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सरकार ने दिया झटका: बड़ा फैसला, कारोबारियों को होगा 100 करोड़ का नुकसान

जनपद में हैंडीक्राफ्ट, होम क्राफ्ट के करीब 9०० से ज्यादा निर्यातक है। जबकि गारमेंट के 12०० से ज्यादा निर्यातक है। गारमेंट सेक्टर भारत सरकार की रॉस्टल स्कीम के तहत आते है। जबकि हैंडीफ्राफ्ट (कैंडल, ज्वेलरी बाक्स, वुडन फ्रेम) के निर्यातक एमईआईएस योजना के तहत लाभ उठाते हैं।

Newstrack
Published on: 2 Aug 2020 1:37 PM GMT
सरकार ने दिया झटका: बड़ा फैसला, कारोबारियों को होगा 100 करोड़ का नुकसान
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नोएडा। हैंडीक्रॉफ्ट और होम टेक्सटाइल को वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) से बाहर कर दिया गया है। इसका खामियाजा जनपद के दो हजार से ज्यादा निर्यातकों को उठाना पड़ रहा है। जिनको वैश्विक प्रतिस्पर्धा बनाने में काफी दिक्कत होगी। यह सुविधा 2०2०-21 के लिए 23 जुलाई को ही बंद कर दी गई। जबकि निर्यातकों की माने तो इसे 2०21 तक चालू रखना था।

इससे निर्यातकों को करीब 1०० करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। इसको लेकर निर्यातकों ने सरकार से आपत्ति जताई है और एमएसएमई इंडस्ट्रियल नोएडा के माध्यम से वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर योजना को फिर से शुरू करने की मांग की है।

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गारमेंट सेक्टर भारत सरकार की रॉस्टल स्कीम के तहत आते है

वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यातकों के लिए भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत कर प्रोत्साहन के लिए आवेदन देने की ऑनलाइन सुविधा 2०2०-21 के लिए 23 जुलाई से बंद की दी गई। कारण यह है कि राजस्व विभाग का इस योजना के तहत अप्रैल से दिसंबर के दौरान दिए जाने वाले लाभ की कुल सीमा 9 हजार करोड़ रुपए तय कर दी गई है।

जनपद में हैंडीक्राफ्ट, होम क्राफ्ट के करीब 9०० से ज्यादा निर्यातक है। जबकि गारमेंट के 12०० से ज्यादा निर्यातक है। गारमेंट सेक्टर भारत सरकार की रॉस्टल स्कीम के तहत आते है। जबकि हैंडीफ्राफ्ट (कैंडल, ज्वेलरी बाक्स, वुडन फ्रेम) के निर्यातक एमईआईएस योजना के तहत लाभ उठाते हैं।

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इस समय एमईआईएस योजना लाभ नहीं मिलना

इनको लाइसेंस देने के एवज में 5 से 7 फीसद इनसेंटिव मिलता है। कोविड संकट के परिणामस्वरूप चालू वित्त वर्ष 2०2०-21 की पहली तिमाही के दौरान (-) 66.83 प्रतिशत हस्तशिल्प निर्यात घट गया है। इस समय एमईआईएस योजना लाभ नहीं मिलना इन उद्योगों के लिए काफी मुश्किलों को बढ़ा देगा। निर्यातक सीपी शर्मा ने बताया कि डीजीएफटी ने हाल ही में इनसेंटिव बंद करने की जानकारी निर्यातकों को दी।

निर्यातकों के तमाम आर्डर सप्लाई हो चुके

निर्यातकों के तमाम आर्डर सप्लाई हो चुके है। ऐसे में ऑनलाइन आवेदन बंद करने से निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर प्रतिदिन या प्रतिमाह के हिसाब से दरें तय नहीं की जाती। यह दर सालों के हिसाब से तय होती है। बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाने में काफी समय लग जाता है।

कोविड काल के दौरान भी हमारे पास कई आर्डर है। लेकिन विदेश प्रतिस्पर्धा के चलते वह हमसे कीमते घटाने की मांग कर रहे है। कीमते तभी कम हो सकेंगी जब एमईआईएस योजना का लाभ हम मिल सके।निर्यातकों के लिए एमआईईएस योजना को 2०21 तक चालू रखना चाहिए था। योजना का लाभ नहीं मिलने पर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में परेशानी आएगी। इससे निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। योजना को तत्काल दोबारा शुरू किया जाए।

रिपोर्टर- दीपांकर जैन,नोएडा

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