार, सरकारी केंद्रों पर तौला जा रहा मात्र चार किसानों का धान
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टोकन की तिथि के बाद भी किसानों को एक-दो दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। मजबूरीवश किसान प्राइवेट आढ़त पर जाकर अपना धान बेच रहे हैं।

औरैया: सरकार किसान को लाभ दिलाए जाने के लिए चाहे कितने भी प्रयास करें मगर सरकारी मशीनरी उनका उत्थान नहीं होने दे रही है। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को फसलों का उचित मूल्य दिलाए जाने के लिए सरकारी क्रय केंद्र खोले गए हैं मगर उन पर लापरवाही के चलते सिर्फ 4 या 5 किसानों का ही धान एक दिन में खरीदा जा रहा है। इससे मजबूर होकर किसान ओने पौने दामों में अपनी फसल को बेचकर आगामी फसल की तैयारी करने में जुटे हुए हैं।

इस बार सरकारी क्रय केंद पर धान बेचना किसानों के लिए टेड़ी खीर बनी हुई है। टोकन की तिथि के बाद भी किसानों को एक-दो दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। मजबूरीवश किसान प्राइवेट आढ़त पर जाकर अपना धान बेच रहे हैं। शुक्रवार को प्राइवेट आढ़तों में किसानों का 1100 रूपये में धान खरीद गया। औरैया मंडी में प्रतिदिन चार से पांच हजार क्विंटल धान आ रहा है। जिसमें से नामात्र ही सरकारी केंद्रों पर खरीदा जा रहा है। बाकी प्राइवेट आढ़तों पर बेंचा जा रहा है।

जनपद में 15 अक्टूबर से धान खरीद शुरू हो गई है। इस बार शासन की ओर से पचास हजार मीट्रिक टन लक्ष्य रखा गया है। किसान सरकारी क्रय केंद्र पर पहुंच तो रहे हैं, लेकिन उनका निर्धारित समय में धान नहीं खरीदा जा रहा है। औरैया मंडी में चार क्रय केंद्र हैं, जिनमें एक क्रय केंद्र पर प्रतिदिन सात व आठ सौ क्विंटल धान खरीदा जा रहा है।

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auraiya

जिस तारीख का टोकन दिया जा रहा है, उसके बावजूद भी किसानों को दो-तीन दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। सरकारी केंद्रों पर खरीद न होने से परेशान होकर किसान मजबूरीवश प्राइवेट आढ़तों पर पहुंच रहे हैं। यहां पर उनका धान मिट्टी के मोल खरीदा जा रहा है। किसानों का कहना है कि गेहूं बुआई का समय आ गया है, ऐसे में उन्हें रूपयों की सख्त जरूरत है और सरकारी क्रय केंद्रों पर धान खरीद धीमी होने के कारण वह प्राइवेट आढ़त पर ही अपना धान बेंच रहे हैं।वहां पर उन्हें हाथो हाथ रूपये मिल जाता है।

धान खरीद में बिचौलिया पूरी तरह से हावी नजर आ रहे हैं। कोई अफसर सख्त आ भी गया, तब उसका तोड़ निकालने की जुगाड़ में लग जाते हैं। हर साल धान की सीजन में किसानों की गाढ़ी कमाई लूट कर बिचौलिए मौज करते है। किसान पुत्तीलाल, पन्हर

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धान खरीद केंद्रों पर साधारण किसान को धान में नमी होने की बात कहकर टरकाने की परंपरा पुरानी है। मजबूरन किसानों को औने-पौने दामों में आढ़तियों को धान बेंचना पड़ता है। यह सीजन किसान के बजाय धान माफियाओं का है।

गुड्डू, पन्हर

25 नवंबर का टोकन दिया गया था। दो दिन से वह खाद विभाग के क्रय केंद्र पर खड़े हैं। बड़े कास्तकार आते हैं तो उनका तत्काल धान तौल लिया जाता है। वह दो ट्रैक्टर पर अपना धान लाए हैं। प्रतिदिन के हिसाब से एक हजार रूपये का भाड़ा लग रहा है। अभी तक खरीद नहीं की गई है।

किसान महेंद्र कुमार, अटा

सरकारी केंद्र पर अपना धान बेंचना अब बहुत टेढ़ी खीर बन गई है। एक माह से वह धान को सुखा रहे थे। 26 नवंबर को उनका धान बिकना था, लेकिन दो दिन बीत गए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

बॉबी शुक्ला, जौरा

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समस्त क्रय केंद्रों पर व्यवस्थाएं सुचारू कराई गई है। कहीं कोई कमी मिलती है, तो उसे भी सुधरवाया जाएगा। पारदर्शिता के साथ धान खरीद कराई जाएगी।

सुधांशु शेखर चौबे, डिप्टी एआरएमओ

रिपोर्टर: प्रवेश चतुर्वेदी

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