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योगी सरकार के फैसले से भड़के सरकारी कर्मचारी, बंधुआ मजदूरी कराना चाहती है सरकार
सरकारी सेवाओं में कर्मचारियों की तैनाती पांच साल के लिए संविदा आधार पर करने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध शुरू हो गया है। राज्य कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाने की साजिश बताया है।
लखनऊ। सरकारी सेवाओं में कर्मचारियों की तैनाती पांच साल के लिए संविदा आधार पर करने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध शुरू हो गया है। राज्य कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाने की साजिश बताया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने रविवार को इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार ने इस प्रस्ताव को रद नहीं किया तो कर्मचारी और बेरोजगार समाज मिलकर सरकार का विरोध करेंगे। यह व्यवस्था सरकारी कर्मचारियों को आईएएस और पीसीएस अधिकारियों का गुलाम बनाने के लिए लाई जा रही है।
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कर्मचारी के काम की समीक्षा
परिषद के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर हरि किशोर तिवारी ने कहा कि कोरोना काल महामारी के दरमियान ही कर्मचारियों के शोषण करने का एक नया तरीका निकाल लिया है। हर छह महीने में भर्ती होने वाले कर्मचारी के काम की समीक्षा की जाएगी ।
जो कर्मचारी नियुक्त होगा उसको 5 वर्ष तक मानदेय आउटसोर्सिंग निर्धारित वेतन मिलेगा वह कर्मचारी काम करेगा जो कर्मचारी नया नियुक्त होगा वह उन महत्वपूर्ण पदों पर भी रहेगा जो समीक्षा जैसे महत्वपूर्ण पद होते हैं एकाउंटिंग से लेकर मॉनिटरिंग के भी कार्य होते हैं सभी अधिकारियों के दबाव में रहेंगे और उन नियमों का पालन किसी कीमत पर अधिकारियों से नहीं करा पाएंगे क्योंकि अधिकारी जैसा चाहेंगे वैसी टिप्पणी ही उन्हें फाइल पर करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर अधिकारी उन्हें छह महीने बाद सेवा से बाहर कर देंगे।
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फोटो-सोशल मीडिया
बेरोजगारी की फौज का मजाक उड़ाते हुए
अभी हर विभाग में प्रत्येक पद के लिए कार्मिक नियमावली बनी हुई है कर्मचारियों के मौलिक अधिकार भी है। यह व्यवस्था उनके अधिकारों का हनन है। प्रतीत होता है कि इस बेरोजगारी की फौज का मजाक उड़ाते हुए सरकार उन्हें 5 साल बंधुआ मजदूरों की तरह काम लेना चाहती है और उसके बाद सरकार बदल जाएगी फिर दूसरी सरकार नए नियम लाकर उनको नौकरी से बाहर कर देंगे अथवा अपने लोगों को नौकरी देने का प्रयास करेंगे यह पूरी तरह से बेरोजगार समाज एवं कर्मचारी समाज का मजाक है अगर यही व्यवस्था करनी है तो इसमें पीसीएस और आईएएस को भी शामिल किया जाए।
विधायक, सांसद, मंत्रियों सभी पर लागू होनी चाहिए क्योंकि उन्हें भी बिल्कुल विधाई कार्यों अथवा संबंधित विभाग का ज्ञान नहीं होता है उन्हें भी ट्रेनिंग कराई जानी चाहिए उसके बाद ही उनका वेतन आदि मिलना चाहिए।
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फोटो-सोशल मीडिया
कर्मचारी समाज से लेकर बेरोजगार समाज
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह बिल्कुल भी उचित नहीं है कर्मचारी समाज पूर्ण रूप से सहमत हैं सरकार के खिलाफ अपनी उचित बात के लिए बड़े आंदोलन किए जाएं और इस व्यवस्था को लागू न होने दिया जाए इसमें कर्मचारी समाज से लेकर बेरोजगार समाज भी सभी साथ आएगा इस संबंध में उत्तर प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठनों शिक्षक संघ संगठनों और अधिकारी संगठनों द्वारा बनाए गए कर्मचारी शिक्षक अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच के द्वारा कड़ा विरोध किया गया है।
उन्होंने बताया कि विरोध करने वाले संगठनों में सुशील त्रिपाठी प्रदेश अध्यक्ष कलेक्ट्रेट एसोसिएशन डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा प्रदेश अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ,सतीश पांडे प्रदेश अध्यक्ष राज्य कर्मचारी महासंघ, रामफेर पांडे अध्यक्ष चालक महासंघ राकेश त्यागी अध्यक्ष डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ बाबा हरदेव सिंह पूर्व अध्यक्ष पीसीएस एसोसिएशन एसके सिंह अध्यक्ष अधिकारी महापंचायत निखिल शुक्ला अध्यक्ष तहसीलदार एसोसिएशन रामराज दुबे अध्यक्ष चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ वीरेंद्र चौहान अध्यक्ष यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ एनएस नेगी अध्यक्ष शांति सांख्यिकी महासंघ चेत नारायण सिंह अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ बृजेश श्रीवास्तव महामंत्री लेखपाल संघ अवधेश मिश्राअवधेश मिश्रा अध्यक्ष सीनियर बेसिक शिक्षक संघ प्रेम कुमार सिंह अध्यक्ष स्वास्थ्य विभाग मिनिस्ट्री एसोसिएशन आदि संगठनों ने शिव बरन सिंह यादव महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद शामिल हैं।
रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी
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